रविवार, 30 मार्च 2025

 देश को सिर्फ प्रतिभा-विदेशी डिग्री वाला 

नहीं बल्कि जरूरी जानकारियों के अलावा 

अच्छी मंशा और देश की मिट्टी 

की समझ वाला शासक चाहिए।

------------

सुरेंद्र किशोर

------------

‘‘भाजपा अनपढ़ों की फौज,इसके कमांडर भी अनपढ’’

   ---डा.शकील अहमद खान

बिहार कांग्रेस विधायक दल के नेता

दैनिक जागरण-29 मार्च 25     

---------------------

‘‘मोदी बहुत बुद्धिमान ,वार्ता सार्थक होगी’’

 अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड टं्रप

दैनिक हिन्दुस्तान-30 मार्च 2025

  ......................................

इन दो बयानों को तथ्यों की कसौटी पर जरा कस कर देखिए।

 .......................................

 आजादी के तत्काल बाद के हमारे अति प्रमुख सत्ताधीशों में से अधिकतर आॅक्सफोर्ड या कैम्ब्रिज से शिक्षित थंे।

इसके बावजूद प्रारंभ के चार दशकों में ही एक सरकारी रुपया 

घिसकर  15 पैसा क्यों और कैसे बन गया ? 

हमारी सीमाएं क्यों सिकुड़ गई ?

(चीन ने 1962 में हमारी 38 हजार वर्ग किलो

मीटर जमीन हमसे छीन ली।)

 ए.जी.नूरानी ने सबूतों के आधार पर इलेस्ट्रेटेड विकली आॅफ इंडिया में कई दशक पहले लिखा था कि चीन ने सोवियत संघ से पूर्व अनुमति लेकर ही 1962 में भारत पर चढ़ाई की थी।इधर विदेश -शिक्षित प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू पूर्व चेतावनियों के बावजूद शांति के कबूतर उड़ा रहे थे।

 याद रहे कि सन 1985 में तत्कालीन प्रधान मंत्री राजीव गांधी ने कहा था कि ‘‘हम दिल्ली से 100 पैसे भेजते हैं किंतु गांवों तक उसमें से सिर्फ 15 पैसे ही पहुंच पाते हैं।’’

एक दिन में तो 100 पैसे 15 पैसे नहीं हो गये थेे।इसके लिए एक से अधिक प्रधान मंत्रियों के ‘‘योगदान ’’ की जरूरत पड़ी थी।

1962 से पहले नेहरू शासन काल में जब रक्षा मंत्रालय ने सेना की बुनियादी जरूरतों के लिए पैसे मांगे तो वित्त मंत्रालय ने नहीं दिये।

घोटालों की शुरूआत तो जीप घोटाले (1948)से ही हो 

गयी  थी। बेचारे कहां से पैसे देते ?

सन 1963 में ही तत्कालीन कांग्रेस  अध्यक्ष डी.संजीवैया को इन्दौर के अपने भाषण में यह कहना पड़ा  कि ‘‘वे कांग्रेसी जो 1947 में भिखारी थे, वे आज करोड़पति बन बैठे।’’

 गुस्से में बोलते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने यह भी कहा था कि ‘‘झोपड़ियों का स्थान शाही महलों ने और कैदखानों का स्थान कारखानों ने ले लिया है।’’

(कांग्रेस ने पहले मोदी मंत्रिमंडल में खाक पति से लाखपति बने मंत्री खोजे।जब नहीं मिले तो ‘अनपढ’़ का आरोप मढ़ दिया।)

 ...................

शिक्षित शासकों की सूची पेश है--

1.-जवाहरलाल नेहरू-प्रधान मंत्री-कैम्ब्रिज 

2.-इंदिरा गंाधी--प्रधान मंत्री--आॅक्सफोर्ड 

3.-राजीव गांधी-प्रधान मंत्री-कैम्ब्रिज

4.-जाॅन मथाई-वित मंत्री-आॅक्सफोर्ड

5.-सी.डी.देशमुख-वित मंत्री-कैम्ब्रिज

6.-एच.एम.पटेल-वित सचिव

       और बाद में वित मंत्री-आॅक्सफोर्ड

7.-मोहन कुमार मंगलम -केदं्रीय मंत्री-कैम्ब्रिज 

8-मनमोहन सिंह-रिजर्व बैंक के गवर्नर--कैम्ब्रिज

9.-एल.के.झा-रिजर्व बैंक के गवर्नर--कैम्ब्रिज

(यह सूची अपूर्ण है।)

-------------------

दूसरी ओर, नरेंद्र मोदी के शासन काल में भारत सरकार का कर राजस्व सन 2014 की अपेक्षा बढ़कर आज लगभग तीन गुणा से भी अधिक  हो गया है।इसलिए देश में विकास

नजर आ रहा है।सेना के पास आज अधिक मात्रा में आधुनिक अस्त्र-शस्त्र हैं।दुश्मन देश आज हमसे सहमते हैं।

-------------------

10 साल (2015-25)में भारत की अर्थ व्यवस्था 2 दशमल 1 ट्रिलियन डाॅलर से बढ़कर 4 दशमलव 3 ट्रिलियन डाॅलर हो चुकी है।

---------------

करीब बीस साल की आजादी के बावजूद सन 1966-67 में बिहार में भारी सूखा और अकाल पड़ा था।

लोग भूखों मर रहे थे।मवेशियां मर रही थीं।

बिहार सरकार ने केंद्र सरकार अनाज की मांग की।

उस मांग पर 5 नवंबर 1966 को प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने 

पटना में संवाददाताओं से कहा कि ‘‘भारत सरकार के लिए यह संभव नहीं है कि हम बिहार की अनाज की मांग पूरी कर सकें।’’ध्यान रहे कि तब दोनांे जगह कांग्रेस सरकारें ही थीं। 

------------------

दूसरी ओर,कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुए नरेंद्र मोदी सरकार ने 80 करोड़ जनता के लिए हर माह अनाज देने का जो प्रावधान किया,वह आज भी जारी है।

----------------

पढ़े-लिखे प्रधान मंत्री

मनमोहन सिंह के पास जाकर कोई जरूरी  काम के लिए भी धन मांगता था तो सरदार जी कहते थे कि ‘‘रुपए पेड़ पर नहीं उगते।’’

-----------------

बेचारे सरदार जी क्या करते ?

