बुधवार, 17 जनवरी 2018


 सारी बुराइयों के लिए आरक्षण को जिम्मेदार ठहराना मैं सही नहीं मानता।
आरक्षण कोटि से भी बेहतर उम्मीदवारों का शिक्षक के रूप में 
चयन हो सकता था।पर,अधिकतर दफा ऐसा नहीं हुआ।सामान्य श्रेणी से चयन में भी ईमानदारी  नहीं बरती गयी।
हालांकि लालू प्रसाद के शासन काल में स्कूल शिक्षकांे
 की बहाली बी.पी.एस.सी.द्वारा आयोजित परीक्षा के जरिए हुई थी।
परीक्षा में तब आम तौर पर चोरी नहीं हुई थी,इसलिए अच्छे शिक्षक बहाल हुए थे।हालांकि वह अपवाद था।लालू प्रसाद-राबड़ी जी के कार्यकाल में कुल मिलाकर शिक्षा का क्या हाल हुआ,यह सब लोग जानते हैं।
 नीतीश कुमार के कार्यकाल में माक्र्स के आधार पर बहाली हुई तो उसमें योग्य शिक्षक कम ही आ पाए।
मैं अपर प्राइमरी स्कूल खान पुर @दरिया पुर,सारण @में पढ़ता थां
वहां के प्रधानाध्यापक धनुष धारी राय थे।
उनकी योग्यता पर कभी किसी ने सवाल नहीं उठाया।
हाई स्कूल स्तर पर मैं अपने ही गांव के ही शिक्षक चंद्र देव राय से ट्यूशन पढ़ता था।
उतने अधिक योग्य साइंस टीचर  मैंने कम देखे।
वे मुझे मुफ्त में ट्यूशन पढ़ाते थे।मैंने 1963 में मैट्रिक प्रथम श्रेणी में पास किया तो उसमें उनका भी योगदान था।
धनुष धारी राय और चंद्र देव राय  दोनों शिक्षक यादव परिवार से रहे।
  चंद्र देव राय तो अब भी हमारे बीच हैं।वे इसलिए बहाल हुए थे क्योंकि तब मूलतः योग्यता के आधार पर बहाली होती थी।
@ फेसबुक पर एक टिप्पणी के जवाब में --16 जनवरी 2018@

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