सोमवार, 9 सितंबर 2024

     दो हजार साल में कुछ नहीं बदला ?!!

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विष्णु शर्मा रचित ‘‘पंचतंत्र’’के एक श्लोक का अर्थ है--

‘‘कुलीनता, प्रवीणता तथा सज्जनता आदि गुणों की अपेक्षा न करके लोग सम्पन्न व्यक्ति को कल्पतरु की भांति सन्तुष्ट करने का प्रयास करते हैं।

  निर्धन व्यक्ति चाहे जितना भी कुलीन एवं कुशल हो,कोई उसकी परछाई तक लांघना नहीं चाहता है,जबकि अकुलीन होने पर भी धनी व्यक्ति की छाया में रहना सबको पसन्द होता है।’’

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पंचतंत्र की रचना गुप्तकाल में हुई थी।

  अब आप आज चारों तरफ नजर दौड़ाइए।

आकलन कीजिए।

फिर बताइए कि पिछले करीब दो हजार साल में इस मामले में अपना देश कितना बदला है ?

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सुरेंद्र किशोर

9 सितंबर 2024 

 


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