शुक्रवार, 15 नवंबर 2024

 क्षमा-याचना सहित

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स्वाभाविक ही है।

लोग सामाजिक तथा अन्य तरह के समारोहों 

में शामिल होने के लिए मुझे यदाकदा बुलाते हैं।

पर, कई कारणों से मैं शामिल नहीं हो पाता।

इसके कुछ तो अपरिहार्य कारण हैं।

मेरा न जाना, किन्हीं के प्रति अवज्ञा कत्तई नहीं है।

किसे अच्छा नहीं लगेगा कि वह कहीं जाये और वहां उसे मान मिले।

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स्वाभाविक ही है कि उम्र बढ़ते जाने के कारण कार्य क्षमता कम होती जाती है।

 साथ ही, मेरे पास समय कम है और बहुत काम अभी बाकी हंै।

कुछ प्रकाशकों के प्रति इस बीच मेरी वचनबद्धता भी हो गयी है। काम पूरा करके उन्हें समय पर सौंपना है।

ऐसा न करने पर साख खराब होती है।

इसलिए बुलावे पर भी न जा पाने के लिए मेरी तरफ से क्षमा याचना !

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सुरेंद्र किशोर

15 नवंबर 24 


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