मोदी के तीसरी बार सत्ता में आ जाने के बाद
भ्रष्ट और राष्ट्रद्रोही तत्व जरूर अब ‘‘भय के
चक्रव्यूह’’ में फंस गये हैं।
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वैसे यह ढीली-ढाली मोदी सरकार उनके खिलाफ कितना कठोर और कारगर शिकंजा कसने के उपाय कर पाएगी,यह तो अगले कुछ महीनों में ही पता चल पाएगा।
कहते हैं कि --‘‘उम्मीद पर दुनिया जिन्दा है।’’
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सुरेंद्र किशोर
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लोक सभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी (कांग्रेस)ने कल सदन में कहा कि
‘‘देश भय के चक्रव्यूह में फंस गया है।’’
क्या यह आरोप सही है ?
इसके जवाब में अलग -अलग तरह के लोग अलग -अलग तरह से चर्चा करेंगे।करने दीजिए।उनसे मुझे कोई एतराज नहीं।
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पर,इस देश के लोगों का एक हिस्सा ऐसा भी है जिसका मानना है कि मुख्यतः दो ही तरह के लोग अब कुछ अधिक ही भयभीत हो उठे हंै।
क्योंकि उन्हें अब ‘‘माफी’’ की उम्मीद नहीं।
गत लोक सभा चुनाव के बाद वे कुछ अधिक ही भयभीत हो उठे हैं।
क्योंकि उन तत्वों को यह उम्मीद ही नहीं थी कि नरेंद्र मोदी तीसरी बार भी सत्ता में आ जाएंगे।
क्योंकि मोदी विरोधी देसी-विदेशी शक्तियों ने खास कर अरबपति जार्ज सोरेस ने पिछले लोक सभा चुनाव में अपनी ओर से यह पक्का ‘‘इंतजाम’’ कर दिया था कि मोदी सत्ता में न आ पायें।
ताकि, इस देश की बड़ी -बड़ी हस्तियों के खिलाफ गंभीर आरोप में जो मुकदमे चल रहे हैं,उन्हें रफा दफा किया जा सके।
साथ ही, एक अन्य तरह के तत्व यह उम्मीद कर रहे थे कि मोदी के सत्ता में न आने के बाद उनका धार्मिक लक्ष्य 2047 तक पूरा हो ही जाएगा।
ऐसे दो तत्वों का भयभीत होना स्वाभाविक ही है।
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अन्य कौन से अन्य तत्व कितना भयभीत हैं,यह तो आने वाले दिन ही बताएंगे।
लेकिन वे सांसद जरूर भयभीत लग रहे हैं जो संसद की कार्य संचालन नियमावली से काफी अलग हट कर सदन में अंट -शंट बके जा रहे हैं।
इस क्रम में न तो वे स्पीकर की गरिमा का ध्यान रख रहे हैं और न ही खुद उन्हें इस बात का अंदाज है कि वे क्या बोलना चाहते हैं और क्या बोल रहे हैं।
सदन का इतना अवमूल्यन इससे पहले कभी नहीं हुआ था।
आश्चर्य है कि प्रधान मंत्री और स्पीकर यह सब होने दे रहे हैं।
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यदि अवमूल्यन इसी रफ्तार से जारी रहा तो जनता राष्ट्र कवि रामधारी सिंह ‘‘दिनकर’’ की कविता को याद करके एक दिन सभी पक्षों को कोसेगी जो आज सदन के सदस्य हैं।ं
वह कविता है--
‘समर शेष है, नहीं पाप का भागी केवल व्याध,
जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध ।’
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30 जुलाई 24