मनरेगा को किसानों से जोड़िए
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सुरेंद्र किशोर
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मनमोहन सिंह केे कार्यकाल में तत्कालीन कृषि मंत्री शरद पवार ने
प्रधान मंत्री को यह सलाह दी थी कि मनरेगा को किसानों से जोड़ दीजिए।
क्योंकि मनेरगा की सुविधा के कारण किसानों को मजदूर मिलने में कठिनाई हो रही है।
पवार की मंाग थी कि इस योजना के तहत कार्यरत मजदूरों को आधी मजदूरी सरकार दे और बाकी आधी किसान भुगतान करंे।
उन्होंने यह भी सलाह दी थी कि कम से कम बुवाई और कटाई के समय मनरेगा को स्थगित रखा जाना चाहिए।
पर,सरकार ने उनकी सलाह नहीं मानी।
बाद के वर्षों में एक सर्वेक्षण नतीजा सामने आया था।
वह यह कि विकल्प मिले तो इस देश के 62 प्रतिशत किसान किसानी छोड़ देंगे।
क्योंकि खेती में पूंजी निवेश करने लायक पैसे किसानों के पास नहीं हैं।
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आम किसान कृषि
कानून के पक्षधर
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करीब चार साल पहले केंद्र सरकार ने तीन कृषि कानून लाये थे।
पर, सन 2021 में उन्हें वापस करना पड़ा।
सरजमीन की जानकारी रखने वालों के अनुसार वे कानून अच्छे थे।
पर,दबाव में वापस करना पड़ा।
उस कानून के कारण खेती में पूंजी निवेश बढ़ता।
उससे किसानों की आय बढ़ती और देश को भी लाभ होता।
सारण जिले के एक किसान के अनुसार प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी
की अन्न योजना ने मजदूर-उपलब्धता के मामले में किसानों की स्थिति को और चिंताजनक बना दिया है।
अब मजदूर मिलने में और भी दिक्कत हो रही है।
नतीजतन अनेक किसान अपनी जमीन ठेके पर लगा रहे हैं।
अगले लोक सभा चुनाव के बाद मोदी सरकार को चाहिए कि वह
उन कृषि कानूनों को फिर से लाये।
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आज के प्रभात खबर में प्रकाशित मेरे काॅलम ‘यदाकदा’ से
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