शनिवार, 29 नवंबर 2025

 ‘मौके पर चैका’ लगाइए

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सम्राट चैधरी-विजय सिन्हा को इतिहास ने अच्छा मौका दिया है,उसका फायदा उठाइए,जनता को राहत पहुंचाइए।

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सुरेंद्र किशोर

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इतिहास ने बिहार के दोनों उप मुख्य मंत्रियों को आम जनता के बीच अत्यधिक लोकप्रिय बनने का अवसर दे दिया है।ऐसा अवसर कम ही लोगों को मिलता है।

देखना है कि उस अवसर का भरपूर लाभ सम्राट चैधरी और विजय कुमार सिन्हा उठाते हैं या नहीं।

वैसे मानना पड़ेगा कि सम्राट चैधरी की शुरूआत अच्छी है।पर उसे और तेजी से आगे बढ़ाने की जरूरत है।

अभी निकट भविष्य में बिहार में कोई चुनाव भी नहीं है।इसलिए निहितस्वार्थियों की परवाह करने की जरूरत नहीं है।

‘‘योगी माॅडल’’को अपना कर बिहार में अपराधियों -माफियाओं की सही ढंग से ठुकाई होती रहे तो जनता जंगल राज की कभी वापसी नहीं होने देगी।जनता गद् गद् रहेगी।

राज्य में उद्योगपति निवेश भी अधिक करेंगे।

अंचल अधिकारी राजस्व विभाग के

तहत आते हैं।आज बिहार की आम जनता अधिकतर अंचल कार्यालयों की भीषण घूसखोरी से बुरी तरह पीड़ित है।सब जानते हैं कि उसके लिए सिर्फ अंचल अधिकारी ही दोषी नहीं है।पहले रावण का अमृत कुंड को वाण से सुखाइए।

मुख्य मंत्री नीतीश कुमार से तालमेल बैठा कर यदि उप मुख्य मंत्री विजय कुमार सिन्हा अंचल कार्यालयों की घूसखोरी से लोगों को राहत दिला सकें तो हर जाति- बिरादरी के लोग विजय बाबू का गुणगान करेंगे।

यू.पी.की मुस्लिम महिलाओं को भी टी.वी.चैनलों पर यह कहते हुए सुना जाता है कि योगी बाबा के राज में हम महिलाएं रात के अंधरे में भी सड़कों पर निकल सकती हैं।योगी जी के सत्ता में आने से पहले ऐसा नहीं था।

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नेताओं को मौका मिला तो उसका लाभ उन लोगों ने जनहित में कैसे उठाया,उसके सबसे बड़े उदाहरण नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार हैं।

 मोदी जी जब गुजरात में शासन चला रहे थे,उन्हीं दिनों देश के विभिन्न कोनों से आवाज उठने लगी थी कि ‘‘मोदी का प्रधान मंत्री बनाओ।’’जनता ने पहले कहा,पार्टी ने पी.एम.का उम्मीदवार उन्हें बाद में बनाया।

मोदी के प्रधान मंत्री बनने से पहले की बात है। राम जेठमलानी रजत शर्मा के ‘‘आप की अदालत’’ कार्यक्रम में बोल रहे थे।

 जेठमलानी कह रहे थे कि मैं देश में जहां कहीं भी जाता हूं लोग मुझसे पूछते हैं कि मोदी को प्रधान मंत्री कब बना रहे हो ?

