शुक्रवार, 13 नवंबर 2015

सुशासन और विकास को लेकर नीतीश पर भरोसा कायम

     तीव्र शाब्दिक प्रहार प्रति प्रहार के बीच पांच चरणों में चुनाव संपन्न हुए हंै। इससे तरह -तरह के तनाव पैदा हुए। लालू प्रसाद के बारे में शुभ संकेत मिल रहे हैं। वे अब विकास पर जोर दे रहे हैं। नीतीश कुमार तो पहले से ही ‘विकास पुरुष’ रहे हैं। हालांकि कुछ आशंकाएं भी हैं। इसके बावजूद हर तबके के विवेकशील लोगों का यह मानना है कि नीतीश कुमार  के हाथों  में राज्य के लोगों के हित सुरक्षित रहने की ही अधिक उम्मीद है।अनेक लोगों से बातचीत के बाद यह आम राय सामने आई है।

  सामाजिक और राजनीतिक तनातनी के बावजूद चुनाव के दौरान कोई बड़ी हिंसा नहीं हुई। भीषण चुनावी हिंसा के लिए कभी चर्चित रहे इस राज्य के पिछले ़कई चुनाव शांतिपूर्ण ही हुए हैं।इस बार भी ऐसा ही रहा जबकि  भीतर-भीतर तनातनी की खबरें आ रही थीं।इसका श्रेय चुनाव आयोग को तो है ही। साथ ही नीतीश  शासन को भी जाता है जिसने 2005 से ही भरसक कानून का शासन कायम रखा है।

  याद रहे कि पिछले दस साल से नीतीश सरकार ने न्याय के साथ विकास और सुशासन की राह पर बिहार को चलाया है।उसके अच्छे नतीजे भी सामने आये हैं।

  यदि लालू प्रसाद का साथ और तनावपूर्ण माहौल में हुए इस चुनाव के बाद अधिकतर लोगों का नीतीश शासन पर भरोसा कायम नजर आ रहा है तो इसका मुख्य कारण नीतीश कुमार का अपना पिछला रिकार्ड ही है।वह भरसक स्वच्छ शासन,विकास  और बेहतर कानून -व्यवस्था का रिकार्ड है।

  बिहार विधान सभा के इस खास तरह के चुनाव में एक साथ कई मुददों ने अपनी भूमिका निभाई है।पर यह बात विशेष तौर पर महत्वपूर्ण है कि नीतीश कुमार के खिलाफ एन्टी इन्कम्बेंसी यानी सत्ता के खिलाफ रोष की कोई भावना आम तौर पर नहीं देखी गई।जो  लोग महा गठबंधन को वोट नहीं दे रहे थे,उनका भी कहना था कि नीतीश कुमार ने अपने शासन काल में अच्छा काम किया है।

 गत लोक सभा चुनाव के समय भी अनेक मतदाताओं ने नीतीश कुमार से कहा था कि इस बार तो हम  नरेंद्र मोदी को वोट देंगे,पर विधान सभा के चुनाव में हम आपको ही  मदद करेंगे।तब देश में विशेष परिस्थिति थी।मन मोहन सरकार से लोगों को मुक्ति चाहिए थी।उन दिनों नरेंद्र मोदी ही मुक्तिदाता लग रहे थे। उन  मतदाताओं ने अपना वायदा निभाया और नीतीश को इस बार वोट दिये।

     यह उम्मीद की जा रही है कि अगले पांच साल में बिहार में और भी अच्छे काम होंगे।खुद नीतीश कुमार की यही इच्छा है।और बिहार की अधिकतर जनता भी चाहती है कि कानून -व्यवस्था बेहतर हो । विकास की गति तेज हो।लगता है कि  राज्य को विकसित देखने  की लोगों की  इच्छा काफी हद तक पूरी हो जाएगी ।

  बिजली और सड़क के मामले में पिछले दस साल में बिहार ने  तरक्की की है।उम्मीद की जा रही है कि अगले दो तीन साल में राज्य के घर -घर में बिजली पहुंच जाएगी।सड़कों के मामले में बिहार और भी बेहतर  स्थिति में होगा।इससे काफी फर्क पड़ेगा।बिजली और सड़क विकास के इंजन हैं।सरकार की मदद कम भी रहेगी तो आम लोग बिजली-सड़क के बूते अपने उद्यम बढ़ा सकते हैं।

पर खेतों की सिंचाई पर अधिक जोर देना होगा।उससे किसानों की आय बढ़ेगी।आय बढ़ने से उनकी क्रय शक्ति बढे़गी।क्रय शक्ति बढ़ने से वे कारखनिया माल खरीदने की स्थिति में होंगे।उससे कारखानों की संख्या बढ़ेगी।उद्योग बढ़ने से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
 पर इसके लिए यह भी जरुरी है कि सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार कम हो।
रिश्वतखोर बाबुओं के खिलाफ स्टिंग आपरेशन चलाना होगा।   इस बीच नीतीश कुमार के सात संकल्पों पर भी काम चल रहा होगा।

चुनाव नतीजे आने के तत्काल बाद राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद का यह कहना भी महत्वपूर्ण है कि  ‘महा गठबंधन विचारों और कार्यक्रम पर आधारित है।सरकार चलाने में मेरा कोई हस्तक्षेप नहीं होगा।’यह खबर भी उत्साहबर्धक और महत्वपूर्ण है कि  लालू प्रसाद अब विकास पर जोर दे रहे हैं।पर विकास के लिए जरुरी है कि राजद के लोग कानून -व्यवस्था बेहतर बनाने में नीतीश कुमार की पूरी मदद करें।

मुख्य मंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि हमारा कार्यक्रम पूर्व निर्धारित है।सबको साथ लेकर चलना है।सभी तबकों के वोट हमें मिले हैं।लोगों की उम्मीदों के अनुरुप ही हम काम करेंगे। केंद्र सरकार ने भी बिहार को मदद जारी रखने का वायदा किया है।
ये बातें बेहतर बिहार के लिए उम्मीदें जगाती हैं।
  (10 नवंबर 2015 )
   
   


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