देश को सिर्फ प्रतिभा-विदेशी डिग्री वाला
नहीं बल्कि जरूरी जानकारियों के अलावा
अच्छी मंशा और देश की मिट्टी
की समझ वाला शासक चाहिए।
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सुरेंद्र किशोर
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‘‘भाजपा अनपढ़ों की फौज,इसके कमांडर भी अनपढ’’
---डा.शकील अहमद खान
बिहार कांग्रेस विधायक दल के नेता
दैनिक जागरण-29 मार्च 25
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‘‘मोदी बहुत बुद्धिमान ,वार्ता सार्थक होगी’’
अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड टं्रप
दैनिक हिन्दुस्तान-30 मार्च 2025
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इन दो बयानों को तथ्यों की कसौटी पर जरा कस कर देखिए।
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आजादी के तत्काल बाद के हमारे अति प्रमुख सत्ताधीशों में से अधिकतर आॅक्सफोर्ड या कैम्ब्रिज से शिक्षित थंे।
इसके बावजूद प्रारंभ के चार दशकों में ही एक सरकारी रुपया
घिसकर 15 पैसा क्यों और कैसे बन गया ?
हमारी सीमाएं क्यों सिकुड़ गई ?
(चीन ने 1962 में हमारी 38 हजार वर्ग किलो
मीटर जमीन हमसे छीन ली।)
ए.जी.नूरानी ने सबूतों के आधार पर इलेस्ट्रेटेड विकली आॅफ इंडिया में कई दशक पहले लिखा था कि चीन ने सोवियत संघ से पूर्व अनुमति लेकर ही 1962 में भारत पर चढ़ाई की थी।इधर विदेश -शिक्षित प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू पूर्व चेतावनियों के बावजूद शांति के कबूतर उड़ा रहे थे।
याद रहे कि सन 1985 में तत्कालीन प्रधान मंत्री राजीव गांधी ने कहा था कि ‘‘हम दिल्ली से 100 पैसे भेजते हैं किंतु गांवों तक उसमें से सिर्फ 15 पैसे ही पहुंच पाते हैं।’’
एक दिन में तो 100 पैसे 15 पैसे नहीं हो गये थेे।इसके लिए एक से अधिक प्रधान मंत्रियों के ‘‘योगदान ’’ की जरूरत पड़ी थी।
1962 से पहले नेहरू शासन काल में जब रक्षा मंत्रालय ने सेना की बुनियादी जरूरतों के लिए पैसे मांगे तो वित्त मंत्रालय ने नहीं दिये।
घोटालों की शुरूआत तो जीप घोटाले (1948)से ही हो
गयी थी। बेचारे कहां से पैसे देते ?
सन 1963 में ही तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष डी.संजीवैया को इन्दौर के अपने भाषण में यह कहना पड़ा कि ‘‘वे कांग्रेसी जो 1947 में भिखारी थे, वे आज करोड़पति बन बैठे।’’
गुस्से में बोलते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने यह भी कहा था कि ‘‘झोपड़ियों का स्थान शाही महलों ने और कैदखानों का स्थान कारखानों ने ले लिया है।’’
(कांग्रेस ने पहले मोदी मंत्रिमंडल में खाक पति से लाखपति बने मंत्री खोजे।जब नहीं मिले तो ‘अनपढ’़ का आरोप मढ़ दिया।)
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शिक्षित शासकों की सूची पेश है--
1.-जवाहरलाल नेहरू-प्रधान मंत्री-कैम्ब्रिज
2.-इंदिरा गंाधी--प्रधान मंत्री--आॅक्सफोर्ड
3.-राजीव गांधी-प्रधान मंत्री-कैम्ब्रिज
4.-जाॅन मथाई-वित मंत्री-आॅक्सफोर्ड
5.-सी.डी.देशमुख-वित मंत्री-कैम्ब्रिज
6.-एच.एम.पटेल-वित सचिव
और बाद में वित मंत्री-आॅक्सफोर्ड
7.-मोहन कुमार मंगलम -केदं्रीय मंत्री-कैम्ब्रिज
