बांग्ला देश की घटनाओं ने दे दी सीख
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बांग्ला देश में हुए -हो रहे अल्पसंख्यक संहार-
बलात्कार के बाद भारत में जो भी चुनाव हो
रहे हैं, उनमें भाजपा गठबंधन ही जीत रहा है।
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सुरेंद्र किशोर
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गत साल अगस्त में बांग्ला देश में सत्ता पलट हुआ।
जेहादी मानसिकता वाले नये सत्ताधारियों ने उसके बाद वहां के अल्पसंख्यकों का भारी संहार किया।उनकी महिलाओं के साथ दुष्कर्म किया।आगजनी की।वहां से लगातार महिलाओं की चीत्कार सुनी गई।
वे सारे चीत्कार सहित लोमहर्षक दृश्य भारत के लोगों ने अपने -अपने टी.वी.सेटों पर देखे।
वह सब देखकर भारत के बहुसंख्यक समुदाय के लोग मध्य युग के अपने पूर्वजों की अपार दुर्दशा-पीड़ा की कल्पना कर रहे थे।साथ ही, नब्बे के दशक में कश्मीर में हुए हिन्दू संहार-बलात्कार की गंभीरता की कल्पना भी कर रहे थे।
कश्मीर और मध्य युग वाली घटनाओं के लोमहर्षक दृश्य तो यहां के आज के किसी ने तब नहीं देखे थे।
उसी बीच कांग्रेस के दो पूर्व केंद्रीय मंत्री मणिशंकर अय्यर और सलमान खुर्शीद ने बारी -बारी से सार्वजनिक रूप से यह भी कह कर जले पर नमक छिड़क दिया कि जो कुछ बांग्ला देश में हो रहा है,वह भारत में भी हो सकता है।
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उन घटनाओं पर योगी आदित्यनाथ ने कहा कि
‘‘बंटोगे तो कटोगे।’’
नरेंद्र मोदी ने कहा कि ‘‘एक रहोगे तो सेफ रहोगे।’’
इसका भी व्यापक असर हुआ।
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उसके बाद इस देश में मुख्यतः दो घटनाएं हुईं।
1.-महाकुम्भ में अभूतपूर्व भीड़ हुई।
2.-बांग्ला देश के तख्ता पलट सह व्यापक हिंसा के बाद भारत में जितने चुनाव हुए,सबमें एन.डी.ए.की ही जीत हुई।
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1.-हरियाणा में विधान सभा चुनाव--अक्तूबर, 2024
2.-नवंबर 24 में बिहार में 4 विधान सभा क्षेत्रों में उप चुनाव।
3.-महाराष्ट्र विधान सभा चुनाव-दिसंबर, 2024
4.-दिल्ली विधान सभा चुनाव-फरवरी, 2025
5.-यू.पी.का मिल्कीपुर विधान सभा उप चुनाव
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इस बीच कोई अन्य चुनाव हुआ हो तो बताइएगा।
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दूर -दूर तक फैले इन 5 राज्यों के चुनावों में लगातार विजय !
क्या यह संयोग है या बांग्ला देश से लोगों ने सबक
सीख ली ?
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मेरा तो मानना है कि बांग्ला देश के उन्मादी जेहादी हिंसा ने भारत के हिन्दुओं को अनजाने में जगा कर सीख दे दी।
मध्य युग के मुस्लिम आक्रांताओं की क्रूरता की लीपापोती करने वाले वामपंथी इतिहासकारों का रहा-सहा प्रभाव भी बांग्लादेश के उन्मादी जेहादियों ने भारतीय जन मानस से मिटा दिया होगा,ऐसी उम्मीद है।
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इस बीच और आगे यदि कोई राजनीतिक चमत्कार नहीं हुआ तो अगले किसी चुनाव में भी राजग विरोधी राजनीतिक शक्तियों का चुनावी भविष्य सीमित है।
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और अंत में
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बिहार के अगले चुनाव के बारे में कोई भविष्यवाणी करते समय
हाल के चुनावी इतिहास को याद कर लें।
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बिहार में तीन प्रमुख राजनीतिक शक्तियां हैं।
1.-राजद व सहयोगी
2.-भाजपा व सहयोगी
3.-जदयू व सहयोगी
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इन तीन में से जो भी दो शक्तियों आपस में मिलकर चुनाव लड़ती हैं,सरकार उसी की बनती है।
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याद रहे कि बांग्ला देश में हुए और रह-रह कर हो रहे हिन्दू संहार के दृश्य बिहार के लोग भी उसी चिंता के साथ अपने टीे.वी.सेटों पर देखते रहे हैं।
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