भारत एक देश या धर्मशाला ?
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बांग्लादेशी-रोहिंग्या घुसपैठिए इसलिए
आ रहे हैं क्योंकि ममता सरकार सीमा
पर बाड़बंदी के लिए जमीन नहीं दे रही है।
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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कल संसद में कहा कि
‘‘बंगाल सरकार बाड़बंदी के लिए जमीन नहीं दे रही है,इसलिए घुसपैठिए आ रहे हैं।’’
शाह ने यह भी कहा कि भारत कोई धर्मशाला नहीं, इसलिए कड़ी नजर रहेगी।
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सवाल है कि पश्चिम बंगाल में सन 2026 में होने वाले विधान सभा चुनाव का इंतजार भाजपा -केंद्र सरकार क्यों कर रही है ? क्या जरूरी है कि तब वहां भाजपा को सत्ता मिल ही जाएगी ?
उससे पहले राष्ट्रपति शासन क्यों नहीं ?
देश में इस्लामी शासन की आशंका को कम करना हो तो बंगाल में राष्ट्रपति शासन जरूरी है।
2026 तक तो और लाखों घुसपैठिए, जो वास्तव में जेहादी हैं,बंगाल के रास्ते हमारे देश में प्रवेश कर जाएंगे।
घुसपैठिए झारखंड के आदिवासी इलाकों में तो आादिवासी लड़कियों से शादी करके उनकी जमीन पर कब्जा करते जा रहे हैं।इस काम में झारखंड की सोरेन
सरकार का उन्हें समर्थन प्राप्त है।
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याद रहे कि अब तक करीब 8 करोड़ घुसपैठिए भारत के विभिन्न राज्यों में फैल चुके हैं।
प्रथम प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू ने अपना वोट बैंक बढ़ाने के लिए ही सीमा की तारबंदी की कोई कोशिश नहीं की।उनका बहाना था--घेराबंदी से दुनिया में भारत की छवि खराब होगी।
कई साल पहले पूर्व विदेश सचिव मुचकुंद दुबे ने एक टी.वी.डिबेट में यही बात कही थी।उस डिबेट में शिवसेना के संजय निरुपम भी थे।
दिवंगत दुबे ने कहा कि घेराबंदी से दुनिया में हमारी छवि खराब होगी।उस पर निरुपम ने पूछा--दुबे जी,आप भारत के विदेश सचिव थे या बांग्ला देश के ?’
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मुस्लिम वोट लोलुपता के कारण बंगाल की पहले वाम सरकार और बाद की ममता सरकार ने इस मामले में बंगाल व देश की स्थिति विस्फोटक बना दिया ।
ज्योति बसु सरकार की पुलिस ने
1979 में मरीचझांपी में शरण लिए हिन्दू बंाग्ला देशी शरणार्थियों को तो गोलियों से उड़ा दिया।दूसरी ओर मुस्लिम घुसपैठियों को पश्चिम बंगाल में मतदाता बनवा दिया।
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28 मार्च 25
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