संकेत समझिए और सावधान हो जाइए !
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वोट के लिए देश को बेचनेवालों का बहिष्कार करें
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अन्यथा,फिर पछताने से कुछ नहीं होगा,
जब चिड़िया खेत चुग जाएगी !
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सुरेंद्र किशोर
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सन 1998 में एल.के.आडवाणी को मारने के लिए तमिलनाडु के कोयम्बतूर में जेहादियों ने भारी सिरियल विस्फोट किये थे।
आडवाणी तो बच गये ,पर 58 मर गये । 231 घायल हुए।
उस जघन्य कांड के सजायाफ्ता मास्टर माइंड सैयद बाशा का इसी सोमवार को निधन हुआ।
मंगलवार को उसका जनाना निकला।उसमें हजारों मुसलमानांे
ने हिस्सा लिया।उन लोगों ने उसे हीरो की तरह विदाई दी।खास नारे भी लगे।राज्य सरकार के अनुकूल होने का उन्हें लाभ मिला।
समझ लीजिए कि अधिकतर मुसलमान (सबको दोषी नहीं बता रहा हूं।)क्या चाहते हैं !
वही चााहते हैं जो बाशा चाहता था।
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सन 1993 के बंबई सिरियल बम विस्फोटांे के अपराधी याकूब मेमन की सन 2015 में मृत्यु हुई।मुम्बई में निकली उसकी शव यात्रा में 15 हजार मुसलमान शामिल हुए थे।
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कश्मीर में तो यह दृश्य अक्सर देखा जाता रहा है।अब थोड़ा सा फर्क वहां जरूर आया है।
कश्मीर में जहां पहले आतंकी
शरण लेते थे,उन घरों में से अनेक घरों के लोग अब उनके खिलाफ पुलिस को सूचना दे रहे हैं।
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26 नवंबर 2008 को बंबई के ताज होटल तथा अन्य स्थानों पर बड़ा आतंकी हमला हुआ था।बीस सुरक्षाकर्मियों सहित 174 लोग मरे।
उनमें 26 विदेशी थे।
उसके एक अपराधी तहव्वुर राणा को अमेरिका से भारत लाने की भारत सरकार लगातार कोशिश कर रही है।
उसके प्रत्यर्पण के संबंध में वहां की अदालत मंे मामला चल रहा है।
अमेरिकी सरकार ने उस अदालत से कल कह दिया कि वह राणा को भारत भेजने के पक्ष में है।
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दरअसल अमेरिकी सरकार भारत में सक्रिय जेहादियों को सजा दिलाने के पक्ष में है।पर खुद भारत के कुछ वोट लोलुप नेताओं व बुद्धिजीवियों आदि ने बंबई में हुए नर संहार पर क्या रुख अपनाया ?
सहारा प्रकाशन समूह के उर्दू अखबार के संपादक बर्नी ने एक तब किताब लिखी थी जिसका नाम है--‘‘26-11 आर.एस.एस.साजिश’’।
उस किताब का लोकार्पण मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्य मंत्री दिग्विजय सिंह ने किया।
आर.एस.एस.ने बर्नी पर मानहानि का मुकदमा किया। बर्नी को अपनी गलती के लिए माफी मांगनी पड़ी।
पर लोकार्पण समारोह में शामिल सिंह व अन्य को कोई सजा नहीं मिली।जबकि उन लोगों ने उस घटना में संघ को फंसाने व पाकिस्तान को दोषमुक्त करने की लगातार कोशिश की थी।
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1978 में जिस तरह संभल (यू.पी.)के जेहादियों ने वहां के हिन्दुओं को मार कर भगाया,मंदिर ध्वस्त किये,उस केस में अब तक किसी को कोई सजा नहीं हुई।याद कर लीजिए 1978 के बाद यू.पी.में कि किन-किन दलों की सरकारें थीं।
1978 में संभल में दो दर्जन हिन्दुओं को जिन्दा जलाया गया था।कुल मृतकों की संख्या तब वहां 184 रही।सारे के सारे मृतक हिन्दू ही थे।एक तरफा नर संहार था।
अब योगी सरकार उन मुकदमों को फिर से खोलवाने की कोशिश कर रही है।
कहा जाता है कि कश्मीर से नब्बे के दशक में लाखों हिन्दुओं को जेहादियों ने जो भगाया,वह आइडिया उन लोगों ने संभल से ही लिया था।
देश के अन्य कई हिस्सों में ऐसे छोटे बड़े कांड हो रहे हैं या नहीं,इसकी पड़ताल न तो मीडिया कर रहा है न ही कोई सरकार ही।आई.बी.को इस दिशा में सघन काम करना चाहिए।संदेश खाली (पश्चिम बंगाल)का मामला ताजा है।
वैसे छिटपुट खबरें आती हरती हैं।
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अभी बांग्ला देश में जिस तरह हिन्दुओं का संहार हो रहा है,वह देखकर किसी को यहां आने वाले खतरे के बारे में कोई गलतफहमी नहीं रहनी चाहिए।
भारत के जिन इलाकों में मुसलमानों की आबादी बढ़ती जा रही है ,वहां भी देर-सबेर वही सब होने वाला है।किसे मालूम कि वहां अभी नहीं हो रहा है !
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जेहादियों का लक्ष्य विश्व व्यापी है।
इजरायल बनाम मुस्लिम देश युद्ध में तीसरी बार भी इजरायल जीतता नजर आ रहा है।फिर भी जेहादी वहां रह -रह कर तब तक युद्ध शुरू करते रहेंगे जब तक इजरायल को इस्लामिक देश न बना दें।पर इजरायल भारत की तरह नरम देश नहीं है।वहां भारत जितने जयचंद भी नहीं है।सिर्फ एक करोड़ की आबादी वाले देश से हमें सीखना चाहिए।
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कहानी का मोरल
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भारत के जेहादियों को वोट के लिए जिन गैर मुस्लिम तत्वों-नेताओं -दलों-बुद्धिजीवियों से मदद मिल रही है,उन तत्वों का सामाजिक व राजनीतिक बहिष्कार जब तक नहीं होगा ,जेहादी लोग संभल की तरह ही जहां मौका मिलेगा,गैर मुस्लिमों को उजाड़ते-मारते रहेंगे।
संभल तो आज सबको दिख रहा है ।पर भारत के वे गांव और मुहल्ले नहीं दिख रहे हैं जहां बहुमत बनाकर जेहादी तत्वों ने ,गैर मुस्लिमों का जीना हराम कर रखा है।वैसी जगहें बंगाल और केरल में अधिक हंै।
कोलकाता के मेयर फरहाद हकीम ने एक बार विदेशी पत्रकार को बताया था कि चलिए आपको यहां पश्चिम बंगाल का एक पाकिस्तान दिखाता हूं।उनका इशारा मुस्लिम बहुल मुहल्ले से था।
सलमान खुर्शीद और मणि शंकर अय्र सार्वजनिक रूप से यह कह चुके हैं कि जो कुछ बांग्ला देश में हो रहा है,वही सब एक दिन भारत में भी होगा।
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(इस पोस्ट के साथ में, गाजा पट्टी की दुर्दशा का एक चित्र है।दुर्दशा के बावजूद इजरायल से जेहादी युद्धरत हैं।जेहाद के चक्कर में पाक में आटे तक की किल्लत है,फिर भी पाक के जेहादी सरकार गैर मुस्लिमों को बर्बाद करने का सपना देखती रहती है।लगता है कि जेहादी तत्व बांग्ला देश को भी बर्बाद करके ही रहेंगे।)
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20 दिसंबर 24