मंगलवार, 17 सितंबर 2024

 केंद्रीय स्तर पर घुसपैठ अब

निरोधक मंत्रालय जरूरी

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भारत के खिलाफ जारी छद्म युद्ध की गंभीर 

समस्या पर केंद्र और कुछ राज्यों में मतभेद

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सुरेंद्र किशोर

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अब समय आ गया है कि केंद्र सरकार गृह मंत्रालय से अलग ‘‘घुसपैठ निरोधक मंत्रालय’’ का गठन करे।

क्योंकि घुसपैठ को रोकने के प्रति कई राज्य सरकारें उदासीन हैं ।कई घुसपैठियों की मदद कर रही हंै।

 स्थानीय भ्रष्ट और वोट लोलुप तत्वों की मदद से इस देश में लगातार जारी घुसपैठ की इस भीषण समस्या को केंद्र सरकार खुद जल्द से जल्द अपने हाथों में ले ले।

राज्य सरकारों को इससे अलग रखेे।क्योंकि कई तथाकथित सेक्युलर राज्य सरकारें खुद घुसपैठ कराने में लगी हुई हैं,ऐसा आरोप है।इसके लिए देश के नियम-कानून-संविधान में संशोधन जरूरी हो तो वह भी किया जाये। 

कानून-व्यवस्था भले राज्यों का विषय है,किंतु घुसपैठ की समस्या सिर्फ कानून-व्यवस्था की समस्या ही नहीं, बल्कि यह इस देश पर बाहरी तत्वों के परोक्ष हमले का मामला है। 

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आज झारखंड प्रदेश में जो कुछ हो रहा है,उसने इस समस्या को और भी नंगे रूप में सामने ला दिया है।

हाल में झारखंड हाईकोर्ट ने एक बड़ा आदेश दिया। कहा कि प्रदेश में घुसपैठियों की मौजूदगी की जांच के लिए तथ्यान्वेषण समिति का गठन हो।इस आदेश पर झारखंड सरकार ने दूसरा ही रुख अपना लिया है।

उससे पहले झारखंड के छह जिलों के उपायुक्तों ने हाईकोर्ट में यह रिपोर्ट दे दी कि उनके जिले में कोई घुसपैठ नहीं हुई है।उस रपट पर हाईकोर्ट ने उन्हें चेतावनी दी कि यदि उससे उलट रिपोर्ट आई तो उन छह अफसरों की खैर नहीं।

 झारखंड सरकार के मुख्य सचिव ने राज्य सरकार के गृह मंत्रालय को निदेश दिया है कि वह हाई कोर्ट को बताए कि इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्रालय से पहले सलाह-मशविरा करना पड़ेगा।

झारखंड के एक बड़े इलाके में रोहिंग्या-बांग्लादेशियों की घुसपैठ के कारण गंभीर समस्या पैदा हो गयी है।आदिवासियों से जमीन छिन रही है।

हेमंत सरकार पर आरोप है कि वह जानबूझकर उस समस्या की अनदेखी कर रही है,वोट बैंक के लोभ में।

इसीलिए मामला झारखंड हाईकोर्ट पहंुचा।न्यायालय भी स्थिति की गंभीरता से चिंतित है।

झारखंड में घुसपैठ की गंभीरता से केंद्र सरकार पहले से अवगत है।

  इस समस्या के एक पक्ष से निपटने के लिए केंद्र सरकार  ने प्रवत्र्तन निदेशालय को झारखंड में सक्रिय कर दिया है।

यद रहे कि झारखंड हाईकोर्ट घुसपैठ की समस्या पर केंद्र और राज्य सरकार की ओर से आई परस्पर विरोधी रिपोर्ट से नाराज है।

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दरअसल इस समस्या पर केंद्र का सिर्फ झारखंड सरकार से ही मतभेद नहीं है ।बल्कि कई राज्य सरकारों से केंद्र का तनाव चल रहा है।

पश्चिम बंगाल सहित कई राज्य सरकारें जानबूझकर घुसपैठियों को अपने यहां आमंत्रित करती और बसाती रही हैं।आगे भी वे राज्य सरकारें कभी अपनी करतूतों से बाज नहीं आएंगी।

यह सब जारी रहा तो अगले दस साल में भारत की मौजूदा लोकतांत्रिक और संवैधानिक व्यवस्था के अस्तित्व पर ही बड़ा खतरा पैदा हो जाएगा।यह देश अफगानिस्तान,सीरिया और बांग्ला देश बन सकता है।

इसीलिए शीघ्र केंद्रीय हस्तक्षेप जरूरी है।

अन्यथा मणिशंकर अय्यर और सलमान खुर्शीद की यह भविष्यवाणी सच साबित हो सकती है कि भारत में भी ‘‘बांग्ला देश’’ दोहराया जा सकता है।

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17 सितंबर 24  


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