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नीतीश कुमार ने ईमानदारी,विजन और मेहनत से इतने अच्छे काम बिहार में किए जितना अच्छा काम पहले कभी नहीं हुआ था।इसलिए नीतीश के राजनीतिक विरोधी भी कहते हैं कि उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं है।इसे ही कहते हैं--सफल राजनीतिक जीवन।

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कांग्रेस ने वी.पी.सिंह को पहले मुख्य मंत्री बनाया।फिर केंद्र में मंत्री बनाया।

बोफोर्स सहित भ्रष्टाचार के ऐसे -ऐसे मामलों का उन्होंने भंडाफोड़ किया कि कांग्रेस छोड़ने के बाद जनता मांग करने लगी--वी.पी.को प्रधान मंत्री बनाओ।

बने भी।

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इस तरह जिन्होंने भी ‘‘मौके पर चैका’’ लगाया,वे जनता के हीरो बन गये।आप भी बन ही सकते हैं।

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27 नवंबर 25


सोमवार, 24 नवंबर 2025

 ‘‘संतोषम परम सुखम’’

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‘‘समय से पहले और भाग्य से ज्यादा

 कभी किसी को कुछ नहीं मिलता।’’

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 मूुझे तो वह सब भी मिला जिसकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी।

वह भी बिन मांगे और बिन चाहे।

मैंने सिर्फ काम किया,फल की कोई कामना नहीं की।न ही किसी से कोई याचना की।

मेरे साथ जो भी हुआ,उससे मेरा यह विश्वास पक्का हुआ कि ‘‘ईश्वर है’’जो न्यायप्रिय भी है। तभी तो यह सब मेरे साथ हुआ।

अतएव, आज मैं एक संतुष्ट व्यक्ति हूं।

---सुरेंद्र किशोर

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23 नवंबर 2025 


  ‘‘न्यूयाॅर्क में मामदानी मेयर चुने जा सकते हें लंदन में एक खान मेयर चुने

जा सकते हैं।लेकिन भारत में किसी विश्व विद्यालय का कुलपति मुस्लिम नहीं बन सकता।बनेगा भी आजम खान की तरह जेल भेजा जाएगा।अल फलाह में क्या हो रहा है ?’’

---मौलाना अरशद मदनी

प्रमुख,जमीयत उलमा -ए-हिन्द 

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‘‘भारत के तीन केंद्रीय विश्वविद्यालयों के वाइस चांसलर मुस्लिम हैं-- 

वे हैं डा.नइमा खातून,

डा.सैयद ऐनूल हसन


 और डा.मजहर आसिफ। 

---दिलीप सी. मंडल

इंडिया टूडे के पूर्व संपादक 

और लेखक

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शनिवार, 22 नवंबर 2025

 

 

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गुरुवार, 20 नवंबर 2025

 आतंक के खिलाफ कठिन हो रही लड़ाई

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सुरेंद्र किशोर

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जेहादी घुसपैठियों की संख्या और अधिक बढ़ा देने के लिए ही देश भर में तथाकथित सेक्युलर दल कर रहे मतदाता गहन पुनरीक्षण का विरोध

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उधर पूरे भारत में इस्लामिक शासन कायम करने के लिए जेहादियों ने युद्ध शुरू कर दिया है।दिल्ली का फिदाइन बम विस्फोट उसका ताजा नमूना है।

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बिहार में कांग्रेस तथा अन्य तथाकथित सेक्युलर दलों ने चुनाव से ठीक पहले मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण के काम का जोरदार विरोध किया था।चुनाव में बिहार के सजग मतदाताओं ने उन दलों को सबक सिखा दिया।बिहार के मतदाताओं ने यह समझ लिया था कि राजग विरोधी दलों की असली मंशा क्या है। 

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अब तथाकथित सेक्युलर दल 12 राज्यों में जारी मतदाता पुनरीक्षण का विरोध कर रहे हैं। जानकार लोग बता रहे हैं कि इन तथाकथित सेक्युलर दलों को लगता है कि यदि अवैध मतदाताओं के नाम हट गए तो उनका अगला चुनाव जीतना कठिन हो सकता है।उन 12 राज्यों में से अधिकतर राज्यों के मतदाताओं को अब यह समझ में आ रहा है कि 

पुनरीक्षण के विरोध के पीछे मंशा क्या है ?

