योगी अदित्यनाथ लोकप्रिय क्यों ?
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सुरेंद्र किशोर
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महाराष्ट्र विधान सभा चुनाव नतीजा आने के तत्काल बाद वरिष्ठ नेता शरद पवार ने कहा कि योगी आदित्यनाथ के
नारे और शिन्दे सरकार की लाड़िली बहन योजना के कारण राजग को इस चुनाव में लाभ मिला।(द हिन्दू-25 नवंबर 24)
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शरद पवार जैसे अनुभवी नेता की टिप्पणी को गंभीरता से लेने की जरूरत है।
आखिकार योगी का नारा काम क्यों कर रहा है ?
इससे पहले हरियाणा विधान सभा चुनाव
नतीजे पर भी योगी के नारे का भाजपा के पक्ष में
असर पड़ा था।
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योगी का चर्चित नारा असरदार क्यों हुआ ?
क्योंकि योगी के नारे के पीछे उनके कर्मों और उपलब्धियों का बल हैं।
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4 सितंबर, 24 के इंडिया टूडे (हिन्दी) में एक देशव्यापी सर्वेक्षण का नतीजा छपा है।
‘‘देश का मिजाज सर्वेक्षण’’ के नतीजे के अनुसार पूरे देश के एक लाख 36 हजार 463 लोगों में से 46.30 प्रतिशत लोगों ने योगी अदित्यनाथ को देश का सबसे अच्छा मुख्य मंत्री बताया।
इंडिया टूडे के अनुसार ,
‘‘लोकप्रियता में कुछ गिरावट के बावजूद उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ देश में अव्वल नंबर पर’’ हंै।
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अब सवाल है कि योगी आदित्य नाथ को सबसे अधिक लोग पसंद क्यों करते हैं ?
ध्यान रहे कि यह सिर्फ किसी एक राज्य के सर्वे का नतीजा नहीं है।
बल्कि 30 राज्यों में यह सर्वे हुआ था।
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मेरी समझ से देश के समक्ष जो मुख्य तीन सबसे कठिन समस्याएं हैं ,उनके समाधान के लिए योगी जी
किसी भी अन्य मुख्य मंत्री की अपेक्षा अधिक गंभीरता से यहां तक कि भारी खतरा उठाकर भी देशहित में सचेष्ट हैं।
उनकी सचेष्टता के कारण ही योगी को जान से मारने की लगातार धमकियां मिल रही हंै।
वे समस्याएं कौन-कौन सी हैं ?
वे हैं--
1.-सर्वव्यापी भीषण भ्रष्टाचार,
2.- बेलगाम (सामान्य) अपराध
और 3--जेहाद का गंभीर खतरा।
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निष्कर्ष--ये तीनों समस्याएं देशव्यापी हैं।
पर,इन समस्याओं के प्रति अलग -अलग राज्य सरकारों के
रुख-रवैऐ में भारी फर्क है।
यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है।
कहीं -कहीं तो कुछ राज्य सरकारें ही ऐसी समस्याएं बढ़ा रही हैं।ऐसे में यह स्वाभाविक ही है कि योगी की ओर देश के विवेकशील व राष्ट्रभक्त लोगों का ध्यान जाये।
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याद रहे जो भी सत्ताधारी या विपक्षी नेता इन समस्याओं को लेकर जितना कम चिंतित हंै या जो इन समस्याओं को घटाने के बदले बढ़ाने की दिशा में प्रयत्नशील हैं,उनकी ओर से आम जनता (अपवादों को छोड़कर )धीरे -धीरे विमुख होती जाएगी।बल्कि होती जा रही है।
बेहतर है कि वे देशहित मेें अब भी सावधान हो जाएं ,यदि वे अपनी राजनीतिक खैर चाहते हैं।
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26 नवंबर 24
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