सोमवार, 24 अक्तूबर 2022

    दीवाली की मिठाई में कितना 

   जहर और कितना अमृत ?!

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 सुरेंद्र किशोर

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‘‘बिना जहरीले रंगों और रसायनों के विशेष

 तौर पर बनी हुई मिठाई’’

..........भागलपुर स्थित तपोवर्धन प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र ने 

दीपावली की शुभ कामनाओं सहित जो मिठाई भिजवाई है,उसके डिब्बे पर उपर्युक्त बातें लिखी हुई हैं।

चिकित्सा केंद्र के संचालक डा.जेता सिंह ने बाजार से खरीद कर मिठाई नहीं भिजवाई,बल्कि अपनी देखरेख में ऐसी मिठाई तैयार करवाई जिसके खाने से कोई रोग नहीं होने वाला है।

इस बात का उन्होंने विशेष तौर पर ध्यान रखा है।

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  दरअसल अपवादों को छोड़कर बिहार सहित इस देश के बाजारों में मिल रही मिठाइयों में कौन -कौन से रसायन और जहरीले रंग मिले हुए होते हैं,उनके बारे में कोई गारंटी नहीं।

मिलावट खोरों के समक्ष पूरी शासन व्यवस्था विफल हो गई लगती है।

पटना के महावीर मंदिर में निर्मित नैवेद्यम लड्डू को छोड़ कर  पटना की किसी अन्य मिठाई पर मेरा कोई भरोसा नहीं।

संभव है कि कहीं इक्की दुक्की जगहों में शुद्ध मिठाई तैयार होती हो !!

आपको वैसी जगह का पता हो ,तो जरूर बताइएगा।

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1.-बिक्रेता सब्जियों की ताजगी बरकरार रखने अथवा उनके परिरक्षण के लिए उन्हें कीटनाशकों में डूबोते हैं।

तेलों और मिठाइयों में वर्जित पदार्थों की मिलावट की जाती है।

2.-सब्जियों और दूसरे खाद्य पदार्थ को धोना फायदेमंद है।

लेकिन पकाने से विषैले अवशेष बिरले ही खत्म होते हैं।

निगले जाने के बाद छोटी आंत कीटनाशकों को सोख लेती हैं।

3.-शरीर भर में फैले बसायुक्त उत्तक इन कीटनाशकों को जमा कर लेते हैं।

 इनसे दिल,दिमाग,गुर्दे और जिगर सरीखे अहम अंगों को नुकसान पहुंच सकता है।

----इंडिया टूडे हिंदी-15 जून, 1989

कई साल पहले भारत की  संसद में यह कहा गया कि अमेरिका की अपेक्षा हमारे देश में तैयार हो रहे कोल्ड ड्रिंक में 

रासायनिक कीटनाशक दवाओं का प्रतिशत काफी अधिक है ।इस पर  सरकार ने कह दिया कि यहां कुछ अधिक की अनुमति है।

सन 1999 में तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी  को पटना हवाई अड्डे पर जो बोतलबंद पानी  परोसा जाने वाला था,वह अशुद्ध पाया गया था।

  ऐसी ही घटना 2010 में मनमोहन सिंह के साथ कानपुर में हुई थी जब वे प्रधान मंत्री के रूप में वहां यात्रा पर गए थे।

उन्हें परोसे जाने वाले मूंग की दाल और खरबूजे के बीज अशुद्ध और मिलावटी पाए गए थे। 

यानी प्रधान मंत्री भी नहीं बच पा रहे हैं।एस.पी.जी.ने उसकी जांच नहीं की होती तो पी.एम.द्वय भी मिलावट के कारण बीमारी की चपेट में आ जाते।

  हाल की खबर है कि इस देश में बिक रहे 85  प्रतिशत दूध मिलावटी है।जितने दूध का उत्पादन नहीं है,उससे अधिक की आपूत्र्ति हो रही है।  

सवाल है कि इस देश में अन्य कौन सा खाद्य व भोज्य पदार्थ कितना शुद्ध है ?

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विभिन्न सरकारें लोक स्वास्थ्य की रक्षा के लिए क्या -क्या करती हंै ? 

कितने दोषियों को हर साल सजा हो पाती है ?

मिलावट का यह कारोबार जारी रहा तो कुछ दशकों के बाद हमारे यहां कितने स्वस्थ व कितने अपंग बच्चे पैदा होंगे ?

पीढ़ियों के साथ इस खिलवाड़ को आप क्या कहेंगे ?

क्या सबके मूल मंे भष्टाचार नहीं है ?   

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 विधान परिषद की विशेष समिति ने जांच के बाद सन 2002 में ही यह कहा था कि ‘‘पूरा समाज  मिलावटी कारोबार करने वालों की दया पर निर्भर हो गया है।यहां तक कि बिहार विधान सभा का कैंटीन भी अपमिश्रण के मामले में अछूता नहीं रहा।’’

  पटना की कई प्रतिष्ठित किराना दुकानों को भी समिति ने अपमिश्रण के मामले में अपवाद नहीं माना था।

मिलावटखोरों के खिलाफ मामले की सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर पीठ ने 2011 में ही कहा था कि उनके खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून का इस्तेमाल किया जा सकता है।समय- समय पर इस देश की विभिन्न अदालतों ने भी कड़ी कार्रवाई की जरुरत बताई।

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एन.एस.ए.कौन कहे,मिलावटखारों के खिलाफ सामान्य कानूनों के तहत भी कार्रवाइयां नाममात्र की होती हंै।

 मिलावट पर काबू पाने के लिए तैनात सरकारी एजेंसियां अपवादों को छोड़कर मिलावटखोरों से नजराना-शुकराना वसूली के धंधे में लिप्त रहती हंै।

देश की विभिन्न सरकारों ने सामान्य उपभोक्ताओं को जहर के सौदागरों के राक्षसी चंगुल में धकेल रखा है।

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ऐसे में पटना के महावीर मंदिर और भागलपुर के चिकित्सा केंद्र जैसे इक्के -दुक्के संस्थानों से कैंसर पर कितना काबू पाया जा सकेगा ?

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दीपावली के अवसर पर मेरी यह कामना है कि आप मिलावट के जहर से खुद को और परिवार को बचाए रखें 

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