 दूसरी ओर, चुनाव आयोग पुनरीक्षण पर अमादा है।क्योंकि यह उनका संवैधानिक दायित्व है।यदि  कुछ राज्य सरकारें यह काम आयोग को नहीं करने देगी तो चुनाव समय पर नहीं भी हो सकते हंैं।फिर तो वहां राष्ट्रपति शासन लागू हो जाएगा।

वैसे शासन में पुनरीक्षण भी हो जाएगा और स्वच्छ मतदान भी हो जाएगा।

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लेकिन घुसपैठियों के समर्थक दलों का वहां भी चुनावी भविष्य अनिश्चित हो सकता है जैसा बिहार में हुआ है।साफ संकेत हैं कि बिहार में गैर राजग दलों का सत्ता में आने का सपना ,अब सपना ही रहेगा।क्योंकि अगले पांच साल में मोदी-नीतीश की सरकारें मिलकर बिहार को कुछ और चमका देगी।

यदि बिहार की कानून -व्यवस्था यू.पी.की कानून व्यवस्था जैसी ही बना दी गयी तो बिहार में उद्योग भी लगेंगे।अभी बिहार में कानून-व्यवस्था सही नहीं है।बिहार में आए दिन अपराधी पुलिस को मारते और दौड़ाते हैं।

  उधर यू.पी.में अपराधी पुलिस से भागते हैं।इसलिए यू.पी.में नये -नये उद्योग खड़े हो रहे हैं।  

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पाकिस्तान में जेहादी मानसिकता वाले सेनाध्यक्ष को बहुत अधिक अधिकार दे दिए गए हैं ताकि वह भारत में ‘‘गजवा ए हिन्द’’ के काम को आगे बढ़ा सके।

पर हमारे देश के कुछ वोट लोलुप राजनीतिक दल यह नहीं चाहते कि देसी-विदेशी जेहादियों का सफलतापूर्वक इस देश में मुकाबला करने के लिए भारत सरकार को अधिक अधिकार मिले। 

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और अंत में

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जिस तरह बिहार में प्रतिपक्षी दलों ने कई कारणों से अपने राजनीतिक पैरों में कुल्हाड़ी मार ली है,उसी तरह राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिपक्ष अगले चुनाव में कमजोर होंगे,यह भी संकेत है।

इसलिए भारत सरकार और संसद इस बीच ऐसे -ऐसे कानून बनाए और तरह -तरह के प्रबंध करे ताकि जेहादियों,फिदाइनों और गजवा ए हिन्द के लश्करों का सफलतापूर्वक मुकाबला किया जा सके।संविधान के अनुच्छेद-30 की समाप्ति उस दिशा में पहला कदम हो सकता है,यदि मौजूदा संसद में संभव हो !

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19 नवंबर 25     


गुरुवार, 13 नवंबर 2025

 राबड़ी देवी सरकार के दौर में बिहार की कामकाजी महिलाओं के हक में ऐतिहासिक फैसला हुआ था।ऐसा फैसला इटली की महिला प्रधान मंत्री भी नहीं कर पा रही हंै।

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सुरेंद्र किशोर

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मुख्य मंत्री राबड़ी देवी के शासन काल (1997--2005)में बिहार में महिलाओं के हित में एक ऐसा काम हुआ जो काम इटली में भी अब तक नहीं हो पाया है जबकि वहां की प्रधान मंत्री महिला हैं।यूरोप के स्पेन में ऐसी सुविधा है।

 वह है सरकारी सेवा में कार्यरत महिलाओं के लिए हर माह पीरियड के दौरान दो दिनों की सवैतनिक छुट्टी देने का काम।

   मेरी पत्नी तब सरकारी स्कूल में नौकरी कर रही थी।राबड़ी देवी के उस काम को वह अब भी सराहना के भाव से याद करती है।

  अपने देश के कर्नाटका जैसे विकसित राज्य में यह काम पहली बार इसी साल अक्तूबर में संभव हो सका।

किंतु सिर्फ एक दिन की छुट्टी का फैसला हुआ।

यह फैसला करने से पहले वहां के मुख्य मंत्री को चाहिए था कि वे अपनी पत्नी से पूछ लेते कि वैसी छुट्टी एक दिन की होनी चाहिए या 

दो दिनों की ?

