मंगलवार, 29 जून 2021

    बम विस्फोटों पर मौन क्यों ?

   .................................................

हाल के हफ्तों में पाकिस्तानी खुफिया संगठन की मदद से संचालित जेहादी तत्वों के कारण बिहार के चार स्थानों में भीषण बम विस्फोट हुए।

क्या किसी तथाकथित सेक्युलर दल के किसी नेता ने इन विस्फोटों की सार्वजनिक तौर पर निंदा की ?

 नहीं की।

वे पहले की ही तरह मौन रहे।

 पर, उनका यह मौन क्या कहता है ?

कुछ कहता जरूर है।

आम लोग भी उस मौन का मतलब आसानी से निकाल 

लेते हैं।

.....................................

 तथाकथित सेक्युलर दल यह आरोप लगाते रहे हैं कि भाजपा  

लोगों की धार्मिक भावना उभार कर वोट ले लेती है।

लेती होगी !

लेकिन आप क्या करते हैं ?

यदि सेक्युलर दलों ने इन विस्फोटों,पाक व आई.एस.आई.की निंदा की होती,तो भाजपा को कमजोर करने में उन्हें मदद मिलती।

 पर, उन्हें तो डर लगता है कि निंदा करने से उनका ‘वोट बैंक’ नाराज हो जाएगा।

...................................

--सुरेंद्र किशोर

23 जून 21



    बम विस्फोटों पर मौन क्यों ?

   .................................................

हाल के हफ्तों में पाकिस्तानी खुफिया संगठन की मदद से संचालित जेहादी तत्वों के कारण बिहार के चार स्थानों में भीषण बम विस्फोट हुए।

क्या किसी तथाकथित सेक्युलर दल के किसी नेता ने इन विस्फोटों की सार्वजनिक तौर पर निंदा की ?

 नहीं की।

वे पहले की ही तरह मौन रहे।

 पर, उनका यह मौन क्या कहता है ?

कुछ कहता जरूर है।

आम लोग भी उस मौन का मतलब आसानी से निकाल 

लेते हैं।

.....................................

 तथाकथित सेक्युलर दल यह आरोप लगाते रहे हैं कि भाजपा  

लोगों की धार्मिक भावना उभार कर वोट ले लेती है।

लेती होगी !

लेकिन आप क्या करते हैं ?

यदि सेक्युलर दलों ने इन विस्फोटों,पाक व आई.एस.आई.की निंदा की होती,तो भाजपा को कमजोर करने में उन्हें मदद मिलती।

 पर, उन्हें तो डर लगता है कि निंदा करने से उनका ‘वोट बैंक’ नाराज हो जाएगा।

...................................

--सुरेंद्र किशोर

23 जून 21



 


दलबदल पर कारगर रोक के लिए कानून को कठोर बनाना जरूरी

--सुरेंद्र किशोर

........................................... 

सन 1985 में दल बदल विरोधी कानून बना था।

इसका श्रेय तत्कालीन प्रधान मंत्री राजीव गांधी को मिला।

उस कानून से यह उम्मीद बंधी थी कि अब दल बदल नहीं होंगे।

पर दल बदल नहीं रुका।

बाद में इस कानून में संशोधन हुआ।

फिर भी दल बदल जारी रहा।

2016 से 2020 तक कांग्रेस के 42 प्रतिशत और भाजपा के करीब 4 प्रतिशत विधायकों ने पार्टी छोड़ी।

छोड़ने का उद्देश्य क्या रहा, यह जग जाहिर है।

  जब नेता और कार्यकत्र्ता का अपनी पार्टी से संबंध सिर्फ टिकटों का ही रह जाए तो दल बदल स्वाभाविक ही है।

कुछ दलों से फिर भी उसके कार्यकत्र्ताओं का नीति-सिद्धांत का संबंध रहा है।

पर, वह भी कम होता जा रहा है।

अनेक राजनीतिक दल भारी रकम लेकर चुनावी टिकट दे रहे हैं।

ऐसे में दल बदल कैसे रुकेगा ?

हां, एक नया प्रयोग किया जा सकता है।

दल बदल विरोधी कानून में ऐसा संशोधन हो जिससे किसी जन प्रतिनिधि के दल छोड़ते ही उसकी सदन की सदस्यता तुरंत चली जाए।

दो - तिहाई की सुविधा अब खत्म हो जानी चाहिए।

साथ ही, दल बदलुओं को आगामी उप चुनाव सहित अगले दो चुनावों में उम्मीदवार बनने से कानूनन रोक दिया जाए।

  पहले यह सुविधा दी गई थी कि यदि किसी दल के एक तिहाई सदस्य दल छोड़ें तो उनकी सदस्यता बनी रहेगी।

जब ऐसे प्रावधान के बावजूद दल बदल नहीं रुका तो दो-तिहाई वाली छूट दी गई।

फिर भी स्थिति नहीं सुधर रही।

  इसलिए अब कठोर संवैधानिक कदम उठाना ही पड़ेगा।

दल बदल लोकतांत्रिक व्यवस्था में कोढ़ है।

इसका उन्मूलन होना ही चाहिए।

...........................................   

कैमरे बताएंगे कि बर्बरता किधर से हुई

........................................................

कैसा रहेगा यदि ड्यूटी पर तैनात बिहार के पुलिस अफसरों की 

वर्दी में कैमरे लगे होंगे ?

कुछ राज्यों में ऐसा पहले से है।

खबर है कि बिहार सरकार को इस पर विचार करके 

कोई निर्णय करना है।

बिहार पुलिस की सलाह है कि उसे ऐसी सुविधा मिलनी चाहिए।

यदि ऐसी सुविधा मिली तो इसके एकाधिक फायदे होंगे।

अक्सर यह आरोप लगता है कि पुलिस ने निहत्थे लोगों 

पर बर्बर कार्रवाई की।

हर बार तो नहीं, किंतु कई बार सच कुछ और ही होता है।

पहले हिंसक या उपद्रवी  भीड़ पुलिस पर हमला कर देती है।

पुलिस प्रतिक्रियास्वरूप भीड़ को भगाने के लिए बल प्रयोग करती है।

कभी-कभी बल प्रयोग कुछ अधिक ही हो जाता है।

फिर उसकी जांच होती है।

यदि पुलिस अफसरों की वर्दियों में कैमरे लगे होंगे तो जांच से यह पता चल जाएगा कि हमले की पहल किस पक्ष ने की।

................................

जेल जाते ही अस्पताल में दाखिल

...........................................

 यदि आप प्रभावशाली हैं तो आपको जेल जाने से डरने की जरूरत नहीं।

जेल होते ही आपको किसी अच्छे अस्पताल में दाखिल करा दिया जा सकता है।

जेल जाने से पहले तक आप नार्मल ढंग से अपना सारा काम कर रहे थे।

किंतु जेल जाते ही आप कुछ गंभीर बीमारियों का बहाना बनाएंगे और 

हैसियत के अनुसार अस्पताल में शिफ्ट कर दिए जाएंगे।

यदि स्थानीय सरकार आपकी मुट्ठी में रही तब तो वह किसी बड़े बंगले को 

जेल घोषित कर देगी।

 इसे रोकने के लिए एक सुझाव प्रस्तुत है।

जिस व्यक्ति को पिछले तीन साल में कभी भी किसी अस्पताल में भरती कराने की नौबत नहीं आई थी ,शासन को चाहिए कि वह उस कैदी से अलग ढंग से व्यवहार करे।

उनकी बीमारी की राज्य के बाहर के विशेषज्ञ चिकित्सकों से जांच कराई जानी चाहिए।

उसके बाद ही शासन उन्हें अस्पताल या जेल भेजने का फैसला करे या कोर्ट से तंत्संबंधी आग्रह करे।

 .....................................

 भूली-बिसरी याद

................................. 

आज ही के दिन सन 1975 में देश में प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने 

आपातकाल लगाया था।

तब के प्रधान मंत्री सचिवालय 

के संयुक्त सचिव विशन टंडन ने तब लगभग रोज अपनी डायरी लिखी थी।

बाद में वह डायरी पुस्तक के रूप में दो खंड में छपी।

उसके बाद किसी ने टंडन साहब से डायरी लिखने का कारण पूछा गया था।उन्होंने बताया कि जब कभी सरकारी रिकाॅर्ड लोगों को उपलब्ध होंगे,उससे उस समय की घटनाओं और फैसलों की जानकारी होगी।

मेरा प्रयास इससे अलग है।

टंडन साहब ने कहा कि मैं उस वातावरण को चित्रित करना चाहता था,जिसमें लोक तंत्र और उसकी संस्थाओं को 

एक- एक कर ढहाया जा रहा था।

सरकारी फाइलों में यह जानकारी नहीं मिलती।’

 25 जून 1975 को  अपनी डायरी में उन्होंने लिखा,

‘‘शारदा (इंदिरा गांधी के मीडिया सलाहकार एच. वाई. शारदा प्रसाद) ने

बताया कि प्रधान मंत्री निवास पर पूरा कंट्रोल संजय (गांधी) ने ले लिया है।

28 जून को विशन टंडन ने लिखा कि कल रात मुझे बहुत देर तक नींद नहीं 

आई ।

मैं यही सोचता रहा कि इस देश में जन जीवन अब फिर स्वच्छंद  

व स्वाधीन हो सकेगा या नहीं।

...................................... 

  और अंत में 

......................................

पटना हाईकोर्ट ने 3 अगस्त, 2001 को बिहार सरकार से पूछा था कि राज्य के किन -किन गांवों में पांच मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हैं ?

तब की राज्य सरकार ने उसका क्या जवाब दिया,यह नहीं मालूम।

 किंतु जानने वाले जानते ही हैं कि बिहार के गांवों  की स्थिति कैसी रही थी। 

  ये मूलभूत सुविधाएं हैं-शुद्ध पेयजल, बिजली, प्राथमिक शिक्षा, प्राथमिक स्वास्थ्य और स्वच्छता।

इस बीच बिजली की स्थिति सुधरी है।

जहां -तहां शुद्ध पेयजल

की व्यवस्था भी हुई है।

पर, लगता है कि बाकी तीन सुविधाएं अब भी भगवान भरोसे ही हंै।

वैसे मौजूदा राज्य सरकार को इन सुविधाओं का अद्यतन आंकड़ा तैयार करके लोगों को बताना चाहिए। 

..................................

  कानोंकान,

प्रभात खबर,पटना

25 जून 21 


 


     देश अयोध्या की ओर !

      .................................

     --सुरेंद्र किशोर--

     ......................................

