मंगलवार, 11 फ़रवरी 2025

 इस पोस्ट को समय देकर पढ़िएगा

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सुरेंद्र किशोर

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भाजपा सरकार सिर्फ हिन्दू-मुस्लिम नहीं करती,

बल्कि मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार कम करके केंद्र 

सरकार की आय में 2014 के बाद तीन गुनी

बढ़ोत्तरी कर दी है।

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जिसे कुछ लोग ‘‘हिन्दू मुस्लिम करना’’ कहते हैं ,वह कुछ और है।वह यह है कि हथियारों के बल पर भारत पर इस्लामिक शासन कायम करने वालों और उनके वोट लोलुप समर्थक दलों के खिलाफ भाजपा सरकार अभियान चलाती है।

 पूरी दुनिया में चीन सहित उन देशों के राष्टभक्त राजनीतिक दल जेहादियों से पूरी ताकत से आज लड़ रहे हैं जहां यह समस्या पैदा हो रही है या बढ़ रही है।

लगता है कि भारत सहित पूरी दुनिया के इस्लामिक जेहादी अब जल्दीबाजी में हैं।

भारत ही अपवाद है जहां उनसे सिर्फ सत्ता दल लड़ रहा है।

जेहादियों को लगता है कि मोदी के रहते वे भारत में अपने लक्ष्य में सफल नहीं होंगे।दिल्ली विधान सभा चुनाव में जीत के बाद मोदी सरकार जेहादियों और भ्रष्टाचारियों के खिलाफ अब दुगुनी ताकत से कार्रवाई शुरू कर सकती है।अध्किातर जनता उसके साथ है।

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दुनिया की हर अच्छी सरकार जेहादियों से आज लड़ रही है।पर भारत का कोई भी भाजपा विरोधी राजनीतिक दल या नेता प्रतिबंधित हथियारबंद जेहादी संगठन पी.एफ.आई. और उसके राजनीतिक दल एस.डी.पी.आई.के खिलाफ एक शब्द का भी उच्चारण तक नहीं करता,लड़ने की बात कौन कहे !

मोदी के लिए और देश के विकास व भले के लिए यह अच्छी स्थिति है कि अधिकतर भाजपा विरोधी दलों की छवि जेहाद समर्थक हो चुकी है।यदि वे चाहें तो अब भी अपनी छवि सुधार सकते हैं अन्यथा उनके लिए देर हो जाएगी।

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आज के दैनिक भास्कर के प्रथम पेज की हेडिंग है--

‘‘कमाई का फार्मूला ....छह साल में काॅर्पोरेट्स ,आम करदाताओं को 13 लाख करोड़ रुपए की टैक्स छूट,फिर भी कलेक्शन हर साल बढ़ा।’’

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मोटा- मोटी एक आकलन

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2013- 14 वित्तीय वर्ष में भारत सरकार को करांे से करीब 10 लाख करोड़ रुपए की आय थी।

अब वह आय बढ़कर लगभग तीन गुनी से भी अधिक हो गयी है।

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नतीजतन,

सेना आज मजबूत हो रही है।देश में विकास दिख रहा है।

आम लोगों को तरह -तरह से राहत देने के लिए भारत सरकार के पास धन उपलब्ध है।

क्योंकि सरकारी भ्रष्टाचार पहले की अपेक्षा कम होता जा रहा है।

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पहले क्या हालत थी ?

आजादी के तत्काल बाद से ही घोटालों की बाढ़ आ गई थी।

भ्रष्टाचारियों को पूरी छूट थी।

1961 में केंद्र सरकार के रक्षा मंत्रालय ने सेना के लिए वित्त मंत्रालय से एक करोड़ रुपए की मांग की,सेना की जरूरी जरूरतों की पूर्ति के लिए।

वित्त मंत्रालय और प्रधान मंत्री ने कहा कि पैसे नहीं हैं।

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1962 में जब चीन ने सोवियत संघ से पूर्व अनुमति लेकर हम पर हमला किया तो 

हमारी सेना का क्या हाल था ?

देश के प्रमुख पत्रकार मन मोहन शर्मा के अनुसार,

‘‘एक युद्ध संवाददाता के रूप में मैंने चीन के हमले को कवर किया था।

  मुझे याद है कि हम युद्ध के लिए बिल्कुल तैयार नहीं थे।

 हमारी सेना के पास अस्त्र,शस्त्र की बात छोड़िये,कपड़े तक नहीं थे।

 अंबाला से 200 सैनिकों को एयर लिफ्ट किया गया था।

उन्होंने सूती कमीजें और निकरें पहन रखी थीं।

उन्हें बोमडीला में एयर ड्राप कर दिया गया

जहां का तापमान माइनस 40 डिग्री था।

वहां पर उन्हें गिराए जाते ही ठंड से सभी बेमौत मर गए।’’

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मनमोहन सिंह के शासन काल में रक्षा मंत्रालय ने चीन से भारतीय सीमा पर खतरे को देखते हुए सेना विस्तार के लिए 65 हजार करोड़ रुपये की एक योजना बना कर कुछ समय पहले वित्त मंत्रालय को भेजा था।

  इस पर वित्त मंत्रालय ने रक्षा मंत्रालय से एक अनोखा सवाल पूछा।उसने लिख कर यह पूछा कि क्या चीन से खतरा दो साल बाद भी बना रहेगा ?यह पूछ कर वित्त मंत्रालय ने 

दरअसल वित्त मंत्रालय रक्षा मंत्रालय को यह संदेश देना  चाह रहा था कि यदि दो साल बाद भी खतरा बना नहीं रहेगा तो इतना अधिक पैसा रक्षा तैयारियों पर खर्च करने की जरूरत ही कहां है ?