8-मनमोहन सिंह-रिजर्व बैंक के गवर्नर--कैम्ब्रिज
9.-एल.के.झा-रिजर्व बैंक के गवर्नर--कैम्ब्रिज
(यह सूची अपूर्ण है।)
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दूसरी ओर, नरेंद्र मोदी के शासन काल में भारत सरकार का कर राजस्व सन 2014 की अपेक्षा बढ़कर आज लगभग तीन गुणा से भी अधिक हो गया है।इसलिए देश में विकास
नजर आ रहा है।सेना के पास आज अधिक मात्रा में आधुनिक अस्त्र-शस्त्र हैं।दुश्मन देश आज हमसे सहमते हैं।
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10 साल (2015-25)में भारत की अर्थ व्यवस्था 2 दशमल 1 ट्रिलियन डाॅलर से बढ़कर 4 दशमलव 3 ट्रिलियन डाॅलर हो चुकी है।
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करीब बीस साल की आजादी के बावजूद सन 1966-67 में बिहार में भारी सूखा और अकाल पड़ा था।
लोग भूखों मर रहे थे।मवेशियां मर रही थीं।
बिहार सरकार ने केंद्र सरकार अनाज की मांग की।
उस मांग पर 5 नवंबर 1966 को प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने
पटना में संवाददाताओं से कहा कि ‘‘भारत सरकार के लिए यह संभव नहीं है कि हम बिहार की अनाज की मांग पूरी कर सकें।’’ध्यान रहे कि तब दोनांे जगह कांग्रेस सरकारें ही थीं।
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दूसरी ओर,कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुए नरेंद्र मोदी सरकार ने 80 करोड़ जनता के लिए हर माह अनाज देने का जो प्रावधान किया,वह आज भी जारी है।
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पढ़े-लिखे प्रधान मंत्री
मनमोहन सिंह के पास जाकर कोई जरूरी काम के लिए भी धन मांगता था तो सरदार जी कहते थे कि ‘‘रुपए पेड़ पर नहीं उगते।’’
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बेचारे सरदार जी क्या करते ?
दरअसल किसी और के इशारे पर रुपए तो घोटालों में चले जाते थे।जब भ्रष्टाचार की बात की जाती तो सरदार जी कहते कि ‘‘गठबंधन सरकार की कुछ मजबूरियां होती हैं।’’
इधर डा.शकील अहमद खान के शब्दों में ‘‘अनपढ़ों’’की सरकार मोदी सरकार के घोटाले खोज -खोज प्रतिपक्षी नेता,वकील ,पत्रकार हार गये।अब तक तो नहीं मिला।
पता नहीं,शायद आगे मिले !!!
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सुना है कि किसी प्रतिपक्षी दल का भी कोई संासद नितिन गडकरी के यहां अपने क्षेत्र में सड़क बनवाने की मांग करने जाता है तो मंत्री उसे भी उपकृत कर देते हैं ।क्योंकि भारत सरकार के पास अब पैसों की कमी नहीं है।
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दरअसल सिर्फ प्रतिभा-डिग्री से ही नहीं बल्कि शासक की अच्छी मंशा से देश आगे बढ़ता है।वैसे आज की भारतीय राजनीति में सर्वाधिक प्रतिभाशाली -सुपठित नेता सुधांशु त्रिवेदी भाजपा में हीं मौजूद हैं,इतना जानकार किसी अन्य दल में नहीं।ओवैसी भी सुधांशु की प्रतिभा की तारीफ कर चुके हैं।
कांग्रेस तो राहुल गांधी की अपेक्षा अधिक प्रतिभाशाली दिखाई पड़ने वाले नेताओं को ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरह पार्टी से बाहर करती रहती है।
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30 मार्च 25