क्या इस देश की कोई भी सरकार अखबारों में विज्ञापन देकर
गर्व पूर्वक यह घोषित कर सकती है कि हमारे फलां आॅफिस में
आम जनता से कोई रिश्वत नहीं ली जाती ?!!
यदि कर सकती है तो जल्दी कर दे ।
मुझसे अधिक खुशी किसी और को नहीं होगी।
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सुरेंद्र किशोर
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मेरे आवास में मौजूद टाटा प्ले (डी टी एच सेटेलाइट टेलिविजन कनेक्शन)
का एंटीना कल बदला गया।
दोपहर की रिकाॅर्ड गर्मी में भी टेक्नीशियन ने आकर सारा काम कर दिया।
मैंने पूछा कि कितने पैसे दूं।
उसने कहा कि आॅनलाइन पेमेंट होगा।
मुझे कोई पैसा मत दीजिए।
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आज टाटा प्ले के आॅफिस से मुझे फोन आया।
पूछा --क्या आपके यहां काम हो गया ?
मैंने कहा--हां।
उसने पूछा--क्या हमारे आदमी ने आपसे पैसे भी लिए ?
मैंने कहा - नहीं।
काम से आप संतुष्ट हैं ?
मैंने कहा --हां।
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इससे पहले भी टाटा स्काई (पूर्व नाम)के कर्मी ने जब कभी घर आकर कोई काम किया,मुझे बाद में फोन पर पूछा गया--आपसे कोई पैसा तो नहीं मांगा ?
मैंने सदा ना में जवाब दिया।वही सच भी था।
याद रहे कि टाटा प्ले का टाटा सन्स मालिक है।
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राजनीतिक या व्यक्तिगत कारणों से आप निजी कंपनियों को चाहे जितनी भी गालियां देते रहें,पर सार्वजनिक उपक्रम, जन सेवा में उनका मुकाबला नहीं कर सकते।
टाटा सन्स जैसी निजी कंपनी भले और जो काम कर रही होती है,पर आम जनता का भयादोहन तो नहीं करती।
दूसरी ओर आज शायद ही किसी सरकारी आॅफिस से अपमानित महसूस किए बिना कोई आप लौट सकता है।लगभग हर सरकारी सेवक ड्यूटी को अधिकार समझते हैं।
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मेरे यहां दशकों तक बी एस एन एल फोन था।
बहुत खराब अनुभव रहा।
फोन कनेक्शन कटवाने के बाद मेरा सिक्युरिटी मनी आज तक नहीं मिला क्योंकि मैंने कमीशन नहीं दी।
अब मेरे पास निजी कंपनी का लैंड लाइन है।न नजराना,न शुकराना न हड़काना और न ही भयोदाहन।
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एक काल्पनिक बात
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टाटा प्ले का ब्लाॅक स्तर का कोई कर्मचारी यह नहीं कहता कि मैंने इतने लाख रुपए देकर यहां अपनी पोस्ट्रिग कराई है।
इसलिए आपका काम मैं पैसे के बिना कैसे कर दूं ?
मुझे जन प्रतिनिधियों को भी कट मनी देनी पड़ती है सो अलग।
टाटा प्ले का जिला स्तर का अफसर अपने मातहत से यह नहीं कहता कि आप मुझे इतने लाख रुपए हर महीने दे देना।
क्योंकि मुझे ऊपर भी देना पड़ता है।
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अब आप सरकारों के वैसे दफ्तरों की कार्य शैली पर गौर करें।
क्या भारत सरकार या कोई राज्य सरकार अपने किसी भी एक भी आॅफिस का नाम , जिस आॅफिस का जनता से रोज-रोज का सीधा संबंध रहता है,अखबारों में विज्ञापित करके यह चैलेंज कर सकती है कि वहां रिश्वत नहीं ली जाती ?!!
यदि कोई सरकार ऐसा दावा कर दे तो मुझे बड़ी खुशी होगी।
मैं मान लूंगा कि यहां जनता को सरकारी तंत्र परेशान नहीं करता।
शुकसागर में लिखा हुआ है कि कलियुग में राजा ही अपनी प्रजा को लूटेगा।
(साथ ही,यह भी बता दूं कि व्यक्तिगत आधार पर मुझे इस बात की जानकारी है कि कई सत्ताधारी नेता आज भी हैं जो खुद अपने लिए घूस नहीं लेते।
किंतु वे भी सर्वव्यापी घूसखोरी बंद करने मंें सर्वथा असमर्थ हैं।
नरेंद्र मोदी बड़े -बड़े काम कर रहे हैं।
पर वे भी चाहते हुए भी सांसद फंड (भ्रष्टाचार का रावणी अमृत कुंड )बंद नहीं कर पा रहे हैं।
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20 अप्रैल 23
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