गुरुवार, 10 अक्तूबर 2024

 विश्व डाक दिवस( 9 अक्तूबर, 24)

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सुरेंद्र किशोर

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लगता है कि इस देश के डाक महकमे में कर्मचारियों की भारी कमी हो गयी है।

यानी, काम अधिक ,हाथ कम।

वैसे भी हमारे शासन तंत्र में काहिलों और इधर-उधर करने वाले लोगों की कमी कभी नहीं रही।

फिर भी पहले डाक विभाग की ओर से उपभोक्ताओं का कुछ अधिक ध्यान रखा जाता था। 

  इन दिनों लोगबाग बताते हैं कि साधारण डाक की डिलेभरी लगभग बंद है।

  रजिस्टर्ड पोस्ट्स की भरसक डिलेभरी हो रही है।

पर,वह भी राम भरोसे।

मैं खुद भुक्तभोगी हूं।

पहले साप्ताहिक पत्रिका ‘‘इंडिया टूडे’’ साधारण डाक से मंगवाता था।शायद ही कोई अंक मिल पाता था।

 लगता है कि डाक कर्मचारियों के घरों में इस पत्रिका के प्रशंसक बहुत हैं।

 तो फिर इंडिया टूडे प्रबंधन ने मुझे अपने खर्चे से स्पीड पोस्ट के जरिए भेजना शुरू किया।फिर भी रेगुलर नहीं।

कभी -कभी सर्कुलेशन डिपार्टमेंट से विनती करके मैं एक -एक महीने के सारे अंक दुबारा एक साथ मंगवाया करता हूं ताकि मेरी निजी लाइब्रेरी में इस पत्रिका के सारे अंक मौजूद रहें।

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  भारत सरकार के संबंधित अफसरों को चाहिए कि वे डाक विभाग की विश्वसनीयता को फिर से बहाल करने का ठोस उपाय करंे।निगरानी तंत्र दुरुस्त करे।लोगों की शिकायतें सुनने का बेहतर प्रबंध हो।

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9 अक्तूबर 24

  

 


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