हाल में मैंने सुना कि दैनिक हिन्दुस्तान, पटना में मेरे सहकर्मी रहे एक काबिल पत्रकार राम की नगरी में जा बसे,पटना का अपना फ्लैट बेच कर।

मैंने उनसे फोन से बातचीत की।

चूंकि मेरी पत्नी भी वहां बसने या यदाकदा वहां जाकर कुछ -कुछ दिनों के लिए रहने की इच्छा जाहिर कर रही हैं,इसलिए भी मैंने अपने पूर्व सहकर्मी से बातचीत की।

  खैर, यह तो भविष्य की योजना है।

पता नहीं, इस योजना पर राम की क्या इच्छा है ?!!

  यह भी पता चल रहा है कि देश भर से बहुत सारे लोग अब अयोध्या में बसना या फ्लैट या मकान खरीदना चाहते हैं।  

 बातचीत से लगा कि पत्नी के साथ अयोध्या में बस चुके मेरे मित्र वहां बहुत खुश हैं।

  स्वांतः सुखाय रघनाथा गाथा में मगन हैं।

उनके घर से निर्माणधीन राम लला मंदिर मात्र डेढ़ किलोमीटर पर जो है !

  मैंने वहां की जमीन की दर उनसे पूछी।

उन्होंने बताया कि जो जमीन हाल तक 30 लाख रुपए प्रति कट्ठा मिल रही थी, वह अब 60 लाख रुपए कट्ठा हो चुकी है।

कीमत बढ़ती ही जा रही है।

जमीन की कीमत बढ़ाने में बिहार के ‘धनवान’ लोगों का कुछ अधिक ही योगदान है।

खैर, ऐसे में कोई सामान्य आय वाला राम भक्त अयोध्या में कैसे बस सकेगा ?

  यह अच्छी खबर है कि योगी सरकार सरयू के किनारे 500 एकड़ क्षेत्र में ‘‘न्यू अयोध्या’’बसाने जा रही है।

इसके लिए राज्य सरकार ने निजी क्षेत्र की कंपनियों से भी अपील की है कि वे सी.एस.आर.फंड से न्यू अयोध्या के निर्माण में पैसे लगाएं।

  .............................

न्यू अयोध्या में ही बने या अन्यत्र बने, किंतु अल्प आय वर्ग के लिए एक कमरे का फ्लैट या मकान का निर्माण होना ही चाहिए। 

ताकि, टूटते परिवार के इस दौर में देश के कम आय वाले जो बुजुर्ग जहां -तहां  ओल्ड ऐज होम में शरण लेने को बाध्य हो रहे हैं, वे चाहें तो राम की नगरी में ही अपने आखिरी दिन गुजार लें।

  यदि सन 2022 में भी उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार फिर बन गई तब तो ये योजनाएं कार्यान्वित हो जाएंगी।

 अन्यथा, तो राम ही मालिक है !!

.........................................

साथ का चित्र पटना से प्रकाशित त्रैमासिक पत्रिका ‘‘तुलसीदलम्’’ से साभार



  


रविवार, 27 जून 2021

      एक बिन मांगी सलाह जो मानी नहीं जाएगी !

          ........................................................

 अपवादों को छोड़ दें तो, सास अपनी बेटी की तो सौ गलतियां माफ कर देती है।

पर, अपनी पतोहू की एक भी गलती माफ नहीं करती।

पतोहू को 50 प्रतिशत गलतियांे को वह माफ करती जाए तो सास भी सुख चैन से रहेंगी और पतोहू भी।

...................................

उसी तरह किसी परिवार में पति की 50 प्रतिशत और पत्नी की 50 प्रतिशत बातों-इच्छाओं का पालन होने लगे तो पारिवारिक कलह को काफी हद तक कम कर देने में मदद मिल जाएगी।

.............................................

--सुरेंद्र किशोर 

27 जून 21


सोमवार, 21 जून 2021

 



जैविक खेती को बढ़ावा देने की सरकारी पहल समय की जरूरत-सुरेंद्र किशोर

............................................................. 

 देश की 2 करोड़ 60 लाख एकड़ बंजर जमीन का पुनरोद्धार होने वाला है।

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने पुनरोद्धार योजना पर काम करने के अपने निर्णय की घोषणा कर दी है।

  दूसरी ओर, बिहार के मुख्य मंत्री नीतीश कुमार ने अधिकारियों को निदेशित किया है कि वे लोगों को जैविक खेती करने के लिए प्रेरित करें।

  यह अच्छी बात है कि हमारे हुक्मरानों ने एक बुनियादी समस्या के हल की ओर एक और ठोस कदम बढ़ाए हंै।

  याद रहे कि हमारी अर्थ व्यवस्था मुख्यतः खेती पर निर्भर है।

ताजा सर्वेक्षण के अनुसार इस देश की जी.डी.पी.में खेती का करीब 20 प्रतिशत योगदान है।

साथ ही, 60 प्रतिशत आबादी को कृषि में रोजगार मिला हुआ है।

  हमारे देश में कृषि को लेकर दो मुख्य समस्याएं रही हैं।

उर्वर जमीन को कैसे अनुर्वर होने से बचाया जाए ?

दूसरी समस्या बंजर जमीन को खेती योग्य बनाने की है।

उर्वर जमीन के अनुर्वर हो जाने की समस्या हरित क्रांति के साथ शुरू हुई।

 हरित क्रांति के जरिए अनाज की उपज तो बढ़ी, किंतु रासायनिक खाद व कीटनाशक दवाओं के जहां तहां अतिशय इस्तेमाल से जमीन की उर्वरा शक्ति मरी।

पंजाब में यह समस्या सर्वाधिक है।

बिहार के गरीब व पिछड़ा प्रदेश होने का एक तरह से हमें लाभ मिला।

हमने रासायनिक खाद व कीटनाशक दवाओं का कई अन्य राज्यों की अपेक्षा कम इस्तेमाल किया।

नतीजतन हमारी खेती बर्बाद होने से काफी हद तक बची रही।

  यदि मुख्य मंत्री की सलाह को लागू किया गया तो जैविक खाद का इस्तेमाल बढ़ेगा।

उससे न सिर्फ लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा होगी,बल्कि खेतों की उर्वरा शक्ति भी बढ़ेगी।  

...........................................

    आरोप गलत हो तो सजा मिले 

  ............................................

राम मंदिर जमीन खरीद मामले में बड़ा आरोप सामने आया है।

आरोप घोटाले का है।

जब घोटाला हुआ है तो आरोप लगाने वालों को उसकी जांच के लिए अदालत की शरण लेनी चाहिए।

पर, अब तक की सूचना के अनुसार  वे अदालत नहीं जा रहे हैं।

खबर आ रही है कि मंदिर निर्माण से जुड़े लोग ही अदालत जा रहे हैं।

  वे मानहानि का मुकदमा करेंगे।

यदि ऐसा हुआ तो आरोप लगाने वालों को भी अवसर मिलेगा कि वे अपनी बात कोर्ट में साबित कर सकेंगे।

 ऐसी मुकदमेबाजी को लोकतांत्रिक कानूनी प्रक्रिया का अंग ही माना जाना चाहिए।

लेकिन ऐसे मुकदमों में अंततः सुलह-माफीनामा-समझौता हो जाया करता है।

इससे अनर्गल आरोप लगाने वाले एक बार फिर किसी दूसरे निराधार मामले को लेकर किसी पर कीचड़ उछाल देते हैं।

 इसके विपरीत यदि गलत आरोप लगाने वालों को सजा होती जाए तो ऐसे अन्य लोग हतोत्साहित होंगे।

यदि घोटाला करने वालों को सजा हो जाए तो वैसे लोग कोई अन्य घोटाला करने से पहले सौ बार सोचेंगे।

...........................................

सोशल मीडिया के इस्तेमाल में सावधानी 

........................................

सोशल मीडिया पर कहीं से आई किसी भी अपुष्ट खबर को न तो शेयर करिए और न ही उसे फारवर्ड करिए।

 कुछ लोगों ने ऐसी असावधानी की और वे हाल में केस में फंस गए।

वैसे यह उनकी असावधानी है या शरारत वह तो जांच के बाद ही पता चलेगा।

पर, उन्हें अपने काम छोड़कर अब कोर्ट-कचहरी की दौड़ तो लगानी ही पड़ेगी।

एक सामान्य आपराधिक घटना

को सांप्रदायिक मोड़ देने के आरोप में उत्तर प्रदेश के लोनी बाॅर्डर कोतवाली पुलिस ने ट्विटर के साथ -साथ दो पत्रकारों,एक मीडिया संस्थान,एक लेखिका व एक प्रमुख दल के तीन नेताओं के खिलाफ केस दर्ज किया है।

................................

सर्प दंश दवा की उपलब्धता

.....................................

बिहार के उप मुख्य मंत्री तारकिशोर प्रसाद ने निदेश दिया है कि सर्प दंश व कुत्ते के काटने की दवा सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध कराई जाए।

उप मुख्य मंत्री का निदेश फिलहाल मुंगेर जिले के बारे में है।

उन्होंने कहा है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर दवाएं उपलब्ध हों।

 यह  एक मामूली किंतु बहुत ही जरूरी बात है।

इन दवाओें को राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध कराया जाना चाहिए।

अक्सर यह सुना जाता है कि सर्प दंश की दवा कहीं नहीं मिल रही है।नतीजतन गरीब लोग झाड़ फंूक वालों की शरण में जाने को बाध्य होते हैं।

 इस तरह कई बार वे जान गंवा देते हैं। 

उम्मीद है कि उप मुख्य मंत्री के निदेश को कड़ाई से लागू किया जाएगा।   

.......................................

   राजद्रोह के मामलों में सतर्कता जरूरी

   ... ............................

केदारनाथ सिंह बनाम बिहार सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 20 जनवरी, 1962 को अपना ऐतिहासिक जजमेंट दिया था।

राजद्रोह के संबंध में लिखा गया वह जजमेंट आज भी लागू है।

सुप्रीम कोर्ट उस पर कायम है।

हाल के दिनों में राजद्रोह को लेकर कई जजमेंट हुए हैं।

ताजा निर्णयों को देखकर इस बात की जरूरत महूसस की जा रही  है कि सन 1962 के उस जजमेंट की काॅपी उन सब लोगों को उपलब्ध कराई जानी चाहिए जो लोग अपनी -अपनी जगह से इस देश में क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम को कारगर बनाए रखने की कोशिश में लगे हुए रहते हैं।

....................................

और अंत में

.....................