दरअसल किसी और के इशारे पर रुपए तो घोटालों में चले जाते थे।जब भ्रष्टाचार की बात की जाती तो सरदार जी कहते कि ‘‘गठबंधन सरकार की कुछ मजबूरियां होती हैं।’’

इधर डा.शकील अहमद खान के शब्दों में ‘‘अनपढ़ों’’की सरकार मोदी सरकार के घोटाले खोज -खोज प्रतिपक्षी नेता,वकील ,पत्रकार हार गये।अब तक तो नहीं मिला।

पता नहीं,शायद  आगे मिले !!!

-----------------------

सुना है कि किसी प्रतिपक्षी दल का भी कोई संासद नितिन गडकरी के यहां अपने क्षेत्र में सड़क बनवाने की मांग करने जाता है तो मंत्री उसे भी उपकृत कर देते हैं ।क्योंकि भारत सरकार के पास अब पैसों की कमी नहीं है।  

-------------------

दरअसल सिर्फ प्रतिभा-डिग्री से ही नहीं बल्कि शासक की अच्छी मंशा से देश आगे बढ़ता है।वैसे आज की भारतीय राजनीति में सर्वाधिक प्रतिभाशाली -सुपठित नेता सुधांशु त्रिवेदी भाजपा में हीं मौजूद हैं,इतना जानकार किसी अन्य दल में नहीं।ओवैसी भी सुधांशु की प्रतिभा की तारीफ कर चुके हैं।

कांग्रेस तो राहुल गांधी की अपेक्षा अधिक प्रतिभाशाली दिखाई पड़ने वाले नेताओं को ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरह पार्टी से बाहर करती रहती है।

-----------------------ं 

30 मार्च 25


शनिवार, 29 मार्च 2025

 बांग्ला देश की घटनाओं ने दे दी सीख 

-----------------------

बांग्ला देश में हुए -हो रहे अल्पसंख्यक संहार-

बलात्कार के बाद भारत में जो भी चुनाव हो 

रहे हैं, उनमें भाजपा गठबंधन ही जीत रहा है।

---------------

सुरेंद्र किशोर

---------------    

गत साल अगस्त में बांग्ला देश में सत्ता पलट हुआ।

जेहादी मानसिकता वाले नये सत्ताधारियों ने उसके बाद वहां के अल्पसंख्यकों का भारी संहार किया।उनकी महिलाओं के साथ दुष्कर्म किया।आगजनी की।वहां से लगातार महिलाओं की चीत्कार सुनी गई।

वे सारे चीत्कार सहित लोमहर्षक दृश्य भारत के लोगों ने अपने -अपने टी.वी.सेटों पर देखे।

  वह सब देखकर भारत के बहुसंख्यक समुदाय के लोग मध्य युग के अपने पूर्वजों की अपार दुर्दशा-पीड़ा  की कल्पना कर रहे थे।साथ ही, नब्बे के दशक में कश्मीर में हुए हिन्दू संहार-बलात्कार की गंभीरता की कल्पना भी कर रहे थे।

कश्मीर और मध्य युग वाली घटनाओं के लोमहर्षक दृश्य तो यहां के आज के किसी ने तब नहीं देखे थे।

  उसी बीच कांग्रेस के दो पूर्व केंद्रीय मंत्री मणिशंकर अय्यर और सलमान खुर्शीद ने बारी -बारी से सार्वजनिक रूप से यह भी कह कर जले पर नमक छिड़क दिया कि जो कुछ बांग्ला देश में हो रहा है,वह भारत में भी हो सकता है।

--------------

उन घटनाओं पर योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 

‘‘बंटोगे तो कटोगे।’’

नरेंद्र मोदी ने कहा कि ‘‘एक रहोगे तो सेफ रहोगे।’’

इसका भी व्यापक असर हुआ। 

--------------------

उसके बाद इस देश में मुख्यतः दो घटनाएं हुईं।

1.-महाकुम्भ में अभूतपूर्व भीड़ हुई।

2.-बांग्ला देश के तख्ता पलट सह व्यापक हिंसा के बाद भारत में जितने चुनाव हुए,सबमें एन.डी.ए.की ही जीत हुई।

---------------

1.-हरियाणा में विधान सभा चुनाव--अक्तूबर, 2024

2.-नवंबर 24 में बिहार में 4 विधान सभा क्षेत्रों में उप चुनाव।

3.-महाराष्ट्र  विधान सभा चुनाव-दिसंबर, 2024

4.-दिल्ली विधान सभा चुनाव-फरवरी, 2025

5.-यू.पी.का मिल्कीपुर विधान सभा उप चुनाव

-------------

इस बीच कोई अन्य चुनाव हुआ हो तो बताइएगा।

-------------

  दूर -दूर तक फैले इन 5 राज्यों के चुनावों में लगातार विजय !

क्या यह संयोग है या बांग्ला देश से लोगों ने सबक 

सीख ली ?

--------------

मेरा तो मानना है कि बांग्ला देश के उन्मादी जेहादी हिंसा ने भारत के हिन्दुओं को अनजाने में जगा कर सीख दे दी।

मध्य युग के मुस्लिम आक्रांताओं की क्रूरता की लीपापोती करने वाले वामपंथी इतिहासकारों का रहा-सहा प्रभाव भी बांग्लादेश के उन्मादी जेहादियों ने भारतीय जन मानस से मिटा दिया होगा,ऐसी उम्मीद है।

-----------------

इस बीच और आगे यदि कोई राजनीतिक चमत्कार नहीं हुआ तो अगले किसी चुनाव में भी राजग विरोधी राजनीतिक शक्तियों का चुनावी भविष्य सीमित है।

--------------

और अंत में 

------

बिहार के अगले चुनाव के बारे में कोई भविष्यवाणी करते समय 

हाल के चुनावी इतिहास को याद कर लें।

-------------

बिहार में तीन प्रमुख राजनीतिक शक्तियां हैं।

1.-राजद व सहयोगी

2.-भाजपा व सहयोगी

3.-जदयू व सहयोगी  

------------

इन तीन में से जो भी दो शक्तियों आपस में मिलकर चुनाव लड़ती हैं,सरकार उसी की बनती है।

------------------  

याद रहे कि बांग्ला देश में हुए और रह-रह कर हो रहे हिन्दू संहार के दृश्य बिहार के लोग भी उसी चिंता के साथ अपने टीे.वी.सेटों पर देखते रहे हैं।

-----------------


  


 पहचानिए हवा का रुख अन्यथा

बिला जाएंगे हवा में !

