भाजपा नेता दिवंगत कैलाशपति मिश्र
के जन्म दिन पर
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सुरेंद्र किशोर
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मां का महत्व किसे नहीं मालूम ?
मुझे भी मालूम है।
पर,बिहार भाजपा के शीर्ष नेता कैलाशपति मिश्र ने
इसके महत्व को एक पत्र के जरिए मुझे विशेष रूप से समझाया था।
सन 1994 में मेरी मां के निधन की जानकारी जब
उन्हें मिली तो उन्होंने एक भावुक पत्र मुझे लिखा।
कैलाशजी ने लिखा--
‘‘मुझे पता चला है कि आपकी पूजनीया माता जी गोलोकवासी हो गयी हैं।
मातृ विहीन होने की पीड़ा मैं स्वयं भोग चुका हूं,उससे सहज ही आपकी पीड़ा का अनुमान होता है।
यह हमेशा विश्वास रखना चाहिए कि जिस मां की ममता की स्नेह छाया में व्यक्ति पलता और बढ़ता है,
उस मां का आशीर्वाद दिवंगत होने पर भी परोक्ष रूप से सदा ही मिलता रहता है।
दिवंगत आत्मा के प्रति मेरी श्रद्धांजलि स्वीकार कीजिए और अपने कर्ममय जीवन में किसी प्रकार की उदासीनता नहीं आने दीजिए,इसी से दिवंगत आत्मा को शांति मिलती है।’’
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सन 1994 में मेरी मां ने जिउतिया का उपवास किया था।
यानी, अपनी संतान के दीर्घ जीवन की कामना के क्रम में उसने अपने जीवन पर विराम लगा दिया।
मेरी पत्नी ने उससे कहा था कि आप उपवास मत कीजिए।आपका शरीर अब इस लायक नहीं है।(उसके पेट का एक बार आॅपरेशन हो चुका था।)पर,उसने चेतावनी पर ध्यान नहीं दिया।
ऐसी होती है मां की ममता !
उपवास के बाद उसकी जो हालत बिगड़ी तो वह संभल नहीं सकी।
मेरे छोटे भाई नागेंद्र के डाक्टर मित्र डा.विजय कुमार पूरी रात उसे बचाने के लिए जगे रहे।
पर,जो होना था,वह हो गया।
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अब कैलाश जी पर कुछ बातें।
मेरे मित्र सुधीर शर्मा ने अपने फेसबुक वाॅल पर कैलाश जी के बारे में ठीक ही लिखा है--
‘‘बिहार भाजपा के लिए अटल,आडवाणी,दीनदयाल और श्यामा प्रसाद मुखर्जी सब वही थे।’’
मैंने भी बहुत पहले यह सुन रखा था कि बिहार में जनसंघ को खड़ा करने में कैलाशपति मिश्र,ठाकुर प्रसाद और एक अन्य हस्ती (नाम भूल रहा हूं।)का सबसे अधिक योगदान था।
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यह बात तब की है,जब बिहार की कानून-व्यवस्था भगवान भरोसे थी।
एक दिन मैंने कैलाश जी को अकेले कार से कहीं जाते ओल्ड बाइपास पर देखा।
बाद में मैंने उनके एक करीबी युवा नेता से कहा कि कैलाश जी को अपनी सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए।
युवा नेता ने कहा कि वे अजातशत्रु हैं।उन्हें कुछ नहीं होगा।
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5 अक्तूबर 24
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