कुछ दशक पहले की बात है।

राम विलास पासवान से एक खास सवाल पूछा गया।

वह सवाल था-आपने प्रतिस्पर्धी दल के  दबंग के खिलाफ अपनी ओर से भी दबंग उम्मीदवार को ही खड़ा 

क्यों कर दिया ?

राम विलास जी ने प्रति प्रश्न किया-‘‘क्या आप यह चाहते हैं कि हम बाघ के खिलाफ किसी बकरी को खड़ा कर दें ?’’

  ताजा खबर यह है कि लोजपा के दोनों धड़ों ने बिहार शाखा का प्रधान जिन्हें बनाया है,उन्हें कोई व्यक्ति थोड़ा भी कमजोर नहीं कह सकता।

........................................

कानोंकान,

प्रभात खबर,

पटना

18 जून 21

  

  




    लोगों की लापरवाही तीसरी 

लहर को न्योता दे रही है।

  कुछ ही लोग कोविड अनुशासन 

का पालन कर रहे हैं।

  शाॅपिंग माॅल्स में भारी भीड़ जुट रही है।

मेट्रो में शारीरिक दूरी नहीं बरती जा रही। 

कृपया ऐसा कुछ न करें कि तीसरी 

लहर आ ही जाए।

......................................... 

  ---डा.मोनिका लांगे

दैनिक जागरण

19 जून 21


रविवार, 20 जून 2021

        कैसे हो जनसंख्या नियंत्रण !

      ..............................................

      --सुरेंद्र किशोर--

      ......................................     

 दो बच्चों की नीति की ओर असम और उत्तर 

प्रदेश सरकारें आगे बढ़ रही हैं।

राजस्थान -मध्यप्रदेश में पहले से लागू है।

  किंतु यह काम केंद्र सरकार को भी करना चाहिए।

करना ही होगा।

  दरअसल हमारे देश में जिस रफ्तार से आबादी बढ़ रही है,उससे हमारे सीमित ससाधनों पर और भी दबाव बढ़ता जा रहा है।

कोविड महा विपत्ति के दौर में भी केंद्र-प्रदेश सरकारों के सामने दिक्कतें आ रही हैं।

 उसका एक कारण भारी जनसंख्या दबाव भी रहा।  

यही हाल रहा कि एक दिन कई मोर्चों पर देश की स्थिति विस्फोटक हो जाएगी जिसे शायद ही संभाला जा सकेगा।

.....................................

 आखिर आबादी को निंयत्रित कैसे किया जाए ?

नियंत्रण में दिक्कतें कहां -कहां हैं ?

  सिर्फ बात यही नहीं है कि कुछ लोग आबादी बढ़ाकर देश पर कब्जा करना चाहते हैं।

  बल्कि कई जगह तो गांव पर अपने परिवार का वर्चस्व कायम करने या बनाए रखने के लिए भी आबादी बढ़ाई जाती है।

  यदि किसी किसान के पास जमीन अधिक है और उस परिवार में सदस्य कम हैं तो परिवार चाहता है कि हमारी आबादी तत्काल बढ़े।

  ताकि, कोई हमारी जमीन पर कोई दबंग अतिक्रमण या कब्जा न कर सके।

...............................................

 कुछ गरीब परिवारों का तर्क है कि यदि उसका परिवार बढ़ेगा तो उसके पास मजदूरी करने वाले हाथ अधिक होंगे।

..............................

पुत्र की चाहत में भी पुत्रियों की संख्या बढ़ती जाती है।

इस तरह के कुछ अन्य कारण भी होंगे।

..............................

अब इसके उपाय क्या हैं ?

सरकारी योजनाओं का लाभ दो बच्चों तक ही सीमित हो।

राज्य का विकास होने पर मजदूरी भी बढ़ेगी।

यदि एक ही मजदूर को कल आज की अपेक्षा दुगनी मजदूरी मिलने लगेगी तो उस परिवार को दूसरे बच्चे की जरूरत नहीं रहेगी।

..............................

 कानून-व्यवस्था बेहतर हो तो मजबूत परिवार कमजोर को नहीं सताएगा।

  इस तरह मुकाबले के लिए आबादी बढ़ाने की जरूरत नहीं रहेगी।

.....................................

अंत में 

.............

सिर्फ कन्या का जन्म देने वाली महिलाओं को उत्पीड़न से बचाने के लिए सरकारों को चाहिए कि वे छोटी -छोटी जगहोें में भी जन जागरण अभियान चलाएं।

जन संपर्क विभाग की टीम महिला-पुरुष डाक्टरों के साथ मिलकर देहातों में सभाएं करें।

  वे लोगों को बताएं कि सिर्फ कन्या पैदा करने के लिए महिला कत्तई ‘‘दोषी’’ नहीं है।

 बल्कि संबंधित पुरुष में ‘‘जैविक’’

कमी के कारण ही उसकी पत्नी को सिर्फ  शिशु कन्या पैदा होती है।

......................................     

20 जून 21


शुक्रवार, 18 जून 2021

     पटना के ‘आॅक्सीजन मैन’ के बारे में दो शब्द

        .......................................................

गौरव राय को कोविड-19 विपत्ति के दौर में बिहार, खासकर पटना के लोग ‘आॅक्सीजन मैन’ के नाम से जानते हैं।

वैसे उन्होंने दो-चार आॅक्सीजन सिलिंडर दिल्ली भी भिजवाए थे जब वहां त्राहि -त्राहि मची हुई थी। 

 कोविड काल में अपनी कार से सुबह से ही न जाने 

कितनी काॅलोनियों में जरूरतमंदों के घर निःस्वार्थ व निःशुल्क  आॅक्सीजन सिलिंडर पहुंचाने निकल जाते रहे।

 नेक काम के लिए ये और इनकी जीवन साथी अपने वेतन का बड़ा हिस्सा तो खर्च करते  हैं।

  मध्य पटना के निवासी गौरव जी का व्यवहार अपने पड़ोस के साथ भी मिलनसार है।

  18 गरीब बच्चों की पढ़ाई के लिए भी अपनी आय का बड़ा हिस्सा खर्च करते हैं।

खुद नियमित रक्तदान भी करते हैं।

   ऐसे समाजसेवी गौरव राय से जब मेरी मुलाकात हुई तो मुझे बहुत अच्छा लगा।

 ऐसे कितने लोग आज हैं हमारे समाज में ?

हैं किंतु बहुत कम।

..........................................

--सुरेंद्र किशोर

  18 जून 21

 


 राजद्रोह के मामलों में सतर्कता जरूरी

   ...............................

  --सुरेंद्र किशोर--

 ...........................................

केदारनाथ सिंह बनाम बिहार सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 20 जनवरी, 1962 को अपना ऐतिहासिक जजमेंट दिया था।

राजद्रोह के संबंध में लिखा गया वह जजमेंट आज भी लागू है।

मौजूदा सुप्रीम कोर्ट भी उस पर कायम है।

हाल के दिनों में राजद्रोह को लेकर इस देश में कई जजमेंट हुए हैं।

ताजा निर्णयों को देखकर इस बात की जरूरत महूसस की जा रही  है कि सन 1962 के उस जजमेंट की काॅपी उन सब लोगों को उपलब्ध कराई जानी चाहिए जो लोग अपनी -अपनी जगह से इस देश में क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम को कारगर बनाए रखने की कोशिश में लगे हुए रहते हैं।

....................................

कानोंकान,

प्रभात खबर

पटना 

18 जून 21

......................................

केदारनाथ सिंह बनाम बिहार सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 

20 जनवरी 1962 को कहा था कि 

‘देशद्रोही भाषणों और अभिव्यक्ति को सिर्फ तभी दंडित किया जा सकता है,जब उसकी वजह से किसी तरह की हिंसा, असंतोष या फिर सामाजिक असंतुष्टिकरण बढ़े।’

......................................

यह तो उस जजमेंट का लघुत्तम अंश है।

पर, यह उसका सार है।

पूरे जजमेंट को पढ़िए।

गुगल पर भी मिल जाएगा।

इन दिनों राजद्रोह के केस हो रहे हैं।

उन पर अदालतों के निर्णय भी आ रहे हैं।

1962 के मूल जजमेंट से आज के अदालती फैसलों को मिलाइए।

फिर किसी नतीजे पर पहंुचिए।

सवाल है कि आज के निर्णय और 1962 के निर्णय के बीच एकरूपता है या नहीं। 

........................................

18 जून 21


 राम विलास पासवान की विरासत

...............................

विरासत कौन संभालेगा ? !

पु़त्र व भाई में होड़ है।

अभी दावे के साथ कुछ कहना पक्षधरिता होगी।

ऐसे मामलों में भूतकाल में इस देश में दोनों तरह के उदाहरण देखे गए हैं।

कुछ उदाहरण मैं यहां दे रहा हूं।

बाकी के लिए फेसबुक फंे्रड से गुजारिश है।

सुप्रीमो ने जिसे चाहा, हर मामले में उसे ही वोटरों ने  उत्तराधिकारी नहीं माना।

हां, अधिकतर मामलों में माना।

  हालांकि मेरे राजनीतिक -सामाजिक काॅमनसेंस के अनुसार चिराग पासवान का ही पलड़ा भारी लग रहा है।

किंतु आने वाले समय में ही बातें साफ हो पाएंगी।

रामविलास जी ने भी अपने पुत्र को ही अपना उत्तराधिकारी

माना-बनाया था।

  एन.टी.रामाराव तो संभवतः अपनी पत्नी लक्ष्मी पार्वती को चाहते थे।

उनके अभिनेता पुत्र हरिकृष्णा भी राज्य सभा में थे।

किंतु इस बीच एन.टी.आर.के दामाद चंद्रबाबू नायडू ने पूरी पार्टी का ही ‘अपहरण’ कर लिया।

 शिवपाल यादव ने बहुत कोशिश की।

पर पिता मुलायम सिंह यादव के लिए ‘‘बेटा तो बेटा ही होता है।’’

बिहार में तो कोई खास दिक्कत हुई नहीं।

 लालू प्रसाद ने जो चाहा,वही हुआ।ठीक ही चाहा।

आगे का हाल कौन जानता है !

  एम.जी.रामचंद्रन के बाद लोगों ने उनकी पत्नी जानकी को जरूर मुख्य मंत्री बना दिया गया था,किंतु तमिलनाडु की जनता जानती थी कि एम.जी.आर.की पसंद तो जयललिता ही थी।

 नतीजतन बाद में उन्हें ही लंबे समय तक राज करने का मौका मिला।

खैर, बिहार में राज करने का मौका तो लोजपा के किसी गुट  को नहीं मिलने वाला।

 ंपर, दही के जामन की भूमिका भी कौन गुट सफलतापूर्वक निभा पाएगा,आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा।

....................................