-----------------

सुरेंद्र किशोर

--------------

1.-भ्रष्टाचार

2.-अपराध

3.-वंशवाद-परिवारवाद

4.-जेहाद

-------------

मेरी समझ से आज इस देश की यही मुख्य 

चार समस्याएं हैं।

जो प्रतिपक्षी या सत्ताधारी नेता इन समस्याओं के

खिलाफ जितना तेज अभियान चलाएंगे,वे बहुसंख्य 

जनता के बीच उतना ही अधिक लोकप्रिय होते जाएंगे।

---------------

दूसरी ओर, जो नेता इन चार समस्याओं को जितना  

अधिक बढ़ाएंगे, उनका जन समर्थन उतनी ही तेजी 

से घटता जाएगा।

------------

बांग्ला देश की घटनाओं 

ने दे दी है सीख 

-----------------------

बांग्ला देश में हुए -हो रहे अल्पसंख्यक संहार-

बलात्कार के बाद भारत में जो भी चुनाव हो 

रहे हैं, उनमें भाजपा गठबंधन ही जीत रहा है।

---------------

    गत साल अगस्त में बांग्ला देश में सत्ता पलट हुआ।

जेहादी मानसिकता वाले नये सत्ताधारियों ने उसके बाद वहां के अल्पसंख्यकों का भारी संहार किया।उनकी महिलाओं के साथ दुष्कर्म किया।

आगजनी की।वहां से लगातार महिलाओं की चीत्कार भारत के टी.वी.चैनलों पर भी सुनी गई।

 चीत्कार सहित लोमहर्षक दृश्य भी देखे गये।

  वह सब देखकर भारत के बहुसंख्यक समुदाय के लोग मध्य युग के अपने पूर्वजों की अपार दुर्दशा-पीड़ा  की कल्पना कर रहे थे।साथ ही, नब्बे के दशक में कश्मीर में हुए हिन्दू संहार-बलात्कार की गंभीरता की कल्पना भी कर रहे थे।

कश्मीर और मध्य युग वाली घटनाओं के लोमहर्षक दृश्य तो यहां के आज के किसी ने तब नहीं देखे थे।

  उसी बीच कांग्रेस के दो पूर्व केंद्रीय मंत्री मणिशंकर अय्यर और सलमान खुर्शीद ने बारी -बारी से सार्वजनिक रूप से यह भी कह कर जले पर नमक छिड़क दिया कि जो कुछ बांग्ला देश में हो रहा है,वह भारत में भी हो सकता है।

--------------

संभवतः उन्हीं घटनाओं पर योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 

‘‘बंटोगे तो कटोगे।’’

नरेंद्र मोदी ने कहा कि ‘‘एक रहोगे तो सेफ रहोगे।’’

इसका भी व्यापक असर हुआ। 

--------------------

उसके बाद इस देश में मुख्यतः दो घटनाएं हुईं।

1.-महाकुम्भ में अभूतपूर्व भीड़ हुई।

2.-बांग्ला देश के तख्ता पलट सह व्यापक हिंसा के बाद भारत में जितने चुनाव हुए,सबमें एन.डी.ए.की ही जीत हुई।

---------------

ये चुनाव हैं जिनमें राजग विजयी रहा।

1.-हरियाणा में विधान सभा चुनाव--अक्तूबर, 2024

2.-नवंबर 24 में बिहार में 4 विधान सभा क्षेत्रों में उप चुनाव।

3.-महाराष्ट्र  विधान सभा चुनाव-दिसंबर, 2024

4.-दिल्ली विधान सभा चुनाव-फरवरी, 2025

5.-यू.पी.का मिल्कीपुर विधान सभा उप चुनाव

-------------

  मेरा तो मानना है कि बांग्ला देश के उन्मादी जेहादी हिंसा ने भारत के हिन्दुओं को अनजाने में जगा कर सीख दे दी।

मध्य युग के मुस्लिम आक्रांताओं की क्रूरता की लीपापोती करने वाले वामपंथी इतिहासकारों का रहा-सहा प्रभाव भी बांग्लादेश के उन्मादी जेहादियों ने भारतीय जन मानस से मिटा दिया होगा,ऐसी उम्मीद है।

-----------------

29 मार्च 25


शुक्रवार, 28 मार्च 2025

 भारत एक देश या धर्मशाला ?

--------------

बांग्लादेशी-रोहिंग्या  घुसपैठिए इसलिए 

आ रहे हैं क्योंकि ममता सरकार सीमा 

पर बाड़बंदी के लिए जमीन नहीं दे रही है।

--------------------- 

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कल संसद में कहा कि 

‘‘बंगाल सरकार बाड़बंदी के लिए जमीन नहीं दे रही है,इसलिए घुसपैठिए आ रहे हैं।’’

शाह ने यह भी कहा कि भारत कोई धर्मशाला नहीं, इसलिए कड़ी नजर रहेगी।

---------------

सवाल है कि पश्चिम बंगाल में सन 2026 में होने वाले विधान सभा चुनाव का इंतजार भाजपा -केंद्र सरकार क्यों कर रही  है ? क्या जरूरी है कि तब वहां भाजपा को सत्ता मिल ही जाएगी ?

उससे पहले राष्ट्रपति शासन क्यों नहीं ?

देश में इस्लामी शासन की आशंका को कम करना हो तो बंगाल में राष्ट्रपति शासन जरूरी है।

2026 तक तो और लाखों घुसपैठिए, जो वास्तव में जेहादी हैं,बंगाल के रास्ते हमारे देश में प्रवेश कर जाएंगे।

घुसपैठिए झारखंड के आदिवासी इलाकों में तो आादिवासी लड़कियों से शादी करके उनकी जमीन पर कब्जा करते जा रहे हैं।इस काम में झारखंड की सोरेन

सरकार का उन्हें समर्थन प्राप्त है।

------------------

याद रहे कि अब तक करीब 8 करोड़ घुसपैठिए भारत के विभिन्न राज्यों में फैल चुके हैं।

प्रथम प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू ने अपना वोट बैंक बढ़ाने के लिए ही सीमा की तारबंदी की कोई कोशिश नहीं की।उनका बहाना था--घेराबंदी से दुनिया में भारत की छवि खराब होगी।

कई साल पहले पूर्व विदेश सचिव मुचकुंद दुबे ने एक टी.वी.डिबेट में यही बात कही थी।उस डिबेट में शिवसेना के संजय निरुपम भी थे।

  दिवंगत दुबे ने कहा कि घेराबंदी से दुनिया में हमारी छवि खराब होगी।उस पर निरुपम ने पूछा--दुबे जी,आप भारत के विदेश सचिव थे या बांग्ला देश के ?’

