जेहादी तत्व अब जल्दीबाजी में ?
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सांप्रदायिक हिंसक मानसिकता को
अंतरराष्ट्रीय संदर्भ में देखिए
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सुरेंद्र किशोर
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बहराइच(यू.पी.) के सांप्रदायिक दंगे पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि
‘‘इसके लिए शासन-प्रशासन जिम्मेदार है।
उन्होंने यह भी कहा कि ‘‘चुनाव आना और साम्प्रदायिक माहौल बिगड़ जाना ,यह संयोगवश नहीं है।
हार के डर से हिंसा का सहारा लेना किसकी पुरानी रणनीति है ?
यह उप चुनाव की दस्तक है।’’
याद रहे कि दुर्गा मूर्ति विसर्जन जुलूस को रास्ते में ही रोके जाने और पथराव किए जाने के बाद बहराइच में दंगे हुए।इस घटना को दुनिया के अन्य हिस्सों में जारी ऐसी ही घटनाओं से काट कर नहीं देखा जा सकता।
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कल की एक खबर का शीर्षक है--
‘‘बांग्लादेश में अब मूर्ति विसर्जन जुलूस को बनाया गया निशाना।’’
बांग्ला देश में न तो भाजपा-आर.एस.एस.की कोई शाखा है और वहां न ही कोई चुनाव होने वाला है।
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इसी अगस्त-सितंबर में यूरोप से जेहाद विरोधी और जेहादी गतिविधियों की कई खबरें आईं।
एक खबर 4 अगस्त, 24 को आई जिसका शीर्षक है--
‘‘पी.एम.स्टारमर ने इमरजेंसी कैबिनेट बुलाई।
ब्रिटेन में प्रवासी विरोधी दंगे...हाई अलर्ट।’’
याद रहे कि मुस्लिम प्रवासियों ने, जो पहले शरणार्थी बनकर वहां गये थे,ब्रिटेन के साउथपोर्ट शहर में पिछले हफ्ते 3 बच्चियों को मौत दे दी।
मौत के बाद मूलवासियों ने हिंसक प्रदर्शन किये।
ब्रिटेन में इससे पहले भी ऐसी घटनाएं होती रही हैं।वहां के मुस्लिम, ब्रिटेन पर जबरन कब्जा करना चाहते हैं।कई मुहल्लों पर उनका कब्जा हो चुका है।लंदन सहित सात नगर निकायों के प्रधान मुस्लिम हैं।
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5 अगस्त, 24 को ही यह खबर आई--
‘‘13 साल में ब्रिटेन में सबसे बड़ा दंगा-100 लोग गिरफ्तार।’’
वहां कोई चुनाव नहीं होने वाला है।हाल ही में स्टारमर पी.एम. बने हैं।
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27 सितंबर, 24 को रोम से दैनिक भास्कर संवाददाता ताहिर इमरान ने जो खबर भेजी,उसका शीर्षक है--
‘‘इटली समेत 5 देश अवैध प्रवासियों पर सख्त,
इस साल 2 लाख को वापस भेजने की तैयारी।’’
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उधर चीन सरकार कहती है कि ‘‘चीन में इस्लाम को हमारे यानी हमारी कम्युनिस्ट पार्टी की नीतियों के अनुकूल होना चाहिए।’’
चूंकि वह संभव नहीं है,इसलिए चीन के 2 करोड़ उइगर मुसलमानों को चीन सुरक्षा बल नियंत्रण मंे रखने के लिए प्रयासरत है।
चीन सरकार यह भी कहती है कि जेहादियों का इलाज हमारी जैसी राजनीतिक व्यवस्था में ही संभव है ,लोकतांत्रिक शासन वाले देश में नहीं है।
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यानी,इन दिनों भारत सहित दुनिया भर में जेहादी, इस्लामिक शासन कायम करने के लिए हिंसक रास्तों का सहारा ले रहे है।आसपास के मुस्लिम देश इजरायल के अस्तित्व को ही समाप्त कर देने के लिए युद्धरत हैं।
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भारत का दुर्भाग्य है कि इस देश के कुछ वोट लोलुप राजनीतिक दल जेहादियों की मंशा को या तो समझ नहीं पा रहे हैं या सब कुछ समझ बुझ कर भी वोट के स्वार्थ में अंधा होकर भारत की एकता और भारतीय अस्मिता को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
ऐसे तत्वों की पहचान यह है कि वे बहुसंख्यकों की सांप्रदायिक हिंसा का तो जोरदार विरोध करते हैं।किंतु अल्पसख्यकों की जेहादी हिंसा के खिलाफ एक शब्द नहीं बोलते।यहां तक कि उन लोगों ने बांग्ला देश के हिन्दुओं के साथ जारी जघन्य हिंसा व बलात्कार की घटनाओं की भी निन्दा नहीं की।
बल्कि उल्टे जेहादियों की हिंसा के लिए भाजपा-आर.एस.एस.को ही वे दोषी ठहरा देते हैं।
जबकि पी.एफ.आई.यह खुलेआम एलान करता है कि हम हथियारों के बल पर सन 2047 तक भारत को इस्लामिक देश बना देंगे।
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15 अक्तूबर 24
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