--सुरेंद्र किशोर      

16 जून 21


सोमवार, 14 जून 2021

मोदी सरकार के सात वर्षों के कार्यकाल पर टीवी पर एक भी ऐसा कार्यक्रम नहीं देखा, जिसमें सरकारी कामकाज का संतुलित विश्लेषण होता।

    या तो सरकारी उपलब्धियों का ढोल पीटने वाली जन संपर्क जैसी कवायद हुई या अंधविरोध की भावना से प्रेरित कार्यक्रम परोसे गए।

   निश्चित रूप से इस स्थिति के बीच मध्यमार्ग भी है।

अफसोस की बात है कि निष्पक्षता ध्रवीकरण के हाथों भेंट चढ़ गई।

...............................................

---संदीप घोष

दैनिक जागरण

14 जून 21


शुक्रवार, 11 जून 2021

 दिल्ली की जामा मस्जिद के इमाम सैयद अहमद बुखारी ने 

2014 में अपने बेटे के दस्तारबंदी समारोह का आयोजन

 किया था।

उन्होंने तब पाकिस्तान के प्रधान मंत्री नवाज शरीफ को तो निमंत्रण भेजा,किंतु भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को 

न्योता नहीं दिया था।

  यह और बात है कि पाक प्रधान मंत्री नहीं आए थे।

...............................

पर, जरूरत पड़ी तो अहमद बुखारी ने हाल में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। 

 उनसे गुजारिश की कि जामा मस्जिद का हिस्सा भारी वर्षा के कारण क्षतिग्रस्त हो गया है,उसकी मरम्मत करवा दीजिए।

.......................................

--सुरेंद्र किशोर

10 जून 21  


 


खाद्य मिलावट से संबंधित अपराध को गैर जमानती बनाने की जरूरत--सुरेंद्र किशोर

..........................................................

खाद्य मिलावट से संबंधित अपराधों पर इसी महीने सुप्रीम कोर्ट ने भारी चिंता व्यक्त की है।

 अदालत ने मिलावट के एक मामले में आरोपियों को अग्रिम जमानत देने से साफ मना कर दिया।

साथ ही, अदालत ने यह टिप्पणी भी की कि

 ‘‘सिर्फ भारत में हम स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के प्रति उदासीन हैं।’’

पिछली अनेक घटनाएं बताती हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने बिलकुल सही कहा है।

  यदि सरकार व संसद को चिंता रही होती तो ऐसे अपराध को गैर जमानती अपराधों की सूची में अब तक डाल दिया गया होता।

 उम्मीद है कि अन्य बड़े -बड़े काम कर चुकी नरेंद्र मोदी  सरकार इस दिशा में भी ठोस पहल करेगी।

   ........................................

      निर्भीक मिलावटखोर

       ............................................

  मिलावटखोरों की निर्भीकता तो देखिए !

उनकी पहुंच से आमजन कौन कहे,  प्रधान मंत्री  भी बाहर नहीं हंै।

     सन 1999 में तत्कालीन प्रधान मंत्री अटलबिहारी 

वाजपेयी पटना आए थे।

उन्हें परोसे जाने वाले खाद्य व पेय पदार्थों में से मिनरल वाटर नकली पाया गया था।

  इसी तरह की घटना सन 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ कानपुर में हुई।

उन्हें परोसे जाने वाले मूंग की दाल और खरबूजे के बीज अशुद्ध व मिलावटी पाए गए।

 इन दो घटनाओं के बावजूद ऐसे अपराध को गैरजमानती  बनाने की पहल नहीं की गई।

मिलावटखोरों की ताकत तो देखिए !

   ....................................................................

     हमारी उदासीनता की हद 

   .........................................................................

कई साल पहले भारत की  संसद में यह आवाज उठाई गई  कि अमेरिका की अपेक्षा हमारे देश में तैयार हो रहे कोल्ड ड्रिंक में रासायनिक कीटनाशक दवाओं का प्रतिशत काफी 

अधिक है।

  इसपर सरकार ने कह दिया कि ‘‘यहां कुछ अधिक की अनुमति है।’’

  हाल की खबर है कि इस देश में बिक रहे 85  प्रतिशत दूध मिलावटी है।

जितने दूध का उत्पादन नहीं है,उससे अधिक की आपूत्र्ति हो रही है।  

  सवाल यह भी है कि इस देश में अन्य कौन सा खाद्य व भोज्य पदार्थ कितना शुद्ध है ?

यह जानलेवा समस्या है और बहुत पुरानी भी है।

विभिन्न सरकारें लोक स्वास्थ्य की रक्षा के लिए क्या -क्या करती हंै ?

 कितने दोषियों को हर साल सजा हो पाती है ?

मिलावट का यह कारोबार जारी रहा तो कुछ दशकों के बाद हमारे यहां कितने स्वस्थ व कितने अपंग बच्चे पैदा होंगे ?

पीढ़ियों के साथ इस  खिलवाड़ को आप क्या कहेंगे ?

क्या सबके मूल मंे भष्टाचार नहीं है ?   

बिहार विधान परिषद की विशेष समिति ने सन 2002 में ही यह कह दिया था कि ‘‘पूरा समाज  मिलावटी कारोबार करने वालों की दया पर निर्भर हो गया है।’’

  यहां तक कि बिहार विधान सभा का कैंटीन भी मिलावट के मामले में अछूता नहीं रहा।

पटना की कई प्रतिष्ठित किराना दुकानों को भी समिति ने मिलावट के मामले में अपवाद नहीं माना था।

..............................................

स्पीड ब्रेकर लगाने की छूट मिले

..........................................

सड़कों पर स्पीड ब्रेकर लगाने की सरकार की ओर से मनाही है।

सही भी है।उसके अपने तर्क हैं।

पर यह नियम सभी तरह की सड़कों पर लागू नहीं होना चाहिए।

जहां के उदंड वाहन चालकों के स्पीड पर कोई प्रशासनिक व पुलिसिया रोक नहीं है,वहां के वाशिंदों को अपनी जान बचाने की सुविधा तो मिलनी ही चाहिए।

खासकर आबादी वाले इलाकों में और जहां स्कूल या अन्य संस्था अवस्थित हों।

 ..............................................

काॅमन सर्विस सेंटर के पैसों की लूट

................................................

बिहार में काॅमन सर्विस सेंटर के संचालकों से आए दिन लाखों-लाख रुपए लूट लिए जाते हैं।

कई बार लूटपाट के क्रम में हत्या भी हो जाती है।

कई साल पहले एक खबर आई थी।

खबर भारी धनराशि की सुरक्षा को लेकर थी।

शासन की ओर से कहा गया था कि यदि किसी व्यक्ति को 25 हजार रुपए से अधिक बैंकों से निकाल कर लाना है तो उसे पुलिस की सुरक्षा दी जाएगी।

  पता नहीं,यह नियम अब भी लागू है या नहीं।

यदि नहीं तो काॅमन सर्विस सेंटर के संचालकों की प्राणरक्षा के लिए इसे सख्ती से लागू किया जाना चाहिए।

............................................

वेंकैया साहब की बड़ी बात

..............................................

अखिल भारतीय सचेतक सम्मेलन का

उद्घाटन करते हुए केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू 

ने 2014 में कहा था  कि हमारी संसद और राज्य विधान सभाओं की कार्य प्रणाली को लेकर जन साधारण में चिंता है।

उन्होंने यह भी कहा कि इन संस्थाओं की विश्वसनीयता घटी है।

 याद रहे कि वंेकैया साहब अब उप राष्ट्रपति व राज्य सभा के पदेन सभापति हैं।

 उन्होंने तब कहा था कि राजनीति के अपराधीकरण,बढ़ते धन बल,बैठकों की संख्या में कमी ,व्यवधान व स्थगन के चलते इन महत्वपूर्ण संस्थानों की विश्वसनीयता घटी है।

  उम्मीद है कि वेंकैया साहब अपने इस पुराने विचार को याद करेंगे और कोविड विपत्ति के गुजर जाने के बाद इस समस्या पर उच्चस्तरीय चर्चा की पहल करेंगे।

..........................................

  और अंत में

...................

अपने देश में भी अजब-गजब तरह के लोग हैं।

बांग्ला देशी और रोहिग्या घुसपैठियों को इसी देश में बसा देने की मांग करते हुए अब तक सुप्रीम कोर्ट में 18 लोकहित याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं।

  पर,एक याचिका 5 करोड़ ऐसे घुसपैठियों को निकाल बाहर करने के लिए भी सबसे बड़ी अदालत में दायर की गई है।

मांग की गई है कि पहले उनकी पहचान हो।

फिर उन्हें रोक रखा जाए।अंत में उन्हें निर्वासित किया जाए।

इस एक याचिका पर अदालत ने केंद्र व राज्य सरकारों से राय मांगी है।

संभवतः अश्विनी उपाध्याय की इस याचिका पर अगले महीने सुनवाई हो।

 .....................................................


गुरुवार, 10 जून 2021

 


जार्ज फर्नांडिस के जन्म दिन ( 3 जून ) पर

...............................................................................

   मार्च, 1977 में दैनिक ‘आज’ (वाराणसी) में छपी मेरी यह रिपोर्ट यहां प्रस्तुत है जिसे मैंने मुजफ्फरपुर लोस चुनाव क्षेत्र के दौरे के बाद लिखी थी।

.......................................................

........................................................

मुजफ्फरपुर, 13 मार्च, 1977।

......................................................

