स्वतंत्रता सेनानी जगलाल चैधरी की याद में
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(5 फरवरी, 1895-9 मई, 1975)
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पिता ताड़ी बेच कर पुत्र को मेडिकल में पढ़ा रहे थे,पर वही पुत्र जब आबकारी मंत्री बने तो उन्होंने नशाबंदी लागू कर दी।
ऐसे थे सिद्धांतवादी-गांधीवादी नेता जगलाल चैधरी।
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सुरेंद्र किशोर
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जगलाल चैधरी ने 6 अप्रैल 1938 को नशाबंदी लागू की। सन 1937 में गठित राज्य मंत्रिमंडल के कुल चार मंत्रियों में एक मंत्री चैधरी जी भी थे।
अन्य तीन थे-डा.श्रीकृष्ण सिंह (प्रीमियर),डा.अनुग्रह नारायण सिंह और डा.सैयद महमूद।
जगजीवन राम उस सरकार के संसदीय सचिवों में से एक थे।
चैधरी जी पासी जाति से आते थे।
खुद उनका परिवार ताड़ी के व्यवसाय पर निर्भर था।
इसके बावजूद आबकारी मंत्री के रूप में जगलाल चैधरी ने सारण जिला सहित राज्य के कुछ खास जिलों में नशाबंदी लागू कर दी।(आज का कलयुगी नेता होता तो अपने जिले को नशाबंदी से बचा लेता।क्योंकि कुछ ही जिलों में लागू करना तय हुआ था।पर चैधरी जी तो ‘‘राजनीति के सतयुग’’ के नेता थे। )
उनका परिवार ताड़ी की आय से ही चैधरी जी को कलकता मेडिकल काॅलेज में डाॅक्टरी पढ़ा रहा था।
फिर भी चैधरी जी ने न तो अपने परिवार की आय की परवाह की और न अपनी जाति के आर्थिक हित की।
बाद में खुद उन्हें नशाबंदी की भारी राजनीतिक कीमत चुकानी पड़ी।क्योंकि आजादी के बाद नशाबंदी की
गांधी नीति को अधिकतर कांग्रेसी भूल चुके थे। चैधरी के कदम को हाईकमान में अच्छा नहीं माना गया था।
लगातार विधान सभा चुनाव जीतने के बावजूद चैधरी जी को 1952 और उसके बाद मंत्री नहीं बनने दिया गया।
उनके मित्र व राष्ट्रपति डा.राजेंद्र प्रसाद उन्हें यू.पी.एस.सी.का सदस्य बनाना चाहे थे।पर,जगलाल चैधरी ने अस्वीकार करते हुए कहा था कि मुझ पर रहम करने की कोई जरूरत नहीं है।
प्रधान मंत्री वी.पी.सिंह ने अपनी जाति के भी हितों को नजरअंदाज करके 1990 में पिछड़ा आरक्षण लागू किया था।मुख्य मंत्री बनने के बाद नीतीश कुमार ने पंचायतों में जब अति पिछड़ों के लिए आरक्षण लागू किया तो उनकी जाति के लोग यानी कुर्मी का एक बड़ा हिस्सा नीतीश से सख्त नाराज हो गया।क्योंकि अति पिछड़ा आरक्षण के बाद कुर्मी मुखिया की संख्या कम हो गई।
यानी ऐसे नेता कम ही होते हैं जो अपनी जाति के हितों का नुकसान करके भी व्यापक जनहित में कोई निर्णय करते हैं।
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1937 वाली सरकार के आबकारी मंत्री चैधरी ने कहा था कि ‘‘जब मैं अपने बजट को देखता हूं तो मालूम होता है कि इस साल हम पंद्रह करोड़ रुपए खर्च करेंगे।
इसमें हम पांच करोड़ रुपए तो गरीबों के पाॅकेट से उन्हें शराब पिला कर लेंगे।’’
(याद रहे कि गांधी ने कहा था कि यदि सरकारी स्कूल का खर्च आबकारी आय से चलता हो तो वैसे स्कूलों का न चलना ही बेहतर है।)
जगलाल चैधरी जानते थे कि नशाबंदी आदेश से सबसे अधिक नुकसान उनकी अपनी ही पासी जाति को हुआ था।पर, इस बारे में वे कहते थे कि
‘‘यह समाज कोई और रोजगार करे।
गरीब-दलित यदि शराब का व्यापार और शराब पीना छोड़ देंगे तो उनकी प्रतिष्ठा भी समाज में बढ़ेगी और उनकी गरीबी भी कम होगी।’’
पर, उनके मंत्री नहीं रहने पर नशाबंदी का आदेश बिखर गया था।
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याद रहे कि गांधी जी से प्रभावित होकर जगलाल चैधरी ने जब आजादी की लड़ाई में शामिल होने के लिए पढ़ाई छोड़ दी तब वे कलकत्ता में मेडिकल छात्र थे।
मेडिकल काॅलेज में उनका चैथा साल था।लोगों ने समझाने की कोशिश की कि पहले अपनी पढ़ाई तो पूरी कर लीजिए।
पर , उन्होंने कहा कि अब मेरे लिए इस पढ़ाई का कोई मतलब नहंीं रहा।
संयोग से वे उसी चुनाव क्षेत्र (गड़खा,सारण)से लड़ते थे जिस क्षेत्र में मेरा पुश्तैनी गांव है।
उन्हें मैंेने अपने गांव में,अपने दरवाजे पर भी बचपन में देखा था।
सादगी की प्रतिमूत्र्ति थे।उनकी पोशाक कर्पूरी ठाकुर जैसी थी।
मुझे याद है--वे लोगों से कहा करते थे कि आप लोग अंग्रेजी दवाओं से भरसक दूर रहें।
खेतों में रासायनिक खादों के बदले जैविक खाद डालें।भूजल स्त्रोतों की रक्षा करें।यानी, कम से कम ट्यूब वेल लगवाएं।
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एक और प्रकरण और !
चैधरी जी की बेटी की जब शादी थी,तब वे बिहार में मंत्री थे।
उनकी सरकार ने हाल ही में विधायिका से गेस्ट कंट्रोल एक्ट पास करवाया था।
शायद उस कानून के अनुसार अत्यंत सीमित संख्या --तीस या पैंतीस --में ही अतिथियों को बुलाने का नियम बनाया गया।
चैधरी जी के यहां बारात आई।उतने ही लोगों का खाना बना था।
पर,बिना बुलाए कई अतिथि आ गए।
नतीजतन खुद चैधरी जी के परिवार को उस रात भोजन नहीं मिला।
क्योंकि चैधरी जी ने अतिरिक्त भोजन नहीं बनने दिया था।
शादी को सम्मेलन बनाने वाले नेताओं के आज के दौर में
जगलाल चैधरी कुछ अधिक ही याद आते हैं।
हालांकि गेस्ट कंट्रोल एक्ट आज भी लागू है ,पर सिर्फ कागज पर।
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एक जगलाल चैधरी थे,और दूसरी ओर आज के अनेक नेता हैं जो बिहार में जारी शराबबंदी को फिर से चालू करवाना चाहते हैं। 5 फरवरी यानी परसों पटना में चैधरी साहब की जयंती मनाई जाएगी।
चैधरी जी को सच्ची श्रद्धांजलि यही मानी जाएगी यदि जो लोग पीते हैं,वे उस दिन से न पीने का प्रण करें।साथ ही विवाह उत्सव में कम से कम लोग जुटें।
मैं जानता हूं कि ऐसा कुछ नहीं होने वाला है,पर मेरे मन में आया तो लिख दिया।
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3 फरवरी 25
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