 --------------

मुस्लिम वोट लोलुपता के कारण बंगाल की पहले वाम सरकार और बाद की ममता सरकार ने इस मामले में बंगाल व देश की स्थिति विस्फोटक बना दिया ।

  ज्योति बसु सरकार की पुलिस ने 

 1979 में मरीचझांपी में शरण लिए हिन्दू बंाग्ला देशी शरणार्थियों को तो गोलियों से उड़ा दिया।दूसरी ओर मुस्लिम घुसपैठियों को पश्चिम बंगाल में मतदाता बनवा दिया।

------------------

28 मार्च 25


गुरुवार, 27 मार्च 2025

     22 प्रतिशत अरबपति विदेश में बसना चाहते हैं।

  2023 में 2.15 लाख भारतीयों ने नागरिकता छोड़ी

-----------------

    सुरेंद्र किशोर

-----------------

ताजा समाचार के अनुसार 22 प्रतिशत भारतीय अरबपति यह देश छोड़कर दूसरे देशें में बसना चाहते हैं।

  गत साल केंद्र सरकार ने राज्य सभा को सूचित किया कि दूसरे देशों में बसने के लिए दो लाख 15 हजार भारतीयों ने 2023 में इस देश की नागरिकता छोड़ दी।

   कारण--

यहां रहने की स्थिति अच्छी नहीं है।

कारोबार में सुगमता नहीं है।विदेशों में जीवन स्तर बेहतर है।

कुछ महीने पहले टी.वी.चैनल पर कनाडा के एक शहर में  भारतीय मूल के दो लोगों  को आपस में बातचीत करते मैंने देखा-सुना  था।एक ने दूसरे से पूछा-भारत क्यों छोड़ा ?

दूसरे ने जवाब दिया--वहां सड़कों पर जाम की समस्या गहरा गई है।

-------------

वैसे कारण और भी हैं--

अत्यंत थोड़े से अपवादों को छोड़कर भारत के सरकारी कार्यालयों में रिश्वत के बिना कोई काम नहीं होता।

 बिहार में तो सरकारी कर्मियों ने अनेक जगहों पर समानांतर सरकारी कार्यालय खोल रखे हैं ताकि उन्हें घूस लेने में कोई असुविधा न हो।

-----------------

हाल में इस देश के एक हाई कोर्ट के जज ने कहा कि लड़की का वक्ष स्पर्श करना और पैजामा का नाड़ा खोलना कोई अपराध नहीं है।

एक अन्य हाईकोर्ट जज के आवासीय परिसर में करोड़ों रुपए के नोट्स जलते पाए गये।

---------------

हाल की ए. डी. आर.रिपोर्ट के अनुसार देश के 45 प्रतिशत विधायकों के खिलाफ आपराधिक मुकदमें दर्ज हैं।

सांसदों में भी लगभग यही प्रतिश्ता होगा।

 -------------

यह संयोग नहीं है कि संसद से लेकर विधान सभाओं तक की कार्यवाहियों पर इन दिनों अराजकता छाई रहती है।

हाल में तो हद हो गई जब चलते सदन में सदन के भीतर एक सांसद भाई ने अपनी सांसद बहन का गाल सहलाया।जब स्पीकर ने कहा कि संसद के नियमों का पालन कीजिए तो उस सांसद ने आरोप लगा दिया कि हमें बोलने नहीं दिया जाता।

कुछ ही माह पहले वही सांसद चलते सदन में अपना सिर बेंच के पिछले हिस्से पर तिरछे टिका कर सोते नजर आये थे।

यानी संसद से सड़क तक अराजकता है।कानून -व्यवस्था बहुत खराब है।

----------------

इन दिनों वक्फ संशोधन विधेयक का भारी विरोध हो रहा है।

हाल में सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सार्वजनिक रूप से कहा कि 

‘‘उत्तर प्रदेश में एक लाख 21 हजार वक्फ की संपत्तियां हैं।पर,उनमें से एक लाख 12 हजार संपत्तियों का वक्फ बोर्ड के पास कोई कागजी सबूत नहीं है।’’

------------------

उत्तर प्रदेश सरकार ने इस संबंध में कहा है कि जिस वक्फ जमीन का मालिकाना हक सन 1952 के राजस्व रिकाॅर्ड में दर्ज है,उसी को वक्फ की संपत्ति माना जाएगा।

--------------------------

पर,जमीयत उलेमा हिन्द कहता है कि मनमोहन सिंह सरकार ने वक्फ बोर्ड को जो ताकत दी है,उसके अनुसार ही हम मालिकाना हक मानते हैं न कि किसी राजस्व रिकाॅर्ड को मानते हैं।

------------------

सन 2013 में मनमोहन सरकार ने जो वक्फ कानून बनाया उसकी धारा-40 के अनुसार वक्फ को यह शक्ति दे दी गयी है कि यदि वक्फ को लगता है कि कोई संपत्ति वक्फ की संपत्ति है तो वक्फ संबंधित जिला पदाधिकारी को उसे खाली कराने का आदेश दे सकता है । उसका यह आदेश डी.एम.को मानना होगा।इस आदेश के खिलाफ यह (मन मोहन सरकार का )कानून किसी को हाई कोर्ट में अपील करने की अनुमति नहीं देता।

--------------

याद रहे कि वक्फ बोर्ड का दावा करीब 9 लाख एकड़ जमीन पर है ।इसमेें से बहुत ही कम जमीन का कागजी सबूत 

वक्फ बोर्ड के पास है।

इसके बावजूद कांग्रेस सहित सारे तथा कथित सेक्युलर राजनीतिक दल वक्फ बोर्ड के इस नाजायज मांग के समर्थन में आंदोलनरत हैं।

ताकि उन्हें मुसलमानों का उन्हें वोट मिल जाएं।

ऐसा देश कितने दिनों तक टिका रहेगा ?मध्य युग की याद आ रही है।

-------------------

दिल्ली के सदर बाजार से लेकर पटना के न्यू मार्केट तक पुलिस की मदद से सड़कों पर अवैध कब्जा रहता है।लोगों का चलना दूभर है।

देश के अन्य शहरों का भी यही हाल है।उन अतिक्रमणकारियों से पुलिस को भारी रकम घूस के रूप में मिलती है। गत अक्तूबर में सदर बाजार से तो अतिक्रमण हटाया गया। 12 पुलिस कर्मियों को लाइन हाजिर किया गया।पर ताजा स्थिति का पता नहीं।

पर,पटना में राज्य सरकार ने पूरी ताकत लगाकर देख ली।पटना के सड़क-बाजार से अतिक्रमण नहंीं हट पा रहा है।

घूस खोर पुलिस, मुख्य मंत्री पर भी भारी हंै।

ऐसे ही कटु अनभव के कारण अस्सी के दशक के एक तगड़े मुख्य मंत्री भागवत झा आजाद ने कहा था कि बिहार में मेरा राज नहीं बल्कि दारोगा राज है।

-------------------

हरि अनंत हरि कथा अनंता !!

