रविवार, 19 अप्रैल 2009

जार्ज का एक वो भी जमाना था, एक ये भी जमाना है !

हाल में जार्ज फर्नांडीस और उनके समर्थक खुद जार्ज के लिए जदयू से एक अदद चुनावी टिकट के लिए जद्दोजहद कर रहे थे । यह दयनीय दृश्य देखकर कुछ पुराने लोगों को उनका सन् 1977 का उनका वह गौरवपूर्ण जमाना याद आ गया । तब उन्हें मुजफ्फर पुर की जनता ने 3 लाख 34 हजार मतों से जिताया था। मुजफ्फरपुर की अधिकतर जनता ने जब उन्हें जिताया, तब तक उन्हें देखा भी नहीं था। पर आज उसी जार्ज की अब कैसी स्थिति बन चुकी है ! इस पर कुछ लोगों को दया आ रही है तो कुछ लोगांे ंको गुस्सा। कई लोग यह भी कह रहे हैं कि उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी और ज्योति बसु की तरह शालीनतापूूर्वक सक्रिय राजनीति से रिटायर कर जाना चाहिए था। क्योंकि जार्ज का स्वास्थ्य सचमुच सक्रिय राजनीति करने लायक नहीं है। कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि जब जार्ज चाहते थे तो जदयू को चाहिए था कि वह उन्हें टिकट दे देता।यदि किसी कारण टिकट नहीं दिया तो जार्ज को चाहिए था कि अपने लिए एक अदद टिकट के लिए बच्चे की तरह जिद नहीं करते। जार्ज देश के एक बड़े नेता रहे हैं।जब वे स्वस्थ थे तो उन्होंने अपनी अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका भारतीय राजनीति में निभाई।ऐसी भूमिका, जिस तरह की भूमिका पर अधिकतर नेताओं को ईष्र्या ही हो सकती है। पर अंत में एक टिकट के लिए उनकी ऐसी दयनीय स्थिति ? इस पृष्ठभूमि में इन पंक्तियों के लेखक की वह रिपोर्ट यहां प्रस्तुत की जा रही है जो सन् 77 में जार्ज के चुनाव क्षेत्र से लिखी गई थी। मुजफ्फर पुर,13 मार्च 1977। जनता पार्टी के उम्मीदवार जार्ज फर्नांडीस के यहां सशरीर उपस्थित नहीं रहने के बावजूद लाखों मतदाताओं की जुबान पर वे छाए हुए हैं।जेल में बंद रहने के कारण लोगों में सर्वत्र उनके प्रति अतिरिक्त समर्थन और सहानुभूति देखी जा रही है।पिंजरे में बंद उनके पुतले तथा हथकड़ियों में जकड़े उनके चित्र वाले पोस्टर शासक दल के प्रति लोगों में गुस्सा पैदा कर रहे हैं। मुजफ्फर पुर संसदीय क्षेत्र के सघन दौरे के बाद यह संवाददाता इस नतीजे पर पहुंचा है कि जार्ज फर्नांडीस के चुनाव अभिकत्र्ता शारदा मल्ल के इस दावे में काफी दम है कि ‘सवाल जीत -हार का नहीं बल्कि इस बात का है कि कांग्रेस और कम्युनिस्ट उम्मीदवारों की जमानत भी बच पाती है या नहीं।’ पर, जनता पार्टी के कार्यकत्र्ताओं के समक्ष एक और सवाल है कि लोगों की सद्भावना को 16 मार्च को पूरे तौर पर वोट में कैसे बदला जाए और इस सवाल का जवाब ही जनता पार्टी के भाग्य का फैसला करेगा।एक कांग्रेसी बुद्धिजीवी के अनुसार ‘भावनाओं से अधिक वस्तुगत स्थिति अधिक प्रभावकारी होगी।’ चुनाव की वस्तुगत स्थिति समझाते हुए जार्ज फर्नांडीस के सहयोगी प्रो.