  जनता पार्टी के उम्मीदवार जार्ज फर्नांडिस के यहां सशरीर उपस्थित नहीं रहने के बावजूद लाखों मतदाताओं की जुबान पर वे छाए हुए हैं।

  जेल में बंद रहने के कारण लोगों में सर्वत्र उनके प्रति अतिरिक्त समर्थन और सहानुभूति देखी जा रही है।

   पिंजरे में बंद उनके पुतले तथा हथकड़ियों में जकड़े उनके चित्र वाले पोस्टर शासक दल के प्रति लोगों में गुस्सा पैदा कर रहे हैं।

    मुजफ्फरपुर संसदीय क्षेत्र के सघन दौरे के बाद यह संवाददाता इस नतीजे पर पहुंचा है कि जार्ज फर्नांडिस के चुनाव अभिकत्र्ता शारदा मल्ल के इस दावे में काफी दम है कि 

  ‘‘सवाल जीत -हार का नहीं बल्कि इस बात का है कि कांग्रेस और कम्युनिस्ट उम्मीदवारों की जमानत भी बच पाती है या नहीं।’’

   पर, जनता पार्टी के कार्यकत्र्ताओं के समक्ष एक और सवाल है कि लोगों की सद्भावना को 16 मार्च को पूरे तौर पर वोट में कैसे बदला जाए और इस सवाल का जवाब ही जनता पार्टी के भाग्य का फैसला करेगा।

   एक कांग्रेसी बुद्धिजीवी के अनुसार 

  ‘‘भावनाओं से अधिक वस्तुगत स्थिति अधिक प्रभावकारी होगी।’’

   चुनाव की वस्तुगत स्थिति समझाते हुए जार्ज फर्नांडीस के सहयोगी प्रो.विनोद ने कहा कि ‘‘मुजफ्फरपुर संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत 6 विधानसभा क्षेत्रों में से कुढहनी, बोचहा और सकरा से पिछले कई चुनावों से समाजवादी विधायक विजयी होते रहे हैं।

    मीना पुर और गायघाट में कांग्रेस पार्टी का प्रभाव रहा है।

 परंतु मुजफ्फरपुर नगर कम्युनिस्टों का कार्य क्षेत्र है।  फिर भी कुल मिलाकर इन तीन क्षेत्रों में भी जनता पार्टी कांग्रेस और कम्युनिस्ट उम्मीदवारों से आगे है।’’ 

  प्रोफेसर विनोद के अनुसार कई स्थानों पर प्रतिपक्षियों द्वारा चुनाव में जोर-जबरदस्ती की भी आशंका है, जिसका जनता समुचित जवाब देगी। 

       पर, जनता पार्टी चुनाव कार्यालय के प्रभारी श्री नरेंद्र ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर मांग की है कि शहर के सर्किट हाउस के निकट निजी मकानों पर टंगे जनता पार्टी के झंडों को काजी मुहम्मदपुर थाने के दारोगा द्वारा जबरदस्ती उतरवाने तथा लोगों को झंडे टांगने से मना करने की घटना की जांच करायी जाये।

 ऐसी घटनाओं को रोका जाये। श्री नरेंद्र ने भाकपा कार्यकर्ताओं द्वारा चंदवारा मुहल्ले में जनता पार्टी के झंडों को जलाने की घटना की भी निंदा की है। 

       जनता पार्टी के प्रवक्ता के अनुसार 

  ‘‘कम्युनिस्टों की बौखलाहट इसलिए है कि जाॅर्ज फर्नांडिस की उम्मीदवारी से मजदूरों के बीच उनका प्रभाव लगभग समाप्त हो गया है।’’

 सचमुच जार्ज फर्नांडिस को डाक-तार विभाग के भाकपा प्रभावित लोगों को छोड़कर शहर के लगभग सभी मजदूर संघटनों का समर्थन प्राप्त है। भाकपा से विद्रोह कर चुनाव लड़नेवाले निर्दलीय उम्मीदवार ने परंपरागत कम्युनिस्ट वोट को भी छिन्न-भिन्न कर दिया है। 

यह उम्मीदवार जिले भर के कार्यकर्ताओं में लोकप्रिय हैं। मीनापुर क्षेत्र में उनका विशेष प्रभाव है।

 उनके सहयोगियों का तो यह भी दावा है कि उन्हें भाकपा उम्मीदवार रामदेव शर्मा से अधिक मत प्राप्त होंगे। 

        दूसरी ओर, माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के श्री नन्दकिशोर शुक्ल अपने दल-बल के साथ श्री फर्नांडिस के लिए काम कर रहे हैं।

   कई इलाकों में श्री शुक्ल का प्रभाव है।

   उन्होंने इस संवाददाता को बताया कि श्री फर्नांडिस जैसे मजदूर नेता के विरुद्ध भाकपा मजदूरों के समक्ष तर्कहीन हो गयी है। 

फिर भी शहरी क्षेत्र में भ्रमण के बाद मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि भाकपा वहां एक ताकत है, जो भले श्री फर्नांडिस से पीछे हो, पर कांग्रेस से आगे है। 

शहर में कांग्रेस का कोई नामलेवा नजर नहीं आता। 

      तिलक मैदान स्थित कांग्रेस पार्टी के कार्यालय में जब यह संवाददाता पहुंचा, तो देखा कि वहां श्मशान की शांति थी। 

  न कोई गाड़ी, न कार्यकर्ता, न ही चुनाव-कार्यों की चहल-पहल। 

  एक कांग्रेसी नेता ने मरे स्वर में कहा,

 ‘‘ पता नहीं क्या हो गया है पार्टी को।’’ 

 तभी समस्तीपुर से फोन आया। 

  जिला कांग्रेस कामेटी के अध्यक्ष श्री रामसंजीवन ठाकुर ने फोन उठाया, 

 ‘‘ हलो, क्या हाल है।’’

 उधर से आवाज आई,  

 ‘सन् 67 से भी बदतर हाल है।’

 श्री ठाकुर के फोन रख देने के बाद एक अन्य कांग्रेसी नेता ने अपना अनुभव सुनाते हुए कहा, 

 ‘‘ मैं एक गांव में अपने समर्थक के यहां गया, उसकी मैंने काफी मदद की थी। उससे वोट के बारे में बातें कीं। उसने कहा कि 

‘‘अबकी बार छोड़ दिअउ, माफ कर दिअउ, उन्नीस महीने में बड़ जुलुम भेलई हअ।’’ 

  कांग्रेस पार्टी के दफ्तर में भी जनता पार्टी की बड़ी- बड़ी चुनाव सभाओं की चर्चा होने लगी।

  एक ने कहा कि ‘लोग भी उसी तरह की बातें सुनना पसंद करते हैं।पता नहीं लोगों को क्या हो गया है।’

  जिला कांग्रेस कमेटी के सचिव शकूर अंसारी से जब हमने इस पर बातें की तो उन्होंने कहा कि ‘शहर में कांग्रेस पार्टी जरूर उदास है,उसके कारण हैं क्योंकि यहां तो कालाबाजारी,मुनाफाखोर और भ्रष्ट व्यापारी रहते हैं और वे सब के सब जनता पार्टी के साथ हैं।

  गांवों में हमारी स्थिति अच्छी है और प्रतिदिन स्थिति मजबूत होती जा रही है।’

  पर अन्य सूत्रों से प्राप्त सूचनाओं के अनुसार जिला कांग्रेस पार्टी भीतर -भीतर दो खेमों में बंट गई है और कांग्रेसी उम्मीदवार नीतीश्वर प्रसाद सिंह कार्यकत्र्ताओं का अभाव महसूस कर रहे हैं।

  कांग्रेस के एक व्यक्ति ,जिसका अपनी जाति में काफी प्रभाव माना जाता है,टिकट न मिलने के कारण क्षुब्ध है और तथा वे भीतर ही भीतर कांग्रेस उम्मीदवार नीतीश्वर प्रसाद सिंह के विरूद्ध काम कर रहे हैं।

  बोचहा और सकरा के दोनों हरिजन विधायक रमई राम और हीरालाल पासवान ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है।

  वे जनता पार्टी के लिए समर्थन जुटाने में लग गए हैं।

  इसके अतिरिक्त मुजफ्फर पुर जिले के कई भूतपूर्व सांसदों,विधायकों और युवा कांग्रेस के अनेक कार्यकत्र्ताओं ने दल से इस्तीफा दे दिया है और जनता पार्टी के उम्मीदवार के लिए काम करना प्रारंभ कर दिया है।

   छात्र आंदोलन के दौरान विश्व विद्यालय की नौकरी से निकाले गए आठ शिक्षक और दर्जनों छात्र जनता पार्टी की जीत के लिए दिन रात काम कर रहे हैं।

  इसके अतिरिक्त महाराष्ट्र से शरद राव, दिल्ली से सुषमा कौशल ,उत्तर प्रदेश से जगदीश लाल श्रीवास्तव, कलकत्ता से अशोक सेकसरिया अपने दर्जनों सहयोगियांे के साथ चुनाव कार्य में लगे हुए हैं।

  इसके अतिरिक्त श्री फर्नांडिस की मां एलिस फर्नांडिस ने महिलाओं का ध्यान आकृष्ट किया है।

  कांपती हुई बूढ़ी एलिस फर्नांडिस का हाथ जोड़ अपने तीन बेटों की रिहाई की खातिर वोट मांगना प्रभावोत्पादक दृश्य उपस्थित करता है।

   श्री फर्नांडिस का चुनाव कार्यालय बहुत ही चुस्त और कार्यकुशल दिखाई पड़ा।

श्री फर्नांडिस ने बड़ी संख्या में चुनाव साहित्य बंटवाए हैं।

श्री फर्नांडिस भले रिहा नहीं किए गए,पर वे अपने सहयोगियों से निरंतर संपर्क बनाए हुए हैं।

   एक सूचना के अनुसार श्री फर्नांडिस ने देश भर में फैले अपने प्रशंसकों और शुभचिंतकों को मुजफ्फर पुर चुनाव क्षेत्र में जाकर काम करने के लिए जेल से ही पत्र लिखे हैं।

  उन्होंने जनता पार्टी तथा जनतांत्रिक कांग्रेस के लगभग सभी बड़े नेताओं को पत्र लिख कर मुजफ्फर पुर पहुंचने का आग्रह किया है।

  यही कारण है कि मुजफ्फर पुर में जनता पार्टी की ओर से न तो बड़ी -बड़ी आम सभाओं की कमी हुई,न कार्यकत्र्ताओं की और न साधनों की।

  देश भर से छेाटी -छोटी रकम की मदद लगातार आ रही है।

  देश- विदेश के लगभग सभी समाचार पत्रों  ,संवाद समितियों तथा रेडियो-टेलीविजन संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने मुजफ्फर पुर का दौरा किया है।

   दुनिया भर के लोगों की आंखें मुजफ्फर पुर की ओर लगी हुई है जहां 16 मार्च को सुबह 7.30 बजे और शाम 4.30 बजे के बीच लगभग पौने सात लाख मतदाता बड़ौदा डायनामाइट मुकदमे के मुख्य अभियुक्त ,सोशलिस्ट पार्टी के अध्यक्ष तथा अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त मजदूर नेता श्री जार्ज फर्नांडिस के भाग्य का फैसला करेंगे।

  जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अब्दुला बुखारी ने श्री फर्नांडिस को लिखे पत्र में कहा है कि 

  ‘........हर सही सोचने वाला आदमी तुम्हारे कार्यों और जिस बहादुरी से तुम तानाशाह का सामना कर रहे हो,उसका आदर किए बिना नहीं रह सकता।तुम इस महान देश को दल -दल से निकालने की कोशिश कर रहे हो,तुम्हारी इस कोशिश में मैं तुम्हारे साथ हूं और तुम्हारी कामयाबी की कामना करता हूं।’