इसलिए इस देश में जिसके पास पैसे हैं,वे यह देश छोड़ रहे हैं।जो भ्रष्ट नेता वोट के लिए जेहादियों के हाथों धीरे -धीरे इस देश का इलाका दर इलाका सौंपने में मदद कर रहे हैं,उनमें से भी कुछ लोग 

विदेश में संपत्ति खरीद रहे हैं।ताकि जब भारत में इस्लामिक राज कायम हो जाए तो वे विदेश में जाकर सपरिवार बस जाएंगे।उनके जातीय वोट बैंक का क्या हश्र होगा,उसकी चिंता उन्हें नहीं है।

मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश विधान सभा में हाल में कहा कि यहां के एक नेता ने लंदन में होटल खरीद लिया है।

---------------

याद रहे कि भारत में प्रतिबंधित जेहादी ंसंगठन पी.एफ.आई.ने . हथियारों के बल पर भारत में सन 2047 तक इस्लामिक शासन कायम कर देने का लक्ष्य तय किर लिया है।हथियार जुटाए जा रहे हैं। विदेशों से उन्हें पैसे मिलते रहे हैं।

मौलाना रशीदी ने तो हाल में कह दिया कि अब हमारी आबादी 40 प्रतिशत हो चुकी है।हम 2047 से पहले ही यह लक्ष्य पूरा कर लेंगे।

------------------- 

27 मार्च 25

     


बुधवार, 26 मार्च 2025

बिहार में कभी 85 प्रतिशत फेल होते थे, अब 

उतने ही प्रतिशत पास होते हंै।

है न शिक्षा-परीक्षा में अद्भुत चमत्कार !!

------------------

सुरेंद्र किशोर

------------

सन 1996 में बिहार में इंटर विज्ञान के 85 प्रतिशत परीक्षार्थी 

फेल कर गये थे।

2025 में लगभग उतने ही प्रतिशत परीक्षार्थी पास हो गये।

यह कैसा चमत्कार है भई ?!

जबकि, आज बिहार में शिक्षण-व्यवस्था का हर स्तर पर 

क्या हाल है,

यह किसी से छिपा हुआ नहीं है।

----------------------  

परीक्षा में कदाचार रोकने के ‘‘अपराध’’ में यू.पी.

की जनता ने कल्याण सिंह सरकार को अगले 

चुनाव में हरा कर सत्ता से बाहर कर दिया था

 ..................................................

यू.पी. की उस घटना के बाद चुनाव लड़ने वाली कोई सरकार 

वैसा दुःसाहस अब नहीं करती।

यानी जो होता है,वह होने दो !गद्दी रहेगी तो दूसरे 

काम तो होंगे न,भले मानव संसाधान बेहतर न बने। 

-----------------

इसीलिए बिहार में जिन स्कूलों में शिक्षक नहीं,लैब नहीं,

वहां के परीक्षार्थी भी इस साल बन गये टाॅपर

------------------- 

 सन 1992 में कल्याण सिंह सरकार ने नकल विरोधी कानून बनाया।

मुलायम सिंह की सरकार ने 1994 में उस कानून को रद कर दिया।

यानी फिर बैतलवा डाल पर !

दरअसल यू.पी.बोर्ड की परीक्षा में कदाचार पूरी तरह रोक देने के कारण कल्याण सिंह की सरकार 1993 के यू.पी.विधान सभा चुनाव में हार कर सत्ता से बाहर हो गई।

सन 1992 में बाबरी ढांचा गिराने के कारण भाजपा के पक्ष में उत्पन्न सकारात्मक भावना को भी भंजाने में कल्याण सिंह विफल रहे।

 यानी, कदाचार करने-कराने वाली जनता ने यह तय किया कि किसी न किसी तरह परीक्षा में अभी पास करना अधिक जरूरी है,राम मंदिर तो बनता रहेगा।हमारी परीक्षा की कीमत पर तो वह न बने।

अभी हमारे त्राणदाता तो मुलायम सिंह यादव हैं।

याद रहे कल्याण सरकार के नकल विरोधी कानून का व्यापक 

विरोध करके मुलायम सिंह यादव कदाचारी विद्यार्थियों व उनके अभिभावकों के ‘हीरो’ बन गए थे।

   यानी,मुझे यह लगने लगा है कि चुनाव लड़ने वाली कोई भी सरकार  परीक्षाओं में नकल नहीं रोक सकती। नीतीश सरकार भी यही मानती है।

कदाचार रोकने के लिए शायद किसी तानाशाह शासक की जरूरत इस देश में पड़ेगी।चीन सरकार तो कहती है कि चुनाव लड़ने वाली कोई सरकार इस्लामिक आतंकवादियों से सफलतापूर्वक नहीं लड़ सकती।वह काम तो हमारे जैसे यानी चीन जैसे शासन में ही संभव है।

-------------------

   आज भारत का उद्योग जगत कहता है कि सिर्फ 27 प्रतिशत इंजीनियर ही ऐसे हैं जिन्हें नौकरी पर रखा जा सकता है।

 हमारे स्वास्थ्य की देखरेख करने वाले तो ठीकठाक पढ़ लिखकर निकलें,यह जनता की इच्छा होती हैं।पर बिहार के कुछ मेडिकल काॅलेजों से इस बात को लेकर भी हड़ताल की खबर मिलती है कि ‘‘चोरी नहीं तो परीक्षा नहीं।’’यानी जनता भगवान भरोसे !

................................

जब-जब शिक्षा -परीक्षा के ध्वस्त होने की बात होती है,तब -तब कई लोग अपनी -अपनी ‘सुविधा’ के अनुसार अपना ‘टारगेट’ तय करके आरोप का गोला दागने लगते हैं।

पर 1963 से इस संबंध में मैंने जो कुछ अपनी आंखों से देखा है,उसे संक्षेप में शेयर करता हूं।

राजनीति और प्रशासन में गिरावट के अनुपात में शिक्षा में भी गिरावट होनी ही थी।हुई भी।

पहले परीक्षाओं में ‘सामंतवाद’ था। 1967 से उसमें ‘समाजवाद’ आ गया।

सरकारी नौकरियां देने के लिए कत्र्तव्यनिष्ठ उच्चपदस्थ अफसरों व सेना की देखरेख में यदि उम्मीदवारों की कदाचारमुक्त प्रतियोगी परीक्षाएं हों, तो स्थिति में सुधार हो सकता है।

छोटी -छोटी टुकड़ियों में सालों भर बड़े हाॅल में ऐसी परीक्षाएं होती रहें।

तभी सिर्फ योग्य लोग ही सेवाओं में आ सकेंगे।

अब भी योग्य लोग सेवा में हैं,पर कम संख्या में।

उसके बाद आम परीक्षाओं में जारी कदाचार का कुप्रभाव कम हो जाएगा।

..........................

