बुधवार, 17 जुलाई 2024

 जरूरी हाजिरी विरोधी शिक्षकों के समक्ष योगी सरकार झुकी

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 चीन सरकार कहती है कि इस्लामिक जेहाद की समस्या का समाधान लोकतंत्र में संभव नहीं है।वह हमारी तरह की व्यवस्था में ही संभव है।

 दूसरी ओर, भारत की स्थिति तो यह बन गई है कि यहां जेहाद कौन कहे,शिक्षा-परीक्षा में कदाचार और सरकार में व्याप्त भीषण भ्रष्टाचार कम करना भी लोकतंत्र में संभव नहीं हो पा रहा है।

भ्रष्ट व्यवस्था में जेहाद खूब फलता-फूलता है।यहां फल-फूल रहा भी है।

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सुरेंद्र किशोर

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चीन सरकार का मानना है कि इस्लामिक जेहाद की समस्या का समाधान लोकतंत्र में संभव नहीं है।

चीन का शिंगजियांग प्रांत जेहादी आतंकवाद और अतिवाद से बुरी तरह पीड़ित है।

  नतीजतन वहां के जेहादी उइगर मुसलमानों का चीन सरकार अभूतपूर्व दमन कर रही है।

  यूं कहें कि उसे करना पड़ रहा है।

 चीन सरकार का कहना है कि हमारी सरकार का यह कर्तव्य है कि हम जनता को अतिवाद और आतंकवाद से बचाएं।

(दूसरी ओर भारत में बड़े पैमाने पर सक्रिय जेहादी आतंकवादियों से लड़ने के लिए आज उसी तरह इस देश के नेतागण बंटे हुए हैं जिस तरह मध्य युग में बंटे थे।)

भारत जैसे बहुदलीय लोकतंत्र में जेहाद कौन कहे,शिक्षा-परीक्षा की समस्या का समाधान भी संभव नहीं।

उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ ने शिक्षकों की अनिवार्य हाजिरी व्यवस्था को वापस लेकर अपनी सरकार बचा ली है।

 सन 1992 में कल्याण सिंह सरकार ने नकल विरोधी कानून बनाया।सपा ने 1993 के यू.पी.विधान सभा चुनाव में उसे सबसे बड़ा मुद्दा बनाया।नकल पक्षी जनता ने सपा को सत्ता सौंप दी। 

मुलायम सिंह सरकार ने सन 1994 में उस नकल विरोधी कानून को रद कर दिया।

दरअसल यू.पी.बोर्ड की परीक्षा में पहले से जारी भीषण कदाचार को पूरी तरह रोक देने के कारण कल्याण सिंह की सरकार सन 1993 के चुनाव में सत्ता से बाहर हो गई।

1992 में बाबरी ढांचा गिराने के कारण उत्पन्न भावना को भंजाने का चुनावी लाभ तक भाजपा को नहीं मिल सका था।

उत्तर प्रदेश की जनता के एक बड़े हिस्से की प्राथमिकता तो देखिए। सन 2024 के लोस चुनाव में वैसी ही प्राथमिकता फैजाबाद(अयोध्या)तथा अन्य चुनाव क्षेत्रों मेें नजर आई। 

सन 1993 में मुलायम सिंह यादव कदाचारी विद्यार्थियों व उनके अभिभावकों के ‘हीरो’ बन गए थे।शायद अनिवार्य हाजिरी को लेकर मौजूदा मुख्य मंत्री योगी को किसी ने 1993 की याद दिला दी होगी।

   यानी,मुझे तो यह लगने लगा है कि  चुनाव लड़ने वाली कोई भी पार्टी और उसकी सरकार आम परीक्षाओं में नकल नहीं रोक सकती।

 न ही नौकरियों के लिए आयोजित परीक्षाओं के प्रश्न पत्र लीक होने से रोक सकती है।

उसके लिए शायद देर-सबेर चीन की तरह किसी एकाधिकारवादी शासक की जरूरत पड़ेगी।मेरा अनुमान है कि वैसा हो सकता है ,पर तब तक देश को बहुत बड़ा नुकसान हो चुका रहेगा।

भारत के अनेक हिस्सों में तो जेहादी जिस बड़े पैमाने पर अपनी जड़ें मजबूत करते जा रहे हैं, और यदि उनकी यह रफ्तार जारी रही तो उससे यह साफ है कि अगले पांच-दस साल में 1947 वाली नौबत एक बार फिर आ सकती है।

आज भारत में जहादियों के जितने गैर मुस्लिम समर्थक मौजूद हैं,उतने तो मध्य युग में भी नहीं थे।

  क्योंकि मध्य युग में चुनाव जीतने के लिए जातीय-सांप्रदायिक वोट बैंक बनाने की जरूरत नहीं पड़ती थी।

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17 जुलाई 24


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