सोमवार, 4 नवंबर 2013

मोदी के भाषण-लेखक की योग्यता पर सवाल !



बिहार में भी नरेंद्र मोदी ने अपने दल के लिए हवा जरुर बना दी है, पर, राहुल गांधी को लगातार राजनीतिक मात देते लग रहे मोदी अपने पटना भाषण के तथ्योें को लेकर नीतीश कुमार से मात खा गये।

  जाहिर है कि बिहार में उनका मुकाबला किसी पप्पू से नहीं है। 27 अक्तूबर की पटना की हंुकार रैली में नरेंद्र मोदी का भाषण जोरदार रहा। उन्होंने अपने मुग्ध श्रोताओं को उन्होंने खूब रिझाया। पर, जब 29 अक्तूबर को नीतीश कुमार ने जदयू के राजगीर शिविर में नरेंद्र मोदी के आरोपों का सिलसिलेवार जवाब दिया तो अनेक लोगों को यह लगा कि नरेंद्र मोदी को अपना भाषण लेखक बदल लेना चाहिए।

नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार के भाषणों के राजनीतिक पक्षों को नजरअंदाज भी कर दें तो तथ्यों की दृष्टि से नरेंद्र मोदी एक साथ पप्पू और फेंकू दोनों लगे।

एक ऐसा नेता जिसे आज बड़ी संख्या में श्रोता मिल रहे हैं, और जो प्रधानमंत्री पद का गंभीर उम्मीदवार है, उसे अपने भाषणों के तथ्यों की पहले सावधानीपूर्वक जांच कर लेनी चाहिए। क्योंकि नरेंद्र मोदी को नीतीश कुमार ही नहीं बल्कि पूरा देश आज सुन रहा है।

  अब मोदी और नीतीश के ताजा भाषणों पर एक नजर डाल ली जाए। नीतीश कुमार ने राजगीर में कहा कि ‘मैं टी.वी. देख रहा था। चंद्रगुप्त को गुप्त वंश का कहा गया जबकि चंद्रगुप्त मौर्य वंश के संस्थापक थे। तक्षशिला को भी बिहार में ही बता दिया गया जबकि वह पाकिस्तान में है।

सिकंदर को गंगा किनारे पहुंचा दिया गया जबकि सिकंदर तो सतलज के पास से ही भाग गया था।’
   अब पढि़ए कि नरेंद्र मोदी ने अपने पटना भाषण में क्या कहा था। मोदी ने बिहार की गौरव गाथा सुनाते हुए कहा कि ‘अगर रामायण काल को याद करें तो माता सीता की याद आती है। महाभारत काल की याद करें तो कर्ण की याद आती है। गुप्तकाल में चंद्रगुप्त की राजनीति प्रेरणा देती है। नालंदा की बात करें तो विक्रमशिला और तक्षशिला की याद आती है।’

   तथ्यों की भूल के अलावा नरेंद्र मोदी ने पटना के अपने जोशीले भाषण में एक सांस्कृतिक गलती भी कर दी। उन्होंने न सिर्फ भगवान कृष्ण को एक जाति विशेष के साथ जोड़ दिया बल्कि उन्होंने चुनावी राजनीति में जातीय पुट भी दे दिया।

   इस संबंध में उन्होंने दिलचस्प मोदी -लालू संवाद का विवरण भी जनसभा में पेश किया। नरेंद्र मोदी ने कहा कि लालू प्रसाद मुझे गाली देने का कोई मौका नहीं छोड़ते। कहते थे कि मोदी को पी.एम. बनने नहीं दूंगा। लालू जी का एक्सीडेंट हो गया। मैंने लालू जी को फोन किया। उनका हालचाल पूछा। मैंने मीडिया को नहीं बताया। मैंने सोचा पर्सनल बात है, इसको मीडिया को क्यों बताया जाये। पर लालू जी ने मीडिया को बुलाया। मीडिया से उन्होंने कहा कि मैं जिसे गाली देता हूं, देखो वो मुझे फोन करता है। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए मोदी ने कहा कि ‘लालू जी,यदुवंश के राजा द्वारिका में ही बसे थे। आपको कुछ हो जाए तो हमारी चिंता स्वाभाविक है। मैं द्वारिका से आशीर्वाद लेकर आया हूं। अब आपके यदुवंशी समाज की चिंता का जिम्मा मैं लेता हूं। कृष्ण के काम को अब हम सब मिलकर करेंगे।’

  मोदी की इस जातिवादी टिप्पणी पर नीतीश कुमार ने मंंगलवार को कहा कि ‘रैली में खुलेआम जाति का नाम लिया गया। कृष्ण तो सबके भगवान हैं। लेकिन उन्हें भी जाति में बांध दिया गया।’

  मोदी और नीतीश की बातों से एक और बात निकलती है। दरअसल कृष्ण को यादवों के साथ जोड़ देने के बाद क्षत्रिय भगवान श्रीराम और ब्राह्मण भगवान परशुराम पर दावा कर सकते हैं। कुछ अन्य जातियां किन्हीं अन्य भगवान पर अपना दावा ठोक सकती हैं। यदि इस बात को कोई और आगे बढ़ाया जाएगा तो एक दिन कोई सनकी यह भी कह सकता है कि चूंकि हम ऊंची जाति के हैं, इसलिए मेरा भगवान तेरे भगवान से ऊंचा है। इस मुददे पर आपसी संघर्ष भी हो सकता है।फिर भाजपा की हिन्दू एकता का क्या होगा ? हाल ही में  भाजपा नेता  डा.सुब्रहमण्यम स्वामी ने कहा है कि हम चाहते हैं कि हिन्दुओं मेंें एकता कायम हो और मुस्लिम समुदाय में अनेकता हो। ऐसे में डा. स्वामी नरेंद्र मोदी को अब कैसी सलाह देंगे ?

   यदि नरेंद्र मोदी द्वारा विवादास्पद बातंें नहीं बोली जातीं तोभी पटना में भाजपा की हुंकार रैली सकारात्मक संदेश दे जाती।

  नरेंद्र मोदी ने सांप्रदायिक सद्भाव और एकता की ठोस बात पटना रैली में कही।उन्होंने गरीब हिन्दुओं से सवाल किया कि क्या आप गरीबी से लड़ना चाहते हो या  मुसलमानों से ? उसी तरह उन्होंने गरीब मुसलमानों ये यह सवाल किया कि आप गरीबी से लड़ना चाहते हो या हिन्दुओं से ?

  इतना ही नहीं, सभा स्थल पर यहां तक कि मंच के आसपास हो रहे बम विस्फोटों के बीच भी हुंकार रैली में मंच से कोई उत्तेजक बातें नहीं कही गई। बल्कि बम विस्फोटों से भीड़ का ध्यान हटाने की ही सफल चेष्टा की गई। नरेंद्र मोदी सहित सभी भाजपा मंचासीन नेताओं ने अत्यंत उत्तेजनापूर्ण परिस्थिति में भी अभूतपूर्व संयम बरता। इसका भी भाजपा के पक्ष में सकरात्मक संदेश गया।मुख्य मंत्री नीतीश कुमार ने भी भाजपा नेताओं के इस संयम की सार्वजनिक रुप से सराहना की। पर यही संयम नरेंद्र मोदी के भाषण में भी देखी जाती तो वह प्रधान मंत्री पद के उम्मीदवार के व्यक्तित्व के अनुकूल होती।



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