एक तरफ कांग्रेस मुरझा रही है तो दूसरी ओर भाजपा का हौसला सातवें आसमान पर है। ऐसे में जनता परिवार का महामोर्चा आज के समय की जरुरत थी। वह पूरी हुई।
स्वस्थ लोकतंत्र के लिए भी यह जरुरी है कि विपक्ष भी मजबूत हो।
मुलायम सिंह यादव के यहां जुटे नेताओं का मंसूबा तो विभिन्न दलों में बिखरे पूरे जनता परिवार को एक बार फिर एक दल में शामिल कर देने का है। साथ ही वे यह भी चाहते हैं कि सभी गैर भाजपा -गैर कांग्रेस दल मिलकर काम करें। यह ऊंचा लक्ष्य है। पर फिलहाल जो कुछ भी वे कर पाए हैं, उसे भी सही दिशा में सही कदम ही माना जाएगा।
याद रहे कि महाराष्ट्र और हरियाणा में भाजपा की जीत ने जनता परिवार को एक साथ बैठने का मजबूर कर दिया है।
एक और अच्छी बात यह हुई है कि जनता परिवार के नेताओं ने नीतीश कुमार को अपना प्रवक्ता बना कर मीडिया के सामने पेश किया है। संतुलित और समतल दिमाग के सुलझे हुए नेता की जनता परिवार कमी रही है। ऐसे में नीतीश कुमार उन्हें काम आएंगे।
फिलहाल नीतीश कुमार ने जो मुददे उठाए हैं, वे विवादास्पद नहीं कहे जा सकते। इन मुद्दों के जरिए मोदी सरकार को घेरने में सुविधा भी होगी। घनघोर जातिवाद, एकतरफा धर्मनिरपेक्षता का ओवरडोज, परिवारवाद और भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण जनता परिवार के अनेक नेताओं का इकबाल हाल के वर्षों में काफी घटा है। राजनीति व सरकार में इन तत्वों, बुराइयों व मुद्दों को निरुत्साहित करने की जरुरत जनता परिवार के समझदार नेताओं को पड़ेगी ।तभी वे भाजपा व खास तौर पर नरेंद्र मोदी का कारगर मुकाबला कर पाएंगे। क्या ऐसा वे कर पाएंगे ?
सपा,राजद,इनेलोद,जदयू और जद (एस) के नेताओं की बैठक के बाद नीतीश कुमार ने मीडिया से जो कुछ कहा,उससे तो यह साफ लगा कि वे विवादास्पद मुद्दों को किनारे ही करना चाहते हैं।यह शुभ संकेत है।
उपर्युक्त दलों के अधिकतर नेता कभी समाजवादी नामधारी पार्टी में रहे हैं। उनके आदर्श पुरुष गांधी, लोहिया और जय प्रकाश रहे हैं।
बुधवार को पटना में अपनी पार्टी की बैठक में नीतीश कुमार ने कहा भी था कि हमारी विचारधारा गांधी,लोहिया और जयप्रकाश नारायण के विचारों पर आधारित है। उम्मीद है कि महामोर्चा के लिए काम करते हुए नीतीश कुमार तथा जनता परिवार के अन्य नेतागण इस बात को याद रखेंगे।
राजनीतिक प्रेक्षकों के अनुसार महामोर्चा को यह बात अच्छी तरह समझ लेनी होगी कि कांग्रेस की किन कमजोरियों का लाभ उठा कर भाजपा या फिर कहिए नरेंद्र मोदी ने चुनावी सफलता पाई।
कांग्रेस की मुख्य कमजोरी यह रही कि उसके प्रथम परिवार में कोई भी कमी देखने की किसी स्तर के कांग्रेसकर्मियों को कोई इजाजत ही नहीं है। दूसरी कमी यह रही कि कांग्रेस की सरकारें आम तौर पर अन्य सरकारों से अधिक भ्रष्ट व अहंकारी रही।
अधिकतर मतदाताओं के अनुसार गत लोक सभा चुनाव में कांग्रेस की तीसरी और सबसे बड़ी गलती यह रही कि उसने एकतरफा व ढांेंगी धर्मनिरपेक्षता को मुख्य चुनावी मुददा बना दिया था।
इन मुद्दों पर गांधी,लोहिया और जय प्रकाश नारायण के विचारों, कर्मो और जीवन शैली को महामोर्चा अपना सचमुच आदर्श माने तो उसे भाजपा सरकार का मुकाबला करने में सुविधा होगी। इस मामले में भारत का संविधान भी महामोर्चा के नेताओं के लिए बढि़या दिशा निदेशक का काम कर सकता है।
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