सन 1963 में मैं मैट्रिक की परीक्षा दे रहा था।

जिला स्कूल में केंद्र था।

उस जिले के सबसे अधिक प्रभावशाली सत्ताधारी नेता के परिवार के एक सदस्य के लिए चोरी की छूट थी।

केंद्र में किसी अन्य के लिए वह ‘सुविधा’ उपलब्ध नहीं थी।

   बाद में काॅलेज का अनुभव जानिए।

मैं बी.एससी.पार्ट वन की परीक्षा दे रहा था।

संयोग से उस काॅलेज के एक उच्च पदाधिकारी के पुत्र की सीट मेरे ही हाॅल में पड़ी थी।

नतीजतन पूरे हाॅल को चोरी की छूट थी।

उसी केंद्र में किसी अन्य हाॅल में कोई छूट नहीं थी।

  ..........................

उन दिनों मेडिकल - इंजीनियरिंग काॅलेजों में माक्र्स के आधार पर दाखिला हो जाता था।

प्रैक्टिकल विषयों में कुल 20 में उन्नीस अंक मिल जाने पर कम तेज उम्मीदवार भी डाक्टर या इंजीनियर आसानी से बन जाते थे।

  संयोग से मेरा रूम मेट ही इन 250 रुपयों को इधर से उधर करता था।

न जाने कितनों को उसने डाक्टर-इंजीनियर बनवा दिया।

एक दिन मुझसे उसने पूछा, 

‘का हो सुरिंदर,तुमको भी नंबर चाहिए।

तुमको कुछ कम ही पैसे लगेंगे।’’

मैंने कहा कि मुझे कोई नौकरी नहीं करनी है।

मेरा वह रूम मेट खुद हाई स्कूल का शिक्षक बना।

एक दिन पटना शिक्षा बोर्ड आॅफिस के पास  संयोग से मिल गया था।

वैसे भी 200-250 रुपए मेरे लिए जुटाना तब मुश्किल था।

ऐसे गोरखधंघे के कारण ही माक्र्स के आधार पर दाखिला बाद में बंद हो गया।

..........................

  1967 के चुनाव के बाद परीक्षाओं में धुंआधार चोरी शुरू हो गई।

कहा भी जाने लगा कि ‘चोरी में समाजवाद’ आ गया।

महामाया सरकार ने उसे रोकने की कोशिश भी नहीं की।

छात्रगण महामाया बाबू के ‘जिगर के टुकड़े’ जो थे ! 

के.बी.सहाय की सरकार को चुनाव में हराने में छात्रों की बड़ी भूमिका थी।

वैसे छात्र आंदोलन के अन्य कारण भी थे।

1967 के आम चुनाव से पहले बड़ा छात्र और जन आंदोलन हुआ था।

छात्रों पर भी जमकर पुलिस दमन हुआ था।

मैं भी तब एक छात्र कार्यकत्र्ता था।

मैंने खुद परीक्षा छोड़ दी थी क्योंकि आंदोलन के कारण मेरी तैयारी नहीं हो पाई थी।

............................

1972 में केदार पांडेय की सरकार ने नागमणि और आभाष चटर्जी जैसे कत्र्तव्यनिष्ठ अफसरों की मदद से परीक्षा में चोरी को बिलकुल समाप्त करवा दिया।

  पर सवाल है कि अगले ही साल से ही फिर चोरी किसने होने दी ?

............................

1996 में पटना हाईकोर्ट के सख्त आदेश और जिला जजों की निगरानी में मैट्रिक व इंटर परीक्षाआंे  में कदाचार पूरी तरह बंद कर दिया गया।

..........................

पर, अगले ही साल से कदाचार फिर क्यों शुरू करवा दिया गया ?

किसने शुरू करवाया ?

क्या कदाचार की इस महामारी के लिए आप किसी एक दल एक सरकार या एक नेता या फिर किसी एक समूह को जिम्मेवार मान कर खुश हो जाना चाहते हैं ?

................................

और अंत में

-----

मैंने 1963 में मैट्रिक साइंस से फस्र्ट डिविजन में पास किया था।

गांव में रहता था।जवार के कुछ लोग मुझे देखने आए थे कि देखें,कौन लड़का है कि इतना अच्छा रिजल्ट किया।

-----------

इस साल कुल 11 लाख इंटर परीक्षाथियों में से सिर्फ 90 हजार थर्ड डिविजन से पास हुए।

अब उन्हें लोग देखने जाते होंगे कि देखें कैसे अभागा लड़का है जो इस बहती गंगा में भी हाथ नहीं धो सका !!

---------

हमारे जमाने में बिहार में इक्के दुक्के परीक्षार्थी ही प्रथम श्रेणी में पास करते थे।

इस साल सबसे ज्यादा यानी पांच लाख 8 हजार परीक्षार्थी फस्र्ट डिविजन से पास हुए।पांच लाख 7 हजार सेकेंड डिविजन और सबसे कम यानी करीब 92 हजार थर्ड डिविजन से पास हुए।ऐसा रिजल्ट ही यह साबित करता है कि यह परीक्षा नहीं, बल्कि सब गोलमाल है।

हर समाज, हर देश,हर तबके में ‘‘फस्र्ट डिविजनर’’ सबसे कम होते हैं,सिर्फ बिहार परीक्षा बोर्ड के परीक्षार्थियों को छोड़कर।

 --------------- 

  

   

 


मंगलवार, 25 मार्च 2025

  गद्दारों से देश भारी खतरे में 

------------

भारत को सन 47 तक दुनिया का 58 वां 

मुस्लिम देश बनाने के लिए हल्का‘युद्ध’ जारी

-------------

सुरेंद्र किशोर

----------

आज के वोट लोलुप नेताओं से उन्हें 

परोक्ष-प्रत्यक्ष समर्थन मिल रहा जो 

भारत को एक और पाकिस्तान बनाने 

की कोशिश में लगे हुए हैं।

कुछ इलाकों को बना भी दिया है।

-----------------   

मुस्लिम आक्रांताओं ने बारी -बारी से दुनिया के 57 देशों पर हमला करके उन देशों को तलवार के बल पर या अन्य तरीकों से मस्लिम बहुल देश बना दिया।

मध्य काल में उन आक्रांताओं ने भारत पर भी हमला किया था।पर, यहां आज फिर भी एक अरब हिन्दू क्यों 

बचे रह गये ?

