बुधवार, 2 अक्तूबर 2024

 महात्मा गांधी-लालबहादुर शास्त्री जयंती

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अपने यहां आज मैंने पीपल 

का पौध रोपण किया

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सुरेंद्र किशोर

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 मैंने आज अपने घर के पास पीपल का पौधा लगाया।

  स्कंद पुराण में एक श्लोक है जिसका अर्थ है--

‘‘एक पीपल, एक नीम, एक वट वृक्ष ,दस इमली, तीन खैर, तीन बेल, तीन आंवला और पांच आम का वृक्ष लगाने वालों को नरक का मुंह नहीं देखना पड़ता है।’’

  ध्यान दीजिए, यहां भी पहला नाम पीपल का ही है।

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नीम,आंवला,आम तो हमारे परिसर में पहले से मौजूद हैं।

बाकी के बारे सोचूंगा।यहां या गांव मंे लगेगा।

 पर्यावरण विशेषज्ञ बताते हैं कि जहां हर पांच सौ मीटर की दूरी पर पीपल का एक वृक्ष हो, आॅक्सीजन की वहां कोई कमी नहीं रहेगी।

  यदि आजादी के तत्काल बाद से ही केंद्र व राज्य सरकारें पीपल का पौध रोपण करवातीं तो हमारे यहां पर्यावरण असंतुलन की समस्या कम रहती।

 खबर है कि कुछ ही साल पहले बिहार सरकार ने अपने साधनों से पीपल के पौधे लगवाने शुरू किए हैं।

पता नहीं, उसमें प्रगति कितनी है ! 

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आजादी के बाद हमारी सरकारों ने पीपल की जगह यूकेलिप्टस और गुल मोहर आदि के पौधों का रोपण सरकारी स्तर से करवाया।

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आजादी के तत्काल बाद की सरकार ने पीपल का पौधा नहीं लगाया क्योंकि उस ‘‘एकांगी सेक्युलर’’ सरकार को उससे देश में हिन्दू धार्मिक भावना बढ़ने का खतरा लगा।

   याद रहे कि इस देश की बहुसंख्यक आबादी का बड़ा हिस्सा पीपल को पूजता है।

उनका मानना है कि पीपल के वृक्ष पर सभी देवताओं का वास होता है।

पीपल की पूजा करने से सभी देवताओं के आशीर्वाद मिलते हैं।

साथ ही, यह भी कहा जाता है कि पीपल पर रोज जल चढ़ाने से पितरों के आशीर्वाद भी मिलते हंै।

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पीपल वृक्ष लगवाने पर आजादी के तत्काल बाद के उन शासकों पर यह आरोप लगने का खतरा था कि वे स्कंद पुराण का अनुसरण कर रहे हैं ?

जब इस देश में वायु प्रदूषण, कंट्रोल से बाहर होने लगा तो

एक राज्य के मुख्य मंत्री ने वन विभाग के अफसर से कहा कि आप राज्य में बड़े पैमाने पर पीपल के पेड़ लगवाइए।

  अफसर ने कहा कि सरकारी स्तर पर पीपल लगाने पर पहले की सरकार ने प्रतिबंध लगा रखा है।

उस गैर कांग्रेसी मुख्य मंत्री ने पीपल लगाने का आदेश दे दिया।

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2 अक्तूबर 24

     




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