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कांग्रेस शासन काल में सरकारी लूट का हाल क्या था ?

1985 में तत्कालीन प्रधान मंत्री राजीव गांधी ने कहा था कि दिल्ली से सरकार 100 पैसे भेजती है ,पर इसमें से सिर्फ 15 पैसे ही गांवों तक पहुंच पाते हैं।बाकी बिचैलिए खा जाते हैं।’’

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एक दिन में तो 100 पैसे घिसकर 15 पैसे नहीं हो गये होंगे।

इनमें से नेहरू के राज में कितना घिसा ?

शास्त्री के राज में कितना घिसा ?

इंदिरा के राज में कितना घिसा ?

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राजीव गांधी की गद्दी तो घोटालों के कारण ही गई।

नेहरू के राज में कितना घिसा,उसका उदाहरण कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के शब्दों में 

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 सन 1963 में ही तत्कालीन कांग्रेस  अध्यक्ष डी.संजीवैया को  इन्दौर के अपने भाषण में यह कहना पड़ा  कि ‘‘वे कांग्रेसी जो 1947 में भिखारी थे, वे आज करोड़पति बन बैठे।(1963 के एक करोड़ की कीमत आज कितनी होगी ? )

गुस्से में बोलते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने यह भी कहा था कि ‘‘झोपड़ियों का स्थान शाही महलों ने और कैदखानों का स्थान कारखानों ने ले लिया है।’’

इन्दौर के तब के किसी अखबार में कोई शोधकर्ता इस बयान को पढ़ सकता है। 

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केंद्र सरकार में आजादी के तत्काल बाद जीप घोटाला हुआ।

घोटाले का आरोप जिस नेता पर लगा,उसे प्रमोट करके रक्षा मंत्री बना दिया गया।

और न जाने कितने घोटाले समय समय पर केंद्र सरकार ने किये।

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बिहार में भी आजादी के तत्काल बाद से ही घोटाले शुरू हो गये थे।--लोहा कांड,छोआ कांड ,साठी कांठ आदि आदि....

अय्यर आयोग की सन 1970 की रपट के अनुसार बिहार के एक सत्ताधारी नेता (1946-66)ने 12 मकान व जमीन खरीदे। सन 1946 में उनके बैंक खाते में करीब छह सौ रुपए थे जो 1966 में बढ़कर करीब छह लाख रुपए हो गये थे।ये तो नमूना है।

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निष्कर्ष

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कोई किसान अपनी 100 एकड़ पुश्तैनी जमीन में से 85 एकड़ को बेच खाए तो उस किसान को घर का मालिक रहने दिया जाएगा ?

जो किसान 100 एकड़ को बढ़ाकर 300 एकड़ कर दे उसे मालिक पद से कौन हटाना चाहेगा ?

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जवाहरलाल नेहरू तीन बार लगातार प्रधान मंत्री बने थे।

उसमें देश भर के स्वतंत्रता सेनानियों और स्वतंत्रता प्रेमी जनता का भी योगदान था।उनका अपना भी थोड़ा-बहुत योगदान रहा था।

पर नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधान मंत्री बने तो उसमें मोदी का अपना अधिक योगदान था।भाजपा,संघ,कांग्रेसी घोटालों से पीड़ित लोगों का भी योगदान है।

कोई केंद्र सरकार पहली बार भ्रष्ट और जेहाद पक्षी शक्तियों के खिलाफ आवश्यकतानुसार ताकत लगाकर हमलावर है।वे शक्तियां अब बचाव की मुद्रा में है।दिल्ली चुनाव नतीेजे के बाद अब और भी बचाव की मुद्रा में होंगी।

आगे यही चलेगा। हरियाणा और महाराष्ट्र के बाद दिल्ली में भाजपा की जीत का संकेत समझिए।

बीच में लोक सभा चुनाव में भाजपा की सीटें कम होने की परिघटना को अधिक महत्व दीजिएगा तो धोखे में रहिएगा।

वह जार्ज सोरोस के पैसों का कमाल था जो सीमित इलाकों में आर्थिक रूप से कमजोर लोगों में बंटे थे और चुनाव पर उसका असर हुआ था।यह आंकड़ा याद रखिए --

भाजपा को लोक सभा चुनाव में सन 2019 की अपेक्षा सन 2024 में पूरे देश में 67 लाख अधिक वोट मिले।

चूंकि अब सोरोस मुरझा गया है।इसलिए हाल के विधान सभा उप चुनावों में भाजपा यू.पी. में जीत गई।

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9 फरवरी 25



 


 


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