उन्हें किसने बचाया ?

  क्या जेहादियों ने उन पर दया करके उन्हें हिन्दू बने रहने दिया ?

क्यों राजस्थान के किसी जिला मुख्यालय का नाम मुस्लिम 

नाम नहीं है ?उन जेहादियों के खिलाफ कुछ लोग उठ खड़े हुए ,तभी तो आज एक अरब हिन्दू अब भी हैं।पर मध्य युग की उनकी कमी कुछ गद्दार आज पूरी करने के प्रयास में लगे हैं।

------------------------

1947 में अविभाजित पाकिस्तान में हिन्दू करीब 20 प्रतिशत थे।

 अब पाकिस्तान में करीब एक दशमलव 6 प्रतिशत (1998)और बांग्ला देश में करीब 8 प्रतिशत हिन्दू बचे हैं।

बाकी हिन्दू कहां गये ?

---------------------

ं भारत के  9 राज्य अब हिन्दू बहुल नहीं रहे।

1947 में ये राज्य भी हिन्दू बहुल थे।

ऐसा क्यों और कैसे हुआ ?

मौलाना रशीदी को हाल में यह कहते हुए मैंने टी.वी.चैनल पर सुना कि अब भारत में 40 करोड़ मुसलमान हो गये हैं। 

--------------- 

पाॅपुलर फ्रंट आॅफ इंडिया ने खुलेआम यह घोषणा कर रखी है कि वह हथियारों के बल पर सन 2047 तक भारत को इस्लामिक देश बना देगा।आज देश के विभिन्न हिस्सों में आए दिन आप उनके उन्मादी हिंसक दृृश्य टी.वी.चैनलों को देख सकते हैं।उनका मनोबल बढ़ा हुआ है।वोट लोलुप नेता उनका हौसला बढ़ा रहे हैं।

प्रतिबंधित जेहादी संगठन पी.एफ.आई.से जुड़े राजनीतिक संगठन एस.डी.पी.आई. के साथ मिलकर इस देश के कौन- कौन राजनीतिक दल चुनाव लड़े रहे हैं ?

-----------------

इस देश के कौन -कौन राजनीतिक दल पी.एफ.आई. के खिलाफ एक शब्द का भी कभी उच्चारण नहीं करते ?

आखिर क्यों नहीं करते ?उन दलों की पहचान कीजिए और उनसे अब तो सावधान हो जाइए।

--------------

सिमी पर 2001 में प्रतिबंध लगा।

सिमी का आदर्श था--ओसामा बिन लादेन।

उसका नारा था-‘‘इस्लाम का गाजी कुफ्र्र शिकन,

मेरा शेर ओसामा बिन लादेन।’’

----------------

लगता है कि अब वैसे जेहादी तत्वों ने औरंगजेब को अपना आदर्श हीरो बना लिया है।

यह संयोग नहीं है कि अलीगढ़ में 1977 में जेहादी संगठन सिमी की स्थापना हुई थी।

 सिमी ने प्रतिबंध के खिलाफ जब सुप्रीम कोर्ट में अपील की तो उसके वकील थे कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद।यह अकारण नहीं है कि मणिशंकर अय्््यर और सलमान खुर्शीद ने कुछ ही महीने पहले कहा कि जो कुछ बांग्ला देश में हो रहा है,वह भारत में भी हो सकता है।

प्रतिबंध के बाद सिमी के लोगों ने इंडियन मुजाहिद्दीन बना लिया।

बाद में देश के ऐसे कई संगठनों ने मिलकर पी.एफ.आई बनाया।

पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी पी.एफ.आई.की महिला शाखा के समारोह में शामिल होने के लिए 23 सितंबर, 2017 में कोझीकोड गए थे।

-------------------

कुछ वोट लोलुप नेताओें की गद्दारी से आज भारत और बहुसंख्यक समाज बहुत ही खतरनाक दौर से गुजर रहा है।

इस देश में जिन इलाकों में ,मुख्यतः जिन -जिन गैर भाजपा शासित राज्यों में मुसलमान बहुमत में आते जा रहे हैं,वहां से हिन्दू या अन्य समुदाय भागने को विवश हो रहे हैं।उन पीड़ितों के बारे में न तो वहां की सरकारें कुछ कर रही हंै और न ही मीडिया भयवश रिपोर्टिंग कर रहा है।

  आज की अपनी गद्््दारी पर परदा डालने के लिए कुछ नेता मध्य युग के ऐसे राजा को भी झूठे इतिहास पुस्तक के आधार पर गद्दार बता रहे हैं जिसके शरीर पर 80 घाव लगे थे।

देश के मशहूर पत्रकार हर्ष वर्धन त्रिपाठी कहते हैं कि 

‘‘हमले के लिए बाबर को भारत बुलाने वाला दौलत खान लोदी था,राणा सांगा नहीं।

  राणा सांगा हमारे वीर योद्धा थे।

औरंगजेब के पाप को छिपाने के लिए हमारे वीर योद्धाओं को नेता अपमानित कर रहे हैं।

 औरंगजेब का महिमा मंडन करने वाले अबू आजमी के साथ अखिलेश यादव खड़े रहे और अब वह राणा सांगा का अपमान करने वाले रामजीलाल सुमन के साथ खडे़ हैं।’’

2001 में जब सिमी पर प्रतिबंध लगा तो कुछ नेता क्या बोले --.

.........................................

सरकार ने सिमी पर जो प्रतिबंध लगाया है,वह मेरी दृष्टि में जायज नहीं है।

     ---शाही इमाम ,फतेहपुरी मस्जिद

............................................

‘‘गुजरात दंगों के बाद दंगों की प्रतिक्रिया में इंडियन मुजाहिद्दीन का गठन हुआ।’’

         ---डा.शकील अहमद,

     कांग्रेस महा सचिव--21 जुलाई 2013

(जबकि सच्चाई यह है कि सिमी पर प्रतिबंध लग जाने के बाद  सिमी ने लोगों ने आई.एम.बनाया।)

..........................................................

