बिहार में रोज पांच हजार लोगों तक पहुंच रहे
डायल 112 के वाहन,रिस्पांस टाइम 20 मिनट।
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हे सरकार देवता ! रिश्वत के सरकारी राक्षसों से
भी पीड़ितों की रक्षा का कुछ उपाय करिए
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सुरेंद्र किशोर
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बिहार में इन दिनों पीड़ित व्यक्ति 112 नंबर पर डायल करता है और पुलिस वाहन
20 मिनट में उसके यहां पहुंच जाता है।
आज के दैनिक भास्कर में यह खबर छपी है।
मैं व्यक्तिगत जानकारी के आधार पर कह सकता हूं ंकि यह
खबर बिलकुल सही है।
खासकर महिलाओं को इससे बहुत राहत मिल रही है।
एक और बात हो रही है।
इस मामले में कोई रिश्वत लिए बिना ही पुलिस तत्काल राहत तो पहुंचा ही रही है,कुछ दिनों के बाद महिला से फोन पर पुलिस यह भी पूछती है कि आपको अब कोई दिक्कत तो नहीं है ?
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तरह -तरह के अपराधों से पीड़ित बिहार में इससे बड़ी बात कुछ नहीं हो सकती है।
डायल 112 की व्यवस्था बिहार पुलिस की बिगड़ी छवि को बेहतर बना रही है।
उम्मीद है कि इसका और भी अधिक प्रचार होगा और इस सेवा का विस्तार होगा।
इस सेवा से अब यह भी लगता है कि संकट में सरकारी तंत्र हमारे काम आ सकता है।
वैसे तो इस सरकार की छवि यह बन चुकी है कि बिना नजराना-शुकराना के सरकारी अमला एक कदम भी नहीं उठाता और एक लाइन भी कागज पर नहीं लिखता।
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डायल 112 की इस सफल सेवा के बाद बिहार सरकार से यह उम्मीद की जाती है कि वह सरकारी दफ्तरों के घूसखोर अफसरों-कर्मचारियों के खिलाफ स्टिंग आपरेशन चलाये।
लगे हाथ केरल की सत्ताधारी पार्टी सी.पी.एम.की एक ताजा जांच रपट की चर्चा कर दूं।
हाल के लोक सभा चुनाव में शर्मनाक पराजय के बाद माकपा ने कारणों की जांच की।
पता चला कि कुछ अन्य कारणों के साथ-साथ यह भी उनके खिलाफ गया कि हर स्तर पर सी.पी.एम.सरकार में भ्रष्टाचार व्याप्त है।
पूरी रपट के लिए आज का इंडियन एक्सप्रेस पढ़िए।
साथ ही, बिहार की सत्ताधारी जमात भी इससे सबक ले जिसकी सरकार में भ्रष्टाचार यत्र तत्र सर्वत्र व्याप्त है।इस मामले में मेरा निजी अनुभव भी यही बताता है।आप कितने बड़े पत्रकार हांे या कोई अन्य तोप हों,,शुकराना-नजराना से यहां छूट आपको भी नहीं।
कुछ दशक पहले तक बिहार में ‘‘डायन भी एक घर छोड़ देती थी।’’
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6 जुलाई 24
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