भारत पर गिद्ध दृष्टि !
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बांग्ला देश
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पूर्व प्रधान मंत्री खालिदा जिया भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में बंद थीं।शेख हसीना के सत्ता से जबरन हटाए जाने के तत्काल बाद खालिदा को रिहा कर दिया गया।
नोबल विजेता मुहम्मद युनूस को गत जनवरी में छह माह की सजा वहां की कोर्ट ने सुनाई थी।उन पर भी भ्रष्टाचार के आरोप थे।सत्ता परिवर्तन के बाद युनूस भी दोषमुक्त करार दे दिए गए।
याद रहे कि विदेशी मदद से बांग्ला देश की सरकार का तख्ता पलट दिया गया है।
वहां पहले आरक्षण को लेकर छात्रगण सड़कों पर आये।बाद में जेहादी और राजनीतिक कार्यकत्र्तागण सड़कों पर आ गये।
मध्ययुगीन अराजकता फैल गयी।(आज का बांग्ला देश देखकर भारत के लोगों को इस बात का हल्का अनुमान लगाने का अवसर मिल गया कि हमारे यहां का
मध्य युग कैसा रहा होगा !
हमारे पूर्वजों को तब कैसे -कैसे और कितने कष्ट,अपमान,पीड़ा,दुख सहने पड़े होंगे।)
जेहादियोें ने इस बहाने बांग्ला देश में हिन्दुुओं की संख्या कुछ और ‘‘कम’’ कर दी।शासन ने उनका सहयोग किया।
चूंकि दो महत्वपूर्ण हस्तियों को जेल से रिहा कराना था,इसीलिए सत्ता परिवर्तन करा दिया गया।उसके बिना वे जेल से रिहा नहीं होते।
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पाकिस्तान
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पूर्व प्रधान मंत्री इमरान खान भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में हैं।उन्हें कोर्ट से राहत नहीं मिल पा रही है।
उन्होंने हजारों की संख्या में अपने समर्थकों को सड़कों पर उतार दिया।क्या वहां भी तख्ता पलट की ही कोशिश है ?
चूंकि इमरान को कोर्ट से राहत नहीं मिल पा रही है,इसलिए उनके भी समर्थकगण जबरन सत्ता परिवर्तन करके इमरान को राहत दिलवाना चाहते हैं।
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भारत
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भारत में अनेक बड़े -बड़े प्रतिपक्षी नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर मामलों मेें मुकदमे चल रहे हैंै।कोर्ट से आरोपियों और आरोपितों को कोई खास मदद नहीं मिल पा रही है।सबूत ही ऐसे हैं।
यहां भी बांग्ला देश दोहराने की धमकी उनकी ओर से दी जा रही है।
कांग्रेस के मणिशंकर अय्यर और सलमान खुर्शीद ने गत माह कहा कि भारत में भी बांग्ला देश दोहराया जा सकता है।
यानी ,यदि भ्रष्टाचार के केस में कोर्ट मदद न करे तो लोगों को सड़कों पर उतार दिया जाये।जबरन सत्ता परिवर्तन करके मुकदमों से मुक्ति पा ली जाये ?
इस देश के आरोपियों और आरोपितों को यह उम्मीद थी कि जार्ज सोरोस के अपार पैसों की मदद से मोदी को 2024 चुनाव मेें उखाड़ फेंकंेगे।
पर वह काम हो नहीं सका।
अब दूसरे उपाय किये जा रहे हैं।दुनिया भर के भारत विरोधी तत्वों से संपर्क किया जा रहा है।
बांग्ला देश के एक अतिवादी नेता ने हाल में ममता बनर्जी से अपील की है कि वे पश्चिम बंगाल को मुस्लिम देश बना दें ,हम आपको प्रधान मंत्री बनवा देंगे।
यानी,कुछ भारत विरोधी विदेशी शक्तियों ने भारत को गाजर-मूली समझ लिया है।उनका मनोबल स्थानीय मिरजाफरों और जयचंदों ने बढ़ा रखा है।
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सन 2024 के लोक सभा चुनाव से ठीक पहले विवादास्पद अमरीकी अमीर जार्ज सोरोस ने कहा था कि मोदी को सत्ता से हटाने के लिए एक बिलियन डालर खर्च करूंगा।(यह भी यह रकम 2 बिलियन डालर तक जा सकती है)भारत के कौन कौन नेता सोरोस के संपर्क में रहे हैं,यह बात छिपी नहीं है।
गत चुनाव के तत्काल बाद बिहार के विभिन्न हिस्सों से मुझे जानकारियां मिलीं कि चुनाव से ठीक पहले अनेक गांवों-मुहल्लों में काफी धन -वितरण हुआ।अभूतपूर्व पैमाने पर मतदाताओं के बीच पैसे खर्च किए गए।वे पैसे संभवतः सोरोस के ही थे।
फिर भी उसका सीमित असर ही हुआ।
अब मुकदमा झेल रहे नेतागण व अन्य लोग यह कोशिश कर रहे हैं कि इस देश में भी लाखों लोग एक साथ सड़कों पर उतर आएं और मोदी सरकार से हम इस्तीफा ले लें।
पाकिस्तान और बांग्ला देश से भी ऐसी ही अपील भारत के जेहादी तत्वों से की जा रही है।देश के भीतर से भी ऐसे प्रयास अब तेज हो गये हैैं।
पहले से तो ऐसे छिटपुट प्रयास हो ही रहे थे।
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कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने मोदी सरकार को धमकाते हुए कहा है कि
यदि गत लोक सभा चुनाव में हमें 20 सीटें और अधिक मिल गई होतीं तो वे लोग आज जेलों में होते।(वे लोग मतलब मोदी जमात)