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इस देश के अन्य किस राज्य में ऐसी छुट्टी महिला सरकारी कर्मियों को दी जाती है,यह जानकारी मेरे पास नहीं है।

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बिहार में महिला पेेंशन--1100 रुपए।

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इस चुनाव कवरेज के लिए राज्य के कोने -कोने में गए संवाददाताओं को पेंशन प्राप्त कर रही  बुजुर्ग महिलाओं ने यही कहा--

‘‘मेरा बेटा तो मुझे निजी खर्च के लिए 5 रुपए भी नहीं देता।पर मोदी-नीतीश ने 11 सौ रुपए का प्रबंध कर दिया।मेरा बेटा तो मोदी -नीतीश है।’’

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और अंत में

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डा.राम मनोहर लोहिया कहा करते थे कि हर जाति -समुदाय की महिलाएं पिछड़ी और उपेक्षित होती हैं।इसलिए हमारे साठ प्रतिशत आरक्षण वाले फार्मूले में हर जाति-समुदाय की महिलाएं भी शामिल हैं।उनका नारा था--‘‘संसोपा ने बांधी गांठ,पिछड़े पावें सौ में साठ।’’

कर्पूरी सरकार ने 1978 के रिजर्वेशन में हर जाति-समुदाय की महिलाओं के लिए जगह बनाई थी।पर मंडल आरक्षण लागू करते समय लालू प्रसाद सरकार ने 1993 में अति पिछड़ा-महिला- आदि के कर्पूरी फार्मूले को समाप्त कर दिया। 

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12 नवंबर 25


मंगलवार, 11 नवंबर 2025

 शत्रु-बोध 

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‘‘भारतीय स्टेट’’ के खिलाफ इस्लामिक 

युद्ध में कौन किधर रहेगा ?

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पाॅपुलर फं्रट आॅफ इंडिया ने घोषित कर रखा है कि हम हथियारों के बल पर भारत को सन 2047 में इस्लामिक देश बना देंगे।इसके लिए वह कातिलों के दस्ते तैयार कर रहा है।

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सिर्फ दो बातें ध्यान में रखिए

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1.-सन 2002 में गुजरात के गोधरा में ट्रेन के डिब्बे के भीतर बाहर से पेटा्रेल छिड़क कर 59 कार सेवकों को जेहादियों ने जिन्दा जला दिया था।

उस जघन्य घटना की खिलाफ इस देश के जिन -जिन राजनीतिक दलों ने एक शब्द भी नहीं बोला या कोई प्रेस बयान नहीं दिया,वे फाइनल इस्लामिक युद्ध में जेहादियों का ही साथ देंगे।

जिस तरह मान सिंह ने अकबर का साथ दिया था।

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2.-आज जब भी देश या विदेश के जेहादी तत्व भारत को इस्लामी देश बनाने के क्रम में जहां -तहां हिंसा करते रहते हैं,कई तथाकथित सेक्युलर राजनीतिक दल सदा चुप रहते 

हैं ।कभी -कभी वे उल्टे भारत सरकार की ही आलोचना करने लगते हैं।

उन्हें अभी से पहचान लीजिए।उनके नाम याद कर लीजिए।वैसे लोगों से मेलजोल बंद कर दीजिए।अन्यथा धोखा खाइएगा।

वैसे दल व उनके नेता ‘फाइनल युद्ध’ के समय भारत सरकार का साथ नहीं देंगे।

जिस तरह जयचंद ने चैहान बनाम गोरी की लड़ाई में चैहान का साथ नहीं दिया था।तटस्थ रह गया था।

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यह भी याद कर लीजिए कि चैहान को मारने के बाद गोरी की सेना ने जयचंद को भी मार दिया था।

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10 नवंबर 25


 