  श्री बुखारी के पत्र और पटना के उर्दू दैनिक ‘संगम’ के संपादक व ओजस्वी वक्ता श्री गुलाम सरवर के भाषणों का मुजफ्फर पुर की जनता खास कर अल्पसंख्यकों पर ,प्रभाव पड़ा है जिससे सी.पी.आइ.को क्षति पहुंची है।

  क्योंकि अब तक भाकपा को ही मुसलमानों के अधिकतर वोट मिलते रहे हैं।

  दूसरी ओर गंवई इलाकों में जातिवाद टूटा है।

  लोग छोटी -छोटी बातों से ऊपर उठकर परिवार नियोजन,पारिवारिक तानाशाही और आपातकाल की ज्यादतियों पर चर्चा करने लगे हैं।

 जनता पार्टी के प्रवक्ता ने बताया कि कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टियां जनता पार्टी की समर्थक भोली -भाली जनता को गाय बछड़ा और हंसिया बाल दिखा कर प्रचार कर रही है कि यही जनता पार्टी का चुनाव चिह्न है।

  प्रवक्ता के अनुसार जनता पार्टी के स्वयंसेवक इस भ्रम को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं।

 जनता पार्टी के उम्मीदवार के पक्ष में सबसे बड़ी बात यह है कि वे तिहाड़ जेल में बंद हैं और उनके समर्थकों ने इस स्थिति से सर्वाधिक लाभ उठाने की कोशिश की है।मुजफ्फर पुर निर्वाचन क्षेत्र में श्री फर्नांडिस के समर्थन में जारी किए गए पोस्टरों,परचों,पुस्तिकाओं और अन्य प्रचार सामग्री में उनके जेल जीवन को अधिकाधिक उभारा गया है।

  मतदाताओं पर इसकी अनुकूल प्रतिक्रियाएं हुई हैं।

  जेलनुमा पिंजरे में बंदी फर्नांडिस के हथकड़ी-बेड़ी लगे पुतले तथा पोस्टरों पर जेल में बंद हथकड़ी लगे दो हाथ लोगों का ध्यान अनायास अपनी ओर खींच लेते हैं।

  इससे जनता में उनके प्रति सहज सहानुभूति पैदा हो जाती है।

 इसके अतिरिक्त श्री फर्नांडिस की 66 वर्षीया बूढ़ी मां की मतदाताओं से मार्मिक अपील ,उनके भाई लाॅरेंस फर्नांडिस पर ढाए गए पुलिस जुल्म की खबर और स्वयं जार्ज फर्नांडिस द्वारा तिहाड़ जेल में अनिश्चितकालीन अनशन की खबर ने सामान्य जन जीवन को स्पर्श किया है जो धूम- धड़ाके के प्रचार से कहीं अधिक प्रभावकारी प्रतीत हो रहे हैं।

....................................................

जार्ज ने 1977 में कांग्रेस के नीतीश्वर प्रसाद सिंह को 3 लाख 34 हजार मतों से पराजित किया था।

............................................

--सुरेंद्र किशोर

   3 जून 21  


     2008 में भारत में सक्रिय थे 800 आतंकी कोषांग 

          ...........................................

        -- सुरेंद्र किशोर --

         ....................................................... 

देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (2005-10) एम.के.नारायणन ने सन 2008 में कहा था कि 

इस देश में करीब 800 टेरर सेल्स यानी आतंकी कोषांग सक्रिय हैं।

  जाहिर है कि उनका इशारा इस्लामिक टेरर सेल्स की ओर  था।

सवाल है कि जब सन 2008 में इतने अधिक कोषांग थे तो आज कितने हो गए होंगे ?

क्या मोदी सरकार इसके बारे में स्थिति स्प्ष्ट करेगी ?

.................................................

एम.के.नारायणन तब  सिंगापुर के एक अखबार से बातचीत में उक्त रहस्योद्घाटन किया था।

‘अल्ट्रा सेक्युलर’ मनमोहन सरकार की तरफ से ऐसी स्वीकृति पहली बार की गई थी।

इस 800 वाली चिंताजनक संख्या को देख कर कुछ लोगों को तब लगने लगा था कि शायद उन कोषांगों को नष्ट करने के लिए मनमोहन सरकार कुछ करेगी।

हालांकि यही सवाल जब संवाददाता ने सुरक्षा सलाहकार से पूछा था तो उसका वे कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे सके थे।

स्वाभाविक ही था।

क्योंकि उसी साल मुम्बई पर आतंकी हमले को कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह आर.एस.एस.का हाथ बता रहे थे।

   यदि कसाब पकड़ा नहीं गया होता तो दिग्विजय सदृश्य लोग सफल भी हो गए होते।

...........................................

अंत में 

मौजूदा सरकार से यह उम्मीद जरूर है कि वह लोगों को इस सवाल पर विश्वास में ले।

यह कि हमारे देश को मौजूदा सरकार अब तक कितना सुरक्षित कर पाई है।

वैसे इस मामले में अधिकतर लोगों को मोदी सरकार पर यह भरोसा है कि वह देश को आतंकियों के हाथों नहीं सौंपेगी।

हाल के वर्षों में आतंकी घटनाएं बहुत कम घटी हैं।यह बात भी मोदी सरकार में लोगों का भरोसा बढा़ती है। 

................................................  

9 जून 21


   जेहाद को लेकर पाक और बांग्ला देश का फर्क

  .........................................

    --सुरेंद्र किशोर--

  ..................................................

 बांग्ला देश की आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है।

आई.एम.एफ.के अनुसार, प्रति व्यक्ति जी.डी.पी.के मामले में तो वह भारत से भी आगे हो गया है।

दूसरी ओर, पाकिस्तान की जर्जर आर्थिक स्थिति के बारे में खबरें आती ही रहती हैं।

ताजा खबर यह है कि अपने कर्मचारियों को वेतन देने के लिए  पाकिस्तान सरकार को कर्ज लेना पड़ रहा है।

हां, खुफिया सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान ने जेहादियों के लिए हथियार खरीदने के लिए एक लंबी लिस्ट बनाई है।(राष्ट्रीय सहारा-4 जून 21)

पाक चीन से हथियार खरीद भी रहा है।

.....................................

बांग्ला देश और पाक का फर्क

...............................

 बांग्ला देश में भी जेहादी संगठन सक्रिय हैं।

 किंतु बांग्ला देश की सरकारी कार्यक्रम-नीति-नीयत में जेहाद शामिल नहीं है।

दूसरी ओर, जेहाद पाक सरकार के सरकारी एजेंडा में प्रमुखता से शामिल है।

   जब ऐसा है तब तो पाक को उसकी ‘कीमत’ चुकानी ही पड़ेगी !

देखना है कि आने वाले दिनों में उसे कैसी -कैसी कीमत चुकानी पड़ती है !

.....................................

4 जून 21 

   


बुधवार, 9 जून 2021

      पश्चिम बंगाल के साथ-साथ उत्तर 

      प्रदेश का बंटवारा भी जरूरी

       ...............................................

   छोटे राज्यों के मुख्य मंत्री बेहतर ढंग से 

कोविड जैसी विपत्ति का भी मुकाबला कर पाएंगे 

.....................................................................

          --सुरेंद्र किशोर--

       ........................................................ 

 यदि उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल को तीन -तीन हिस्सों 

में बांट दिया जाए तो एक साथ कई समस्याओं का समाधान मिल जाएगा।

  जो समस्याएं एक हद तक सुलझेंगी, उनमें राजनीतिक,

जातिगत , सांप्रदायिक , प्रशासनिक, महामारी तथा सुरक्षा संबंधी समस्याएं प्रमुख हैं।

.............................

साथ ही, मुख्य मंत्रियों /राज्यपालों/उप राज्यपालों के पद बढ़ जाएंगे।

पद की चाह या लोलुपता की समस्या भी तो इस देश में एक गंभीर समस्या है !

.......................................... 

.कई मामलों में कुछ नेता सुप्रीमो का भयादोहन करके पद हड़प लेते हैं।

 दूसरी ओर, सुप्रीमो जिस योग्य या अपने खास व्यक्ति को  पद देना चाहता है,उसके लिए पद बचता ही नहीं।

  राज्य के बंटवारें से अनेक नेताओं की उच्चाकांक्षा पूरी की जा  सकेगी।

मुख्य सचिव और डी.जी.पी.के पद भी बढ़ेंगे।

 इससे अफसर भी खुश होंगे।

हाईकोर्ट की संख्या बढ़ेगी।

मुकदमों के बोझ को कम किया जा सकेगा।

इसके अलावा भी बहुत कुछ होगा।

हां, बड़े राज्यों पर शासन चलाने का अवसर कुछ नेताओं के लिए हमेशा के लिए समाप्त हो जाएगा। 

........................................................

उत्तर प्रदेश-बंगाल के संभावित विभाजन को लेकर परस्पर विरोधी खबरें आ रही हैं।

कुछ लोग इसे फेक न्यूज बता रहे हैं तो कुछ लोग खबर के साथ कुछ ‘‘ठोस बातें’’ भी साझा कर रहे हैं।

कुछ बातें अति संवेदनशील हैं जो मैं यहां बता नहीं सकता। 

जो भी हो, बंटवारा करना न करना तो केंद्र सरकार के हाथ में है।

  मैंने तो ऊपर अपनी निजी राय बताई है।

मेरी यह राय कोविड विपत्ति के समय मुख्य मंत्रियों की परेशानी को लेकर भी बनी है।

बड़े राज्यों के मुख्य मंत्रियों की चिंताएं भी इस काल में बड़ी थीं।

 छोटे राज्यों के मुख्य मंत्री बेहतर ढंग से किसी आगामी महामारी-विपत्ति-अकाल  का भी सामना कर पाएंगे।

 सन 2000 में भी कुछ बड़े राज्यों को बांटा

 गया था।

....................................

8 जून 21




सोमवार, 7 जून 2021

 आस्ट्रेलिया के मेलबर्न मेडिकल काॅलेज 

के गेट पर लगी है प्राचीन भारतीय 

चिकित्सक सुश्रुत (छठी सदी ईसा पूर्व) की मूत्र्ति 

..............................

सुरेंद्र किशोर

................................

कल्पना कीजिए कि किसी का ब्रेन हेमरेज

हो गया।

या, हर्ट अटैक हो गया।

या, गोली लग गई।

या, सड़क दुर्घटना में बुरी तरह घायल हो गया।

 तत्काल उपचार के लिए आप उसे कहां ले जाएंगे ?

