गुरुवार, 11 सितंबर 2008

‘स्टिंग’ से भयभीत क्यों बासा ?

दिल्ली में भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ स्टिंग चल रहा है। बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2008 में ही लोगों से कहा था कि स्टिंग कर अफसरों के कारनामों का भंडाफोड़ करें। 

(28 अगस्त 2008 को प्रकाशित लेख)



‘बासा’ ने स्टिंग आपरेशन के लिए मुख्य मंत्री के सुझाव का सार्वजनिक रूप से विरोध कर दिया है।मुख्य मंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को प्रखंड प्रमुखों को यह सुझाव दिया था कि वे भ्रष्ट अफसरों के कारनामों का भंडाफोड़ करने के लिए आधुनिक तकनीकी का इस्तेमाल करें। जो जन प्रतिनिधि बी।डी।ओ.पर दबाव डाल कर सिर्फ लेन -देन का रिश्ता नहीं बनाना चाहते होंगे, वे स्टिंग आपरेशन चला या चलवा सकते हैं। 

मुख्य मंत्री के सुझाव के बाद अब यह काम कुछ दूसरे लोग भी कर सकते हैं। इस ‘आपरेशन’ के शिकार कभी कुछ प्रखंड प्रमुख भी हो सकते हैं। 

बिहार प्रशासनिक सेवा संघ यानी बासा के अध्यक्ष अरूण चंद्र मिश्र ने कहा है कि मुख्य मंत्री के इस सुझाव से अफसरगण मानसिक रूप से परेशान हो जाएंगे। उनकी यह राय है कि भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ पहले से निर्धारित प्रक्रियाओं के तहत ही कार्रवाई होनी चाहिए। 

सवाल है कि कोई ईमानदार अफसर किसी स्टिंग आपरेशन की आशंका मात्र से ही मानसिक रूप से क्यों परेशान हो जाएगा ? जो अफसर ईमानदारी पूर्वक अपनी ड्यूटी निभाता है और बिना रिश्वत लिए सरकारी काम करता रहता है,उसे किसी भी संभावित स्टिंग आपरेशन से क्यों परेशान हो जाना चाहिए ? 

पुराने तरीके से बिहार में सरकारी भ्रष्टाचार पर काबू पाने में मदद नहीं मिल रही है। याद रहे कि सरकारी भ्रष्टाचार ही इस देश की भीषण गरीबी व अन्य अधिकतर समस्याओं का जनक है।चीन में भ्रष्ट लोगों के लिए फांसी की सजा की व्यवस्था है,इसीलिए वह देश आज अमेरिका से भी अधिक स्वर्ण पदक ओलम्पिक में जीत जा रहा है। पर, हम अपनी अधिकतर जनता को भूखे पेट सोने को मजबूर कर देते हैं।

हालांकि इस देश की संसद व विधान सभाएं इतना अधिक पैसे का बजट हर साल जरूर पास कर देती हैं जिससे कोई भूखा पेट नहीं सोए।पर बिचैलिए लूट लेते हैं। 

हालांकि नीतीश कुमार ने भी इस बारे में जरूर अधूरी बात कही है।उन्हें साथ- साथ यह भी कहना चाहिए था कि राज्य के राजनीतिक कार्यकत्र्ता,जन प्रतिनिधि व जनता को चाहिए कि वे मंत्रियों तथा दूसरे अफसरों तथा अन्य क्षेत्रों के भ्रष्ट लोगों के खिलाफ भी स्टिंग आपरेशन चलाएं।

हां,यदि स्टिंग आपरेशन के जरिए कोई बड़े घोटाले का भंडाफोड़ होता है तो आपरेशन में लगे लोगों को राज्य सरकार भरपूर इनाम दे।साथ ही,ऐसे राजनीतिक कार्यकत्र्ताओं को चुनावी टिकट में तरजीह मिले। स्टिंग आपरेशन कितना जरूरी है,यह बात बासा के अध्यक्ष के बयान के बाद और भी साफ हो गया है। क्योंकि स्टिंग आपरेशन की आशंका से ही मानसिक रूप से परेशान होने वाले अफसर मौजूद हैं। क्या स्टिंग आपरेशन के बिना दिल्ली के आर.के.आनंद जैसे बड़े वकील को बेनकाब करना संभव था ? 

संसद में सवाल पूछने के लिए जिन दर्जन भर सांसदों ने रिश्वत ली थी,उन्हें स्टिंग आपरेशन के बिना बेनकाब करके संसद से बाहर करवाना संभव था ? एक केंद्रीय मंत्री दिलीप सिंह जू देव के खिलाफ का एक सफल स्टिंग आपरेशन कौन भूल सकता है ?

 इस देश में गलत उद्देश्य से चलाए गए कुछ स्टिंग आपरेशनों की कोर्ट ने निंदा की है तो कुछ आपरेशनों की अदालत ने जरूरी भी बताया है। बिहार में ही हाल के वर्षों में बड़ी संख्या में परंपरागत तरीके से भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ कार्रवाई हुई है। 

क्या बासा अध्यक्ष दावा कर सकते हैं कि इससे राज्य के सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार कम हुआ है ?शायद स्टिंग के भय से भ्रष्टाचार कम हो ! क्या बासा अध्यक्ष यह बता सकते हैं कि बिहार के किस प्रखंड कार्यालय में रिश्वत के बिना जनता का कोई जायज काम भी होता है ? क्या उनके सदस्य ने बासा या राज्य सरकार को कभी यह लिख कर दिया है कि उनकी इच्छा के बिना भी उनके मातहत क्लर्क या अफसर जनता से रिश्वत ले रहे है ? 

जाहिर है कि सभी प्रखंड प्रमुख शुद्ध मन से ही भ्रष्ट बी.डी.ओ.या सी.ओ. के खिलाफ कार्रवाई की मांग नहीं करते। कई के अपने निजी एजेंडे होते हैं।

शिक्षा नियुक्ति घोटालों ने बिहार के अनेक जन प्रतिनिधियों को भी बेनकाब कर दिया है।पर यदि बासा सभी तरह के भ्रष्टों के खिलाफ नई -नई तकनीकी के जरिए कार्रवाई नहीं करने देगा तो न तो उनके सदस्य खुद आने वाले दिनों में सुरक्षित रहेंगे और न ही अन्य लोगों के साथ साथ उनकी भी आने वाली पीढि़यां महफूज रहेंगीं।क्योंकि सरकारी भ्रष्टाचार के कारण विकास नहीं हो रहा है और विकास नहीं होने का सर्वाधिक लाभ बिहार में माओवादियों को मिल रहा है जो अपनी ताकत बढ़ाते जा रहे हैं।

साभार राष्ट्रीय सहारा (28/08/2008)

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