आने वाले खतरे को पहचानिए
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जिस बांग्ला देश को सन 1971 में पाकिस्तान से मुक्त कराने के लिए 17 हजार सैनिकों ने अपनी जान गंवा दी,जिस भारत ने तब एक करोड़ बांग्ला देशी शरणार्थियों को आश्रय,भोजन और कपड़े दिए ,उस भारत को बांग्ला देश अब दुश्मन मान रहा है।
दूसरी ओर ,जिस पाकिस्तान ने तब 30 लाख बांग्ला देशी लोगों को मार डाला और दो लाख महिलाओं के साथ दुष्कर्म किया,उसे दोस्त मानने लगा है।
----तस्लीमा नसरीन
दैनिक जागरण
8 दिसंबर 24
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भारत और यूरोप सहित दुनिया के अनेक देशों में इन दिनों जेहाद की लहर चल रही है।
ऐसे में जेहादी तत्व इस बात का ध्यान नहीं रखते कि पहले किसने हमारा साथ दिया था या तटस्थ रह गया था।
याद रहे कि जयचंद सिर्फ तटस्थ रह गया था,फिर भी गोरी के सैनिकों ने उसे भी मार डाला था।
अरब-इजरायल युद्ध इस बात का सबूत है कि जेहादी लोग किसी अन्य धर्म के लोगों के साथ सह अस्तित्व में रहना स्वीकार नहीं करते।
तभी तक भाई चारा रहता है जब तक जेहादी अल्पमत में रहते हैं।
असम में 1950 में 12 प्रतिशत मुसलमान थे।
अब उनकी संख्या 40 प्रतिशत है।बढ़ती ही जा रही है।
खतरे का पूर्व अनुमान लगा लीजिए।
इस देश के अनेक इलाकों का भी यही हाल होता जा रहा है।
भारत मंे प्रतिबंधित फिर भी सक्रिय जेहादी संगठन पी.एफ.आई. जेहाद के लिए कातिलों का दस्ता तैयार कर रहा है।
उसका लक्ष्य है कि भारत को सन 2047 तक हथियारों के बल पर इस्लामिक देश बना देना है।वे तो ईमानदारी से अपना काम कर रहे हैं।पर इस देश को वैसे तत्वों से बचाने का काम क्या लोकतांत्रिक मिजाज वाले लोग कर रहे हैं ?संविधान की रक्षा का नारा देने वालों की इस पर क्या राय है ?
नहीं।साफ है कि उनके लिए वोट बैंक सर्वोपरि है।
लगता है कि मध्य युग लौट रहा है।
पाॅपुलर फ्रंट आॅफ इंडिया के राजनीतिक संगठन एस.डी.पी.आई.से कई राजनीतिक दलों का गहरा संबंध रहा है।
खबर है कि इस देश में इन दिनों अधिकतर मुस्लिम वोट पी.एफ.आई.ही कंट्रोल कर रहा है।डा.जाकिर नाइक को यह कहते आप यूट्यूब पर सुन सकते हैं--‘‘अब भारत में सिर्फ 60 प्रतिशत ही हिन्दू रह गये हैं।
भारत की ऐसी ही (आपस में कटी-बंटी )‘‘स्थिति’’ से उत्साहित होकर बांग्ला देश के जेहादी तत्व अब सार्वजनिक रूप से यह भी घोषणा करने की हिम्मत कर रहे हैं कि हम बंगाल-बिहार-ओड़िशा पर कब्जा कर लेंगे।
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चीन सरकार ने अपने श्ंिागजियांग प्रदेश के उइगर मुसलमानों का , जो जहादी हैं, अभूतपूर्व दमन करके उन्हें काबू में रखा है।
चीन सरकार कहती है कि ऐसे तत्वों का ‘‘इलाज’’लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था वाले देश में संभव नहीं है।
हमारे यहां यानी चीन में जैसी एकाधिकारवादी राजनीतिक व्यवस्था हैं,उसी व्यवस्था में जेहादियों का सफाया संभव है।
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एक आंशका
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पी.एफ.आई.अभी तो घातक हथियार जुटा रहा है।
जिस दिन वह भारत में गृह युद्ध शुरू करेगा,उस दिन क्या यहां मार्शल लाॅ लागू करने की भारत सरकार के सामने मजबूरी नहीं हो जाएगी ?
वोट के लिए जो लोग आज पी.एफ.आई.के
प्रत्यक्ष-परोक्ष समर्थक बने हुए हैं,वे उस दिन की पूर्व कल्पना कर लें।
यदि वोट के लोभ में वैसे नेता खुद अंधा बने हुए हैं तो उनके परिवारजन को चाहिए कि वे उन पर दबाव डाल कर उनकी राष्ट्रद्रोही और आत्म घाती राह को बदलने के लिए उन्हें मजबूर कर दें।वैसे मैं खुद ईश्वर से प्रार्थना करूंगा कि वह दिन भारत में कभी न आये।
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8 दिसंबर 24
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