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यानी कांग्रेस ने जिस तरह इमरजेंसी में किसी कसूर के बिना ही जेपी-कृपलानी-मोरारजी- चदं्रशेखर सहित असंख्य लोगों को जेलों में बंद कर दिया,उसी तरह सत्ता मिलने पर फिर वही काम कांग्रेस आज भी करने का हौसला रखती है ताकि कुछ नेताओं को मुकदमों से बचाया जा सके।
संभव है कि मोदी विरोधी जमात के नेताओं में से कई बड़े नेतागण आने वाले महीनों में जेल जा सकते हैं।उसका डर उन्हें सता रहा है।
याद रहे कि सिर्फ अपनी लोक सभा की सदस्यता बचाने के लिए ही 1975 में प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने देश पर बर्बर आपातकाल थोप दिया था।
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खड़गे साहब यदि समझते हैं कि मोदी की जमात में ऐसे नेताओं की भरमार है जो कसूरवार हैं और उन्हंे जेलों में रहना चाहिए तो उन्हें इसके लिए ‘‘स्वामी फार्मूला’’ अपनाना चाहिए।पर उसके लिए कोर्ट में उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के ठोस सबूत देने होंगे।
डा.सुब्रह्मण्यम सवामी ने जब जय ललिता और ए.राजा को जेल भिजवाया,तब स्वामी खुद सत्ता में नहीं थे।स्वामी ने ही नेशनल हेराल्ड घोटाला केस में सोनिया-राहुल को जमानत लेने के लिए मजबूर कर दिया हैै।
जिस ब्रह्मास्त्र का प्रयोग स्वामी ने किया,वह खड़गे या किसी अन्य के पास भी उपलब्ध है।आम जनता को उपलब्ध है।
डा.स्वामी की याचिका पर ही सुप्रीम कोर्ट ने सन 2012 में ही यह निर्णय दे दिया है कि किसी भी लोक सेवक के खिलाफ कोई भी नागरिक कोर्ट में केस कर सकता है।सांसद,विधायक आदि भी लोक सेवक में आते हैं।
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कुल मिलाकर आने वाले दिन भारत के लिए कठिन हैं।संघर्षों के दिन हो सकते हैं।मोदी ने भी हाल में ऐसा ही संकेत दिया है।
आशंका है कि दो परस्पर विरोधी शक्तियां आमने-सामने होंगी।
भारत के अब हर देशभक्त नागरिक को अपने लिए अपना एक पक्ष चुन ही लेना होगा।आप तब निष्पक्ष नहीं रह पाएंगे।अभी से मन बना लें।
क्योंकि.......जो तटस्थ हैं,समय लिखेगा,उनका भी अपराध !!
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वैसे सबको यह याद रहे कि भारत में अत्यंत मजबूत व गैर राजनीतिक सेना है।मजबूत पुलिस और कारगर अर्धसैनिक बल हैं।बांग्ला देश की घटनाने भारत के लोगों को सचेत व जाग्रत कर दिया है कि किस तरह इस देश को इस्लामिक देश में बदलने कीे कोशिश करने वालों का हौसला तोड़ा जाए।
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क्या शुरू हो गया
‘‘सभ्यताओं का संघर्ष’’ ?!!
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नब्बे के दशक में अमरीकी राजनीतिक वैज्ञानिक सेम्युएल
पी. हंटिग्टन ने लिखा था कि शीत युद्ध की समाप्ति के बाद अब सभ्यताओं के बीच संघर्ष होगा।
उस संघर्ष में चीन इस्लामिक देशों के साथ रहेगा।
(इजरायल बनाम हमास युद्ध में चीन किधर है,देख ही लीजिए !)
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हंटिंग्टन की स्थापना के सामने आने के तत्काल बाद भारत के बहुत सारे सेक्युलर नेताओं व प्रगतिशील बुद्धिजीवियों ने हंटिग्टन की सख्त आलोचना की थी।कहा था कि ऐसा कभी नहीं होगा।
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पर, आज दुनिया के कई देशों में क्या हो रहा है ?
हाल में ब्रिटेन,फ्रांस,जर्मनी आदि में क्या-क्या हुआ ?
वहां हो रहे चुनावों के ट्रेंड क्या बता रहे हैं ?
सूचनाओं के विस्फोट के इस युग में कुछ भी छिपा नहीं रहता है।
आपने उन संघर्षों के चरित्र पर गौर किया है ?
हमास से लेकर भारत के पी.एफ.आई. तक के कारनामों पर गौर करें।
हमास के पक्ष में दुनिया के अनेक देशों में,जिसमें भारत के कुछ विश्व विद्यालय शामिल हैं, बड़े -बड़े प्रदर्शन हुए।
पाक के एक जेहादी ने कहा है कि हम भारत के साथ भी वही करेंगे जो हमास, इजरायल के साथ कर रहा है।
क्या यह सब सभ्यताओं का संघर्ष नहीं है ?
भारतीय टी.वी.चैनलों पर और अखबारों के पन्नों पर जितने लोग जेहादी हमास के पक्ष में ‘बोल’ रहे हैं,उतने शायद मध्य युग में भी भारत में नहीं थे।
ध्यान से देख लीजिए कि कौन किधर से गेंदबाजी कर रहा है !
फाइनल मैच में काम आएगा।
तथाकथित ‘सेक्युलर’ तत्वों की लीपापोती या शुर्तुमुर्गपना के बावजूद भारत में भी आज क्या-क्या हो रहा है ?
आगे पूरी दुनिया में क्या -क्या होने वाला है ?
ईश्वर करे, दुनिया में शांति रहे।
पर,वह अब कई बातों पर निर्भर करेगा।
ध्यान रहे कि दुनिया भर के जेहादी अब जरा जल्दी में हैं।
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