जाहिर है कि किसी एलोपैथिक चिकित्सक के यहां। 

या बड़े अस्पताल में जहां एलोपैथिक डाक्टर-सर्जन बैठते हैं।

........................................

लेकिन जब कोई इमजेंसी नहीं है तो आप अपने लिए होमियोपैथ या आयुर्वेदिक चिकित्सक की शरण में जा सकते हैं।अनेक लोग जाते ही रहते हैं।

.............................................

एक व्यक्ति सर्वाइकल स्पोंडोलाइटिस से परेशान था।

उसे एक एलोपैथिक डाक्टर मित्र ने ही बताया कि आप किसी कुशल होमियोपैथिक चिकित्सक के पास जाइए।

 क्योंकि एलोपैथ में सिर्फ पेन किलर व टै्रक्सन वगैरह का ही प्रावधान है।

उससे पहले उस मरीज ने हड्डी के बड़े एलोपैथिक चिकित्सक से सलाह ली थी।

उन्होंने अन्य बातों के अलावा यह भी कहा कि आप अनुलोम -विलोम भी करिए।

.....................................

उस मरीज ने होमियोपैथ चिकित्सक से सलाह ली।

चिकित्सक ने दो दवाएं बताईं।

संभवतः  एक दवा पेन किलर के लिए और दूसरी दवा पीड़ित हिस्से की मरम्मत करने के लिए।

उस मरीज को अब राहत है।

अब उसे टैक्सन पर नहीं जाना पड़ता।

यह नहीं पता कि मरम्मत हो पा रही है या नहीं।

..........................................

एक मरीज को कोलोस्ट्राॅल बढ़ जाने की शिकायत थी।

उसे कहा गया कि इसकी एलोपैथ दवा लेने से उसका साइड इफेक्ट होगा।

आयुर्वेद सुरक्षित है।

उसे आयुर्वेद की दो दवाएं बताई गईं।

उसने दोनों दवाएं लीं।

कुछ महीनों तक लेने से उसका कोलोस्ट्राल सामान्य हो 

गया।

....................................

इस तरह के कई अन्य उदाहरण दिए जा सकते हैं।

इसलिए सर्वधारा चिकित्सा पद्धति में भरोसा कीजिए।

सभी पैथों का सम्मान कीजिए।


पता नहीं,कब किस पैथ की जरूरत आ पड़े !

विभिन्न पैथों के दिग्गजों को आपस में लड़ने दीजिए।

.................................

आयुर्वेद को लोअर कोर्ट,

होमियोपैथ को हाईकोर्ट

और एलोपैथ को सुप्रीम कोर्ट मानिए।

..........................................

यह भी याद रखिए कि मेलबर्न विश्व विद्यालय के मेडिकल काॅलेज के मुख्य द्वार पर यदि वैद्यराज सुश्रुत की मूतिर्त लगी है तो वे लोग कितने उदारमना और व्यावहारिक हैं ! 

.................................

अंत में

न तो स्वामी रामदेव एलोपैथ की महत्ता को कम कर सकते हैं और न ही एलोपैथिक चिकित्सक योग-आयुर्वेद की बढ़ते महत्व को कम कर सकते हैं।

.............................................



  


रविवार, 6 जून 2021

 मतदान जरूरी बने  और

लोक सभा -विधान सभा के 

चुनाव साथ-साथ हों

..................................................

  --सुरेंद्र किशोर -- 

................................................   

  --1--

  कोविड महा विपत्ति ने एक बात की खास जरूरत 

बता दी है ।

 वह यह कि देश में पंचायत और विधान सभा से लेकर लोक सभा तक के चुनाव भी एक ही साथ कराएं जाएं।

  यदि पंचायत-नगर निकाय नहीं तो कम से कम लोस-विधान सभा चुनाव तो साथ-साथ कराए ही जा सकते है।

1967 तक साथ ही होते थे।

  इससे चुनाव का सरकारी-गैर सरकारी खर्च भी कम हो जाएगा।

विकास के काम भी कम रुकेंगे। 

साथ ही, संक्रामक बीमारियों को फैलने से रोका जा सकेगा।  

..................................

      2

  .........................

2014 मंे लालकृष्ण आडवाणी ने कहा था कि ‘‘जो मतदान न करे, उनका मताधिकार छीन लो।’’

  मैं वैसा तो नहीं कहूंगा।

किंतु ज्यादा से ज्यादा लोग मतदान करें ,इसके लिए शासन -चुनाव आयोग गाजर और छड़ी दोनों का इस्तेमाल करे।

  जो पिछले मतदान का प्रमाण पत्र यानी वोटर वैरिफाइड पेपर आॅडिट दिखाएं,उन्हंे  ही सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन देने और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने दिया जाए।

...........................................

यदि इस देश में भी 90-95 प्रतिशत लोग वोट डालने लगेंगे तो जातीय व सांप्रदायिक वोट बैंक की चुनाव में निर्णायक भूमिका नहीं रह जाएगी।

....................................

जो सरकार जातीय या सांप्रदायिक वोट बैंक के सहारे सत्ता में आती है, आम तौर पर वह सुशासन नहीं चला सकती।

................................

जबकि, सतत  विकास के लिए इस गरीब देश में सुशासन अत्यंत जरूरी है।

इस देश की सबसे बड़ी समस्या भ्रष्टाचार है।

..............................................

 6 जून 21


 नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने कहा था कि

‘‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।’’

आज के कुछ नेता कुछ खास लोगों से कह रहे हैं कि 

‘‘तुम हमें वोट दो,

हम तुम्हें इस देश को टुकड़े -टुकड़े करने की आजादी देंगे।’’

--सुरेंद्र किशोर

6 जून 21


 


    जन भावना व सरजमीन से कटे नेतागण

   ..............................................

     --सुरेंद्र किशोर--

   .............................................  

पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी.चिदंबरम ने कहा कि नोटबंदी लागू करके केंद्र सरकार ने देश के 45 करोड़ लोगों की आर्थिक कमर तोड़ दी।

-- प्रभात खबर - 14 दिसंबर 2016

....................................

2017 में उत्तर प्रदेश विधान सभा का चुनाव हुआ।

राजग को वहां की विधान सभा में तीन- चैथाई बहुमत मिल गया।

.................................

इस रिजल्ट से यह साबित हो गया कि नोटबंदी से किसकी कमर टूटी थी !!

पूर्व वित्त मंत्री साहब ,सरजमीन से कितना कट चुके हैं आप !

........................................

2017 में जी.एस.टी.लागू की गई।

उस पर राहुल गांधी ने कहा कि जी.एस.टी.तो गब्बर सिंह टैक्स है।

उसके तत्काल बाद गुजरात विधान सभा का चुनाव हुआ।

भाजपा वहां एक फिर सत्ता में आ गई।

........................................

बिहार विधान सभा चुनाव से ठीक पहले लाखों मजदूर पैदल ही दिल्ली -पंजाब और अन्य जगहों से बिहार-उत्तर प्रदेश लौट रहे थे।

उन मजदूरों की मर्मांतक पीड़ा की मार्केंटिंग करके अनेक प्रतिपक्षी नेतागण बिहार चुनाव को लेकर भविष्यवाणियां कर रहे थे।

.................................

पर, राजग बिहार में एक बार फिर सत्ता में आ गया।

..............................

अब कोरोना विपत्ति को प्रतिपक्ष ने राजनीतिक हथियार बना रखा है।

उत्तर प्रदेश के भावी चुनाव (2022) व 2024 के लोस सभा चुनाव के लिए।

देखना है आगे -आगे क्या होता है !

....................................

वैसे अपवादों को छोड़ कर पिछले चुनाव रिजल्ट

यही बताते हैं कि अधिकतर मतदातागण सत्ताधारी की मंशा व नीयत देखते हैं।

यदि कोई सरकार चलाता है तो वह यदि अच्छे काम करता है तो भी उससे कुछ कमियां -गलतियां भी जाने-अनजाने  होती ही रहती हैं। 

......................................... 

 मान लीजिए कि आप के यहां अक्सर करीब आधा दर्जन मित्र चाय पर गपशप करने आते हैं।

उनके लिए तो आपके यहां चाय,दूध, चीनी आदि की व्यवस्था रहती ही है।

 पर किसी दिन यदि आपके 100 परिचित व उनके मित्र पूर्व सूचना दिए बिना आ धमकें और तुरंत चाय पिलाने की जिद करने लगें तो क्या आप उन्हें चाय पिला पाएंगे ?

..............................

कोविड विपत्ति वैसी ही एक अचानक विपदा है।

...............................

लोक सभा व विधान सभाओं के कितने सदस्यों ने पिछले दो -तीन वर्षों में देश व राज्यों की स्वास्थ्य सेवाओं पर सदन में सवाल पूछे हैं ?

  कितनों ने इस पर आधे घंटे की चर्चा की मांग की है ?

कितनों ने जीरो आॅवर में जर्जर स्वास्थ्य व्यवस्था का मामला उठाया है ?

 कितनों ने ध्यानाकर्षण सूचना दी है ?

...............................

शायद ही किसी ने दी होगी जबकि इस देश की स्वास्थ्य संरचनाओं की दुर्दशा का हाल सबको मालूम है।

.........................

पर अधिकतर जन प्रतिनिधियों की प्राथमिकताएं बदल चुकी हैं।

सदन में हल्ला-गुल्ला करके अपनी उपस्थिति जताने के अलावा कितने लोग सार्थक चर्चा में रूचि रखते हैं ?

प्रश्न,ध्यानाकर्षण,जीरो आवर और आधे घंटे की डिबेट से सरकार पर दबाव बनता है। कई बार सरकारें अपनी गलती सुधारने व कुछ बेहतर करने को मजबूर हो जाती है।

...............................

--सुरेंद्र किशोर

5 जून 21 


शुक्रवार, 4 जून 2021

 


इथेनाॅल उद्योग के विस्तार से देश के किसानों की बढ़ जाएगी आमदनी -सुरेंद्र किशोर

...............................................

आजादी के तत्काल बाद ही जो काम प्रारंभ हो जाना चाहिए था,वह काम बड़े पैमाने पर अब शुरू हो रहा है।

आजादी के समय ही ग्रामीण पृष्ठभूमि वाले नेतागण तत्कालीन केंद्र सरकार को यह सलाह दे रहे थे कि पहले कृषि के विकास पर ध्यान दीजिए।

उससे किसानों की क्रय शक्ति बढ़ेगी।

नतीजतन उद्योग के विकास में भी गति आ जाएगी।

तब देश के 76 प्रतिशत लोग खेती पर निर्भर थे।

किंतु उस सलाह को नजरअंदाज कर दिया गया।

समुचित कृषि विकास की जगह छोटे -बड़े उद्योग लगाए गए।

भाखड़ा नांगल डैम अपवाद था।

इस देश में आज भी बहुमत किसानों का है।

सवाल है कि किसानों की आय नहीं बढ़ेगी तो कारखानों में उत्पादित सामग्री के खरीदार कितने होंगे ?