शनिवार, 1 नवंबर 2025

 मतदाताओं के प्रति राजद-कांग्रेस 

के बदले हुए रुख

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सुरेंद्र किशोर

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तब 

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राजद जब सत्ता में था तो उसके शीर्ष नेता कहा करते थे--

‘‘विकास से वोट नहीं मिलते।सामाजिक समीकरण से वोट मिलते हैं।’’

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और अब 

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अब राजद के नेता मतदाताओं से विकास-कल्याण

के वायदों की झरी लगा रहे हैं।

क्योंकि अब सिर्फ सामाजिक समीकरण से सत्ता नहीं मिल रही है।अब तो ‘‘वाई.श्रेणी’’ के अनेक नौजवान भी टी.वी.चैनलों पर यह कहते अब सुने जा रहे हैं कि हमें भी शिक्षा -विकास चाहिए। अब लाठी घुमावन से काम नहीं चलेगा।

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तब 

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कांग्रेस के नेतृत्व ने आजादी के बाद से ही वोट बैंक की राजनीति शुरू कर दी थी।उससे ताकत पाकर सवर्णवाद जमकर चलाया।

काग्रेस को जब तक पूर्ण बहुमत मिलता रहा,न तो किसी गैर सवर्ण को प्रधान मंत्री बनाया और न ही बिहार में किसी गैर सवर्ण को मुख्य मंत्री बनाया।

यहां तक कि जवाहर लाल नेहरू चाहते थे कि राष्ट्रपति,प्रधान मंत्री और उप राष्ट्रपति तीनों प्रमुख पदों पर एक ही जाति के नेता बैठें।

खुद प्रधान मंत्री थे ही।उप राष्ट्रपति के पद के लिए 

डा.राधाकृष्णन का नाम तय था।

नेहरू ने सी.राज गोपालाचारी को राष्ट्रपति बनाने की जिद्द कर दी जबकि राजा जी ने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन का सख्त विरोध किया था।

कांग्रेस पार्टी की बैठक में नेहरू ने कह दिया कि यदि राजा जी को राष्ट्रपति नहीं बनाया जाएगा तो मैं प्रधान मंत्री पद से इस्तीफा दे दूंगा।पर उनकी यह धमकी भी काम नहीं आई।सरदार पटेल की जिद्द थी कि राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद बनें।और वह काम होकर रहा।  

यहां तक कि 1990 में राजीव गांधी ने मणि शंकर अय्यर की सलाह पर मंडल आरक्षण का विरोध कर दिया।जबकि, आरक्षण संविधान सम्मत था।

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एक अति के बाद कांग्रेस अब 

दूसरी अति की ओर

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अब किसी ‘‘अदृश्य शक्ति’’ के उकसावे पर कांग्रेस ने अपनी

रणनीति बनाई है--रणनीति यह है कि हिन्दुओं को बांटकर पिछड़ों का तुष्टिकरण करो।हिन्दू सांप्रदायिकताका खतरा दिखाओ।

उधर मुसलमानों के बीच के जातिवाद की चर्चा तक मत करो

अन्यथा मुसलमान मतदाताओं में फूूट पड़ जाएगी।‘‘जेहादी हिंसा’’और गजवा ए हिन्द शब्दों को जुबान पर भी मत लाओ।

मुसलमानों की एकता और हिन्दुओ में फूट का लाभ कांग्रेस को तेलांगना -कर्नाटका जैसे राज्यों में गत चुनाव में मिला भी।

कांग्रेस चाहती है कि पसमांदा,अजलाफ,अरजाल या अशरफ शब्दों का उच्चारण तक नहीं हो।

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क्या बिहार के मतदातागण राजद -कांग्रेस के इस बदले हुए रुख-रवैए  को विश्वसनीय मानकर उन्हें वोट देंगे ?पता नहीं।

आगे-आगे देखिए होता है क्या ?

यह भी एक राजनीतिक प्रयोग ही है।

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1 नवंबर 25