विनोद ने कहा कि मुजफ्फरपुर संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत 6 विधानसभा क्षेत्रों में से कुढहनी, बोचहा और सकरा से पिछले कई चुनावों से समाजवादी विधायक विजयी होते रहे हैं। मीना पुर और गायघाट में कांग्रेस पार्टी का प्रभाव रहा है, परंतु मुजफ्फरपुर नगर कम्युनिस्टों का कार्य क्षेत्र है। फिर भी कुल मिलाकर इन तीन क्षेत्रों में भी जनता पार्टी कांग्रेस और कम्युनिस्ट उम्मीदवारों से आगे है।’ प्रोफेसर विनोद के अनुसार कई स्थानों पर प्रतिपक्षियों द्वारा चुनाव में जोर-जबरदस्ती की भी आशंका है, जिसका जनता समुचित जवाब देगी। पर जनता पार्टी चुनाव कार्यालय के प्रभारी श्री नरेंद्र ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर मांग की है कि शहर के सर्किट हाउस के निकट निजी मकानों पर टंगे जनता पार्टी के झंडों को काजी मुहम्मदपुर थाने के दारोगा द्वारा जबरदस्ती उतरवाने तथा लोगों को झंडे टांगने से मना करने की घटना की जांच करायी जाये तथा ऐसी घटनाओं को रोका जाये। श्री नरेंद्र ने भाकपा कार्यकर्ताओं द्वारा चंदवारा मुहल्ले में जनता पार्टी के झंडों को जलाने की घटना की भी निंदा की है। जनता पार्टी के प्रवक्ता के अनुसार ‘‘कम्युनिस्टों की बौखलाहट इसलिए है कि जाॅर्ज फर्नांडीज की उम्मीदवारी से मजदूरों के बीच उनका प्रभाव लगभग समाप्त हो गया है।’’ सचमुच जार्ज फर्नाडीज को डाक-तार विभाग के भाकपा प्रभावित लोगों को छोड़कर शहर के लगभग सभी मजदूर संघटनों का समर्थन प्राप्त है। भाकपा से विद्रोह कर चुनाव लड़नेवाले निर्दलीय उम्मीदवार ने परंपरागत कम्युनिस्ट वोट को भी छिन्न-भिन्न कर दिया है। यह उम्मीदवार जिले भर के कार्यकर्ताओं में लोकप्रिय हैं। मीनापुर क्षेत्र में उनका विशेष प्रभाव है। उनके सहयोगियों का तो यह भी दावा है कि उन्हें भाकपा उम्मीदवार रामदेव शर्मा से अधिक मत प्राप्त होंगे। दूसरी ओर, माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के श्री नन्दकिशोर शुक्ल अपने दल-बल के साथ श्री फर्नांडीज के लिए काम कर रहे हैं। कई इलाकों में श्री शुक्ल का प्रभाव है। उन्होंने इस संवाददाता को बताया कि श्री फर्नाडीज जैसे मजदूर नेता के विरुद्ध भाकपा मजदूरों के समक्ष तर्कहीन हो गयी है। फिर भी शहरी क्षेत्र में भ्रमण के बाद मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि भाकपा वहां एक ताकत है, जो भले श्री फर्नांडीज से पीछे हो, पर कांग्रेस से आगे है। शहर में कांग्रेस का कोई नामलेवा नजर नहीं आता। तिलक मैदान स्थित कांग्रेस पार्टी के कार्यालय में जब यह संवाददाता पहुंचा, तो देखा कि वहां श्मशान की शांति थी। न कोई गाड़ी, न कार्यकर्ता, न ही चुनाव-कार्यों की चहल-पहल। एक कांग्रेसी नेता ने मरे स्वर में कहा, ‘‘ पता नहीं क्या हो गया है पार्टी को।’’ तभी समस्तीपुर से फोन आया। जिला कांग्रेस कामेटी के अध्यक्ष श्री रामसंजीवन ठाकुर ने फोन उठाया, ‘‘ हलो, क्या हाल है।’’ उधर से आवाज आई, ‘सन् 67 से भी बदतर हाल है।’ श्री ठाकुर के फोन रख देने के बाद एक अन्य कांग्रेसी नेता ने अपना अनुभव सुनाते हुए कहा, ‘‘ मैं एक गांव में अपने समर्थक के यहां गया, उसकी मैंने काफी मदद की थी। उससे वोट के बारे में बातें कीं। उसने कहा कि ‘‘अबकी बार छोड़ दिअउ, माफ कर दिअउ, उन्नीस महीने में बड़ जुलुम भेलई हअ।’’ कांग्रेस पार्टी के दफ्तर में भी जनता पार्टी की बड़ी- बड़ी चुनाव सभाओं की चर्चा होने लगी।एक ने कहा कि ‘लोग भी उसी तरह की बातें सुनना पसंद करते हैं।पता नहीं लोगोंको क्या हो गया है।’ जिला कांग्रेस कमेटी के सचिव शकूर अंसारी से जब हमने इस पर बातें की तो उन्होंने कहा कि ‘शहर में कांग्रेस पार्टी जरूर उदास है,उसके कारण हैं क्योंकि यहां तो कालाबाजारी,मुनाफाखोर और भ्रष्ट व्यापारी रहते हैं और वे सब के सब जनता पार्टी के साथ हैं।गांवों में हमारी स्थिति अच्छी है और प्रतिदिन स्थिति मजबूत होती जा रही है।’ पर अन्य सूत्रों से प्राप्त सूचनाओं के अनुसार जिला कांग्रेस पार्टी भीतर -भीतर दो खेमों में बंट गई है और कांग्रेसी उम्मीदवार नीतीश्वर प्रसाद सिंह कार्यकत्र्ताओं का अभाव महसूस कर रहे हैं।कांग्रेस के एक व्यक्ति ,जिसका अपनी जाति में काफी प्रभाव माना जाता है,टिकट न मिलने के कारण क्षुब्ध है और तथा वे भीतर ही भीतर कांग्रेस उम्मीदवार नीतीश्वर प्रसाद सिंह के विरूद्ध काम कर रहे हैं।बोचहा और सकरा के दोनों हरिजन विधायक रमई राम और हीरालाल पासवान ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है।वे जनता पार्टी के लिए समर्थन जुटाने में लग गए हैं।इसके अतिरिक्त मुजफ्फर पुर जिले के कई भूतपूर्व सांसदों,विधायकों और युवा कांग्रेस के अनेक कार्यकत्र्ताओं ने दल से इस्तीफा दे दिया है और जनता पार्टी के उम्मीदवार के लिए काम करना प्रारंभ कर दिया है। छात्र आंदोलन के दौरान विश्व विद्यालय की नौकरी से निकाले गए आठ शिक्षक और दर्जनों छात्र जनता पार्टी की जीत के लिए दिन रात काम कर रहे हैं।इसके अतिरिक्त महाराष्ट्र से शरद राव,दिल्ली से सुषमा कौशल ,उत्तर प्रदेश से जगदीश लाल श्रीवास्तव,कलकत्ता से अशोक सेकसरिया अपने दर्जनों सहयोगियांे के साथ चुनाव कार्य में लगे हुए हैं।इसके अतिरिक्त श्री फर्नांडीस की मां एलिस फर्नांडीस ने महिलाओं का ध्यान आकृष्ट किया है।कांपती हुई बूढ़ी एलिस फर्नांडीस का हाथ जोड़ अपने तीन बेटों की रिहाई की खातिर वोट मांगना प्रभावोत्पादक दृश्य उपस्थित करता है। श्री फर्नांडीस का चुनाव कार्यालय बहुत ही चुस्त और कार्यकुशल दिखाई पड़ा।श्री फर्नांडिस ने बड़ी संख्या में चुनाव साहित्य बंटवाए हैं।श्री फर्नांडीस भले रिहा नहीं किए गए,पर वे अपने सहयोगियों से निरंतर संपर्क बनाए हुए हैं।एक सूचना के अनुसार श्री फर्नांडीस ने देश भर में फैले अपने प्रशंसकों और शुभचिंतकों को मुजफ्फर चुनाव क्षेत्र में जाकर काम करने के लिए जेल से ही पत्र लिखे हैं।उन्होंने जनता पार्टी तथा जनतांत्रिक कांग्रेस के लगभग सभी बड़े नेताओं को पत्र लिख कर मुजफ्फर पुर पहुंचने का आग्रह किया है।यही कारण है कि मुजफ्फर पुर में जनता पार्टी की ओर से न तो बड़ी बड़ी आम सभाओं की कमी हुई,न कार्यकत्र्ताओं की और न साधनों की।देश भर से छेाटी छोटी रकम की मदद लगातार आ रही है।