(वोट के) बताशे के लिए (इस भारतीय
लोकतंात्रिक) मंदिर को मत तोड़ो
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धर्म निरपेक्षता की अनोखी परिभाषा पेश है
नेहरूवादी मणि शंकर अय्यर के शब्दों में
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सुरेंद्र किशोर
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‘‘......कुमारी उमा भारती ने हमें बताया कि जब वह वाराणसी गईं और एक मस्जिद और एक मंदिर को इकट्ठा देखा तो उनके मन में जज्बात उभरे कि मंदिर को उजारा गया है।हिन्दू धर्म का अपमान हुआ है।
और एक मुसलमान राजा ने वहां एक मस्जिद बना दी।
उन (उमा भारती) में और मुझमें एक अंतर है।
वह जिस चीज को गुलामी का चिन्ह समझती हैं,मैं उसी चीज को धर्म निरपेक्षा का प्रतीक समता हूं।
जब एक मंदिर और एक मस्जिद को साथ-साथ देखता हूं तब मेरे मन में एक ही भावना आती है कि यह धर्म निरपेक्ष देश है।’’
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9 सितंबर 1991 को लोक सभा में दिए गए कांग्रेस सांसद मणि शंकर अय्यर के भाषण का अंश।)
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(मत भूलिए।आज पूरी कांग्रेस इसी अनोखी धर्म निरपेक्षता की लाइन पर है।)
माक्र्सवादी इतिहासकार इरफान हबीब यू ट्यूब पर यह कहते हुए सुने जा सकते हैं---
‘‘औरंगजेब ने काशी और मथुरा के मंदिर को तोड़ा था।वह गलत हुआ था।
फारसी इतिहास तथा कई अन्य किताबों में यह बात दर्ज है।
मस्जिद बनानी थी तो कहीं भी बना देते।
मंदिर तोड़कर बनाने की जरूरत क्या थी ?’’
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(याद रहे कि काशी की ज्ञापनव्यापी मस्जिद की एक दीवार पूर्व में अवस्थित मंदिर की है।)
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अब आप नेहरूवादी मणिशंकर अय्यर के उपर्युक्त भाषण को एक बार फिर पढ़िए।(7 दिसंबर, 2024 के दैनिक हिन्दुस्तान में पूरा भाषण छपा है।)
अय्यर की धर्म निरपेक्षता कुछ इस तरह है--मंदिर तोड़ो और उसकी एक दीवार को मिलाकर मस्जिद बना लो ,उसे खांटी धर्म निरपेक्षता का मधुर संगीत माना जाएगा।
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मुहम्मद गजनवी को सोमनाथ मंदिर के पुजारी कह रहे थे कि आप इस मंदिर के सारे धन ले लो,पर मूत्र्ति को मत तोड़ो।
पर गजनवी का जवाब था-यदि मैं वैसा करूंगा तो मरने के बाद खुदा को क्या मुंह दिखाऊंगा ?
मैं बुत परस्त नहीं बल्कि बुत शिकन के रूप में मरना चाहता हूूं।
(याद रहे अय्यर जैसे वामपंथी,नेहरूवादी और कम्युनिस्ट इतिहासकार व विचारक कहते और लिखते रहे हैं कि मुस्लिम आक्रंात भारत को लूटने आये थे न कि धर्म प्रचार करने।
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पुनश्चः
भारत जिस दिन हिन्दू बहुल से मुस्लिम बहुल बन जाएगा,उस दिन इस देश में लोकतंत्र भी नहीं रहेगा।याद रहे कि किसी मुस्लिम बहुल देश में लोकतंत्र नहीं है।
इसलिए वोट का मोह छोड़कर वे लोग चेत जाएं जो वोट के बताशे के लिए भारत को जान-अनजाने जेहादियों के हाथों सौंपने के सारे उपाय कर रहे हैं।
जेहादी लोग घुसपैठ करा कर भारत में आबादी का अनुपात बदल रहे हंै,पर कोई तथाकथित सेक्युलर दल घुसपैठ के खिलाफ नहीं बोलता।बल्कि उल्टें उन्हें बसाने में वे दल व उनकी सरकारें मदद कर रहे हैं।
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7 दिसंबर 24
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