सिमी पर प्रतिबंध नहीं लगना चाहिए था।

--मुलायम सिंह यादव

7 अगस्त 2008

.................................................

मन मोहन सिंह सरकार के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि सिमी के लोग जेहाद का प्रचार कर रहे हैं और कश्मीर में आतंकवादियों की पूरी मदद कर रहे हैं।

....टाइम्स आॅफ इंडिया .....21 अगस्त 2008 -- 

.................................................................

राम विलास पासवान ने सिमी पर लगे प्रतिबंध को हटाने की मांग की।

        ---12 अगस्त 2008 

.....................................................................

कश्मीर के अलगाववादी नेता 

सैयद अली शाह जिलानी ने कहा कि 

सिमी पर प्रतिबंध नागरिक अधिकार पर हमला है।

--29 सितंबर 2001

................................................

सिमी से प्रतिबंध हटाए जाने के ट्रिब्यूनल के निर्णय पर भाजपा ने केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए इसका ठीकरा गृह मंत्री शिवराज पाटिल पर फोड़ा है।

     ---6 अगस्त 2008

..................................................

हालांकि मनमोहन सरकार को फिर से प्रतिबंध लगाना पड़ा।

.............................................

रेल मंत्री लालू प्रसाद ने कहा कि मैंने हमेशा कहा है कि  सिमी पर प्रतिबंध नहीं लगना चाहिए।

यदि लगता है तो शिव सेना और दुर्गा वाहिनी पर भी प्रतिबंध लगना चाहिए।

-----टाइम्स आॅफ इंडिया--7 अगस्त 2008

..............................................

यशवंत सिन्हा के नेतृत्व में भाजपा के प्रतिनिधि मंडल ने चुनाव आयोग से मिलकर यह मांग की कि सिमी समर्थक दलों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।

   ----19 अगस्त 2008

....................................................

सिमी के अहमदाबाद के जोनल सेके्रट्री साजिद मंसूरी ने 2001 में  मीडिया से  बातचीत  में कहा था कि ‘जब हम सत्ता में आएंगे तो सभी मंदिरों को नष्ट कर देंगे और वहां मस्जिद बना देंगे।’ 

मंसूरी का बयान 30 सितंबर 2001 के अखबार में छपा था। 

 ...........................................................................

2012 में पश्चिम बंगाल के डी.जी.पी.एन.मुखर्जी ने कहा था कि सिमी के जरिए आई.एस.आई.ने माओवादियों से तालमेल बना रखा है।

......................................................................

 स्थापना के समय  सिमी जमात ए इस्लामी हिंद से जुड़ा संगठन था।

पर जब 1986 में सिमी ने ‘इस्लाम के जरिए भारत की मुक्ति’ का नारा दिया तो जमात ए इस्लामी हिंद ने उससे अपना संबंध तोड़ लिया।

 ................

केंद्र सरकार ने सिमी पर प्रतिबंध लगाने के लिए जो मापदंड अपनाए,वे अपने आप में पर्याप्त नहीं हैं।

      ---- इम्तियाज अहमद,

             प्रोफेसर जे.एन.यू

              30 सितंबर 2001

....................................................

मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री दिग्विजय सिंह ने राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के लिए सिमी पर प्रतिबंध लगाने का स्वागत किया,पर बजरंग दल पर प्रतिबंध नहीं लगाने के लिए केंद्र सरकार को फटकार लगाई।

   ---पायनियर--29 सितंबर 2001

......................................

सिमी के संविधान में भारत को मजहबी आधार पर बांटने की बात स्पष्ट रूप से दर्ज है।

-----सी.बी.आई.के पूर्व निदेशक जोगिंदर सिंह

   --22 सितंबर 2008 ,राष्ट्रीय सहारा  

................................................

लोकतांत्रिक तरीके से इस्लामिक शासन संभव नहीं है।उसके लिए एकमात्र रास्ता जेहाद है।

-------सिमी सदस्य अबुल बशर--

28 सितंबर 2008--राष्ट्रीय सहारा 

...........................................

‘‘जेहाद के नाम पर बिहार में भड़काया जाने लगा है एक वर्ग को।’’

    ----बिहार पुलिस की  खुफिया शाखा की रपट

             22 सितंबर 2001

..................................................

     पटना की एन.आई.ए.अदालत ने गांधी मैदान बम विस्फोट ( अक्तूबर, 2013) के 9 आरोपितों को दोषी ठहराया।

एन.आई.ए.के विशेष अभियोजक ललन प्रसाद सिन्हा ने कहा है कि दोषी ठहराए गए ‘सिमी’ से जुड़े रहे हैं।

................................................. 

इससे पहले जयपुर की अदालत ने देशद्रोह के आरोप में सिमी के 12 सदस्यों को गत मार्च में आजीवन कारावास की सजा दी ।

इससे पहले भी इस देश की अदालतें सिमी के लोगों को समय -समय पर सजाएं देती रही हैं।

......................................................

  सिमी के एक सदस्य अबुल बशर का इकबालिया बयान राष्ट्रीय सहारा के 28 सितंबर, 2008 के अंक में छपा है।

इस बयान की पृष्ठभूमि में हमारे देश के कतिपय नेताओं व बुद्धिजीवियों की टिप्पणियों को देखिए।

.........................................

 इकाबालिया बयान में बशर ने  

अन्य बातों के अलावा यह भी कहा है कि 

‘‘.....मैं इस विचार से सहमत हूं कि लोकतांत्रिक तरीके से ( भारत में )इस्लामिक शासन संभव नहीं है,उसके लिए एकमात्र रास्ता जेहाद है।’’

----------------

और अंत में

-------

याद रहे कि जयचंद ने मुहम्मद गोरी से मिलकर पृथ्वीराज चैहान के खिलाफ युद्ध नहीं लड़ा था।जयचंद निजी कारणों से सिर्फ चुपचाप बैठ गया था।यह बात भी छिपाई गई है कि गोरी के लोगों ने बाद में जयचंद को भी मार डाला था।

पर,आज के जेहादी-समर्थक नेता तो राष्ट्र द्रोहियों के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं।जहां -तहां जीत भी रहे हैं।बदले में उनकी जेहादी गतिविधियों के खिलाफ एक शब्द का भी उच्चारण नहीं कर रहे हैं।उल्टे सिर्फ उनसे यानी भाजपा-आरएसएस से लड़ रहे हैं जिनसे जेहादी लड़ रहे हैं।यानी, लग रहा है कि अपना देश मध्य युग की अपेक्षा आज अधिक खतरनाक दौर में प्रवेश कर गया है।

-------------