  आजादी के करीब सात दशक बाद अब किसानों की आय बढ़ाने की गंभीर कोशिश हो रही है।

हालांकि यहां यह नहीं कहा जा रहा है कि पहले कोई कोशिश हुई ही नहीं।

हुई जरूर, किंतु वह नाकाफी साबित हुई।

  इथेनाॅल उद्योग के विस्तार की दिशा में केंद्र सरकार के साथ -साथ बिहार सरकार भी सक्रिय है।

  बल्कि इथेनाॅल नीति बनाने वाला बिहार देश का पहला राज्य था।

 बिहार में इथेनाॅल उद्योग लगाने के करीब दो दर्जन प्रस्ताव मिल चुके हैं।

  डेढ़ दर्जन प्रस्तावों को राज्य सरकार ने मंजूरी भी दे दी है।

अभी इस उद्योग का और विस्तार होना है।

इथेनाॅल के उत्पादन में छोआ(गन्ना) के अलावा अनाज भी कच्चा माल के रूप में इस्तेमाल होगा।

स्वाभाविक है कि इससे किसानों की आय पहले से अधिक बढ़ेगी।

   जिस करखनिया माल की खरीदारी किसान नहीं कर पा रहे थे ,आय बढ़ने के बाद उसकी भी खरीदारी करेंगे।

उससे कारखानों का भी विस्तार होगा।

   .....................................  

भूमि अधिग्रहण मुआवजा 

 विवाद सुलझाए सरकार  

................................................

शेरपुर-दिघवारा गंगा पुल के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया जारी है।

गंगा के दक्षिणी हिस्से में तो अधिग्रहण में संभवत कोई समस्या नहीं है।

किंतु उत्तरी हिस्से के भूमिधारियों को लगता है कि उनके साथ शासन न्याय नहीं कर रहा है।

सारण जिले के दिघवारा नगर पंचायत क्षेत्र के मीरपुर भुआल और सैदपुर दिघवारा मौजे  की लगभग 27 एकड़ जमीन का अधिग्रहण होना है।

 गत साल हुए गजट प्रकाशन में भूमि को कृषि भूमि लिखा गया ।

इसी पर भू स्वामियों की आपत्ति है।

क्योंकि अब दिघवारा नगर पंचायत की जमीन कृषि भूमि नहीं बल्कि आवासीय और व्यावसायिक घोषित है।

इसी आधार पर भूमि स्वामी सरकार को राजस्व दे रहे हैं।

इसी आधार पर भूमि का निबंधन भी हो रहा है।

तो फिर मुआवजा के लिए इस भूमि को कृषि भूमि क्यों माना जा रहा है ?

............................

एस.पी.हो तो राकेश दुबे जैसा !

 .................................

बिहार के भोजपुर जिले के एस.पी.राकेश दुबे से मेरा कोई परिचय नहीं है।

पर, मैं उनकी कत्र्तव्य परायणता व निर्भीकता के बारे में निष्पक्ष लोगों से सुनता रहा हूं। 

  भोजपुर के एस.पी.के रूप में इन दिनों वे जैसा काम कर रहे हैं,वैसा ही काम किसी जिले के एस.पी.को करना चाहिए।

खासकर समस्याग्रस्त जिले में।

इससे न सिर्फ पुलिस की इज्जत जनता में बढ़ती है,बल्कि शांति-व्यवस्था बेहतर रहने पर लोगों का विकास भी होता है। 

किंतु अफसोस है कि वैसा काम कम ही अफसर अब कर पाते हैं।

  कुछ दशक पहले ऐसे एस.पी. की संख्या आज की अपेक्षा कुछ अधिक हुआ करती थी।

उनमें डी.एन.गौतम और किशोर कुणाल के नाम प्रमुख हैं।

इन लोगों के कार्यकाल में बड़े -बड़े अपराधी वह जिला छोड़ देते थे जिन जिलों में श्री गौतम व श्री कुणाल की तैनाती होती थी। 

...................................

भूली बिसरी याद

.................................

सन 1975 के जून का महीना ऐतिहासिक घटनाओं के लिए चर्चित रहा।

उन दिनों जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में आंदोलन जारी था।

 5 जून, 1975 को बिहार के राज्यपाल को ज्ञापन दिया गया।

उस ज्ञापन में विधान सभा भंग करने की मांग थी। 

जब हजारों लोग गवर्नर को ज्ञापन देकर लौट रहे थे तो जुलूस के एक ट्रक पर पटना के बेली रोड पर गोलियां चलाई गई।एक विधायक के सरकारी आवास से गोलियां चली थीं।

उस कारण वह विधायक गिरफ्तार भी हुआ।

  उस घटना से आम लोगों में गुस्सा बढ़ा।

उसी साल 12 जून को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इंदिरा गांधी का लोक सभा चुनाव खारिज कर दिया।

12 जून को ही यह खबर आई कि कांग्रेस गुजरात विधान सभा चुनाव हार गई।

25 और 26 जून के बीच की रात में देश में इमरजेंसी लगा दी गई।

जयप्रकाश नारायण सहित प्रतिपक्ष के लगभग सारे बड़े नेता गिरफ्तार करके देश के विभिन्न जेलों में भेज दिए गए।अखबारों पर कड़ा सेंसर लगा दिया गया।

किसी एक महीने में एक साथ इतनी बड़ी- बड़ी घटनाएं नहीं हुईं।

...................................

    और अंत में

    .............................

बिहार में एक बार फिर यह मांग उठ रही है कि पंचायत चुनाव दलीय आधार पर होना चाहिए।

यह मांग सही लगती है।

यदि ऐसा हुआ तो पंचायत व नगर निकाय स्तरों के जन प्रतिनिधियों पर राजनीतिक दलों का नियंत्रण रहेगा।

आज तो किसी तरह का नियंत्रण नहीं है।

साथ ही, राजनीतिक कार्यकत्र्ताओं की व्यावहारिक ट्रंेनिंग पंचायत स्तर से ही शुरू हो जाएगी।

पूर्व केंद्रीय मंत्री हुकुमदेव नारायण यादव अपने गांव के मुखिया रह चुके थे।

 ..........................................

कानोंकान

प्रभात खबर

पटना 4 जून 21


   सरकारी भ्रष्टाचार देशद्रोहियों की राह कर रहा आसान

    ..................................................

      --सुरेंद्र किशोर--

   ............................................... 

इसी साल जनवरी में भी चीन के एक सार्वजनिक संस्थान के वित्त पदाधिकारी को फांसी की सजा दे दी गई।

 उस पर रिश्वत लेने का आरोप था।

2013 में चीन के रेल मंत्री को भ्रष्टाचार के आरोप में फांसी की सजा हुई थी।

  बाद में उस सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया।

....................................................

  दूसरी ओर, भीषण भ्रष्टाचार के प्रति भी हमारी सहनशीलता देखिए !

चर्चित कोयला घोटाले में एक आई.ए.एस.अफसर को सन 2018 में 3 साल की सजा हुई।

सन 2019 में दूसरे कोर्ट ने उसे  सजामुक्त भी कर दिया।

उसी कांड में लिप्त अन्य बड़े दोषियों को अभियोजन ने छुआ तक नहीं। 

...................................

  चीन की सीमा से उस देश में यदि कोई अवैध तरीके से घुसने की कोशिश करता है तो चीनी संतरी तत्काल उसे गोली मार देते हैं।

इसके विपरीत बांग्ला देश सीमा पर तैनात हमारे बी.एस.एफ.जवानों को गोली चलाने का अधिकार तक नहीं है।

द्विपक्षीय समझौते के तहत ऐसा बंधन लगा है।

ऐसा समझौता किस साल की हमारी सरकार ने किया ?

उसी सरकार ने किया होगा,जिसके लिए घुसपैठिए वोट बैंक रहे हैं।

.................................

  हमारे देश में बांग्ला देशी व रोहिंग्या घुसपैठियों की संख्या 

अब बढ़कर करीब 5 करोड़ हो चुकी है।

(यह संख्या सुप्रीम कोर्ट के वरीय वकील 

अश्विनी उपाध्याय की तत्संबंधी जन हित याचिका में दर्ज है।)

हमारे यहां के भ्रष्ट सरकारी अफसर उनसे रिश्वत ले लेकर उन्हें राशन कार्ड,मतदाता पहचान पत्र और आधार कार्ड भी बना दे रहे  हैं।

..............................................

इस सत्य कथा का ‘मोरल’ यह है कि यदि इस देश को ‘‘टुकड़े टुकड़े गिरोह’’ के कब्जे में जाने से बचाना हो तो हमारी सरकार को चाहिए कि वह आय से अधिक संपत्ति और

बेनामी संपत्ति रखने वालों के लिए फांसी की सजा का तत्काल प्रावधान करे।

विदेशों से आने वाले धन पर और अधिक कारगर रोक लगाए।

भीतरी बातों के जानकार लोग बताते हैं कि इन दिनों इस देश में सारी राष्ट्रद्रोही गतिविधियां विदेशी फंडिंग व देशी काला धन के बल पर ही चल रही है।

कश्मीर में पैसे आने बंद हो गए तो वहां पत्थर फेंकने वाले मुफ्त में नहीं मिल रहे हैं।

दूसरी ओर

सरकारी सूत्रों के अनुसार शाहीन बाग वालों को विदेश से करीब सवा सौ करोड़ रुपए मिले थे।

  ........................................................

भ्रष्टाचार की बुराई पर भरसक काबू पाकर ही चीन सरकार सार्वजनिक साधनों को लूट से बचा पा रही है।

उन्हीें साधनों के बल पर वह येन केन प्रकारेण चीन ‘‘दुनिया का दारोगा’’ बनने की कोशिश में है।

दूसरी ओर, हमारी सरकार  अपने देश में फैले भ्रष्टाचारियों,देश तोड़कों  व जेहादियों के खिलाफ काफी नरम हैं।

कानून भी लचर है।

  इस बीच ‘सिद्धांतों’ के लवादे में लिपटे इस देश के विभिन्न पेशों में सक्रिय देश विरोधी तत्व, मजबूत होते जा रहे हैं।

............................................

4 जून 21