देश विदेश के लगभग सभी समाचार पत्रों ,संवाद समितियों तथा रेडियो-टेलीविजन संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने मुजफ्फर पुर का दौरा किया है। दुनिया भर के लोगों की आंखें मुजफ्फर पुर की ओर लगी हुई है जहां 16 मार्च को सुबह 7.30 बजे और शाम 4.30 बजे के बीच लगभग पौने सात लाख मतदाता बड़ोदा डायनामाइट मुकदमे के मुख्य अभियुक्त ,सोशलिस्ट पार्टी के अध्यक्ष तथा अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त मजदूर नेता श्री जार्ज फर्नांडीस के भाग्य का फैसला करेंगे। जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अब्दुला बुखारी ने श्री फर्नांडीस को लिखे पत्र में कहा है कि ‘........हर सही सोचने वाला आदमी तुम्हारे कार्यों और जिस बहादुरी से तुम तानाशाह का सामना कर रहे हो,उसका आदर किए बिना नहीं रह सकता।तुम इस महान देश को दल -दल से निकालने की कोशिश कर रहे हो,तुम्हारी इस कोशिश में मैं तुम्हारे साथ हूं और तुम्हारी कामयाबी की कामना करता हूं।’ श्री बुखारी के पत्र और पटना के उर्दू दैनिक ‘संगम’ के संपादक व ओजस्वी वक्ता श्री गुलाम सरवर के भाषणों का मुजफ्फर पुर की जनता खास कर अल्पसंख्यकों पर ,प्रभाव पड़ा है जिससे सी.पी.आइ.को क्षति पहुंची है।क्योंकि अब तक भाकपा को ही मुसलमानों के अधिकतर वोट मिलते रहे हैं। दूसरी ओर गंवई इलाकों में जातिवाद टूटा है।लोग छोटी छोटी बातों से उपर उठकर परिवार नियाोजन,पारिवारिक तानाशाही और आपातकाल की ज्यादतियों पर चर्चा करने लगे हैं। जनता पार्टी के प्रवक्ता ने बताया कि कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टियां जनता पार्टी की समर्थक भोली भाली जनता को गाय बछड़ा और हंसिया बाल दिखा कर प्रचार कर रही है कि यही जनता पार्टी का चुनाव चिह्न है।प्रवक्ता के अनुसार जनता पार्टी के स्वयंसेवक इस भ्रम को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं। जनता पार्टी के उम्मीदवार के पक्ष में सबसे बड़ी बात यह है कि वे तिहाड़ जेल में बंद हैं और उनके समर्थकों ने इस स्थिति से सर्वाधिक लाभ उठाने की कोशिश की है।मुजफ्फर पुर निर्वाचन क्षेत्र में श्री फर्नांडीस के समर्थन में जारी किए गए पोस्टरों,परचों,पुस्तिकाओं और अन्य प्रचार सामग्री में उनके जेल जीवन को अधिकाधिक उभारा गया है।मतदाताओं पर इसकी अनुकूल प्रतिक्रियाएं हुई हैं। जेलनुमा पिंजरे में बंदी फर्नांडीस के हथकड़ी-बेड़ी लगे पुतले तथा पोस्टरों पर जेल में बंद हथकड़ी लगे दो हाथ लोगों का ध्यान अनायास अपनी ओर खींच लेते हैं।इससे जनता में उनके प्रति सहज सहानुभूति पैदा हो जाती है। इसके अतिरिक्त श्री फर्नांडीस की 66 वर्षीया बूढ़ी मां की मतदाताओं से मार्मिक अपील ,उनके भाई लाॅरेंस फर्नांडीस पर ढाए गए पुलिस जुल्म की खबर और स्वयं जार्ज फर्नांडीस द्वारा तिहाड़ जेल में अनिश्चितकालीन अनशन की खबर ने सामान्य जन जीवन को स्पर्श किया है जो धूम धड़ाके के प्रचार से कहीं अधिक प्रभावकारी प्रतीत हो रहे हैं।
पब्लिक एजेंडा से साभार

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