गुरुवार, 27 फ़रवरी 2025

 जब पी.एम.ने राष्ट्रपति का फोन नहीं उठाया

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 सन 1984 में दिल्ली के सिखों को, खासकर अपने रिश्तेदारों को, सामूहिक संहार से बचाने के लिए तब के राष्ट्रपति जैल सिंह ने कई बार प्रधान मंत्री राजीव गांधी को फोन किये।पर, प्रधान मंत्री फोन पर नहीं आये।

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सुरेंद्र किशोर

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31 अक्तूबर 1984 को सिख अतिवादियों ने,जो संतरी के रूप में प्रधान मंत्री आवास पर तैनात थे,प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी की हत्या कर दी।

उसकी प्रतिक्रिया में कांग्रेसी नेताओं की अगुवाई व दिल्ली पुलिस के संरक्षण में लगातार चार दिनों तक दिल्ली में सिखों को सामूहिक संहार होता रहा।

पर, सेना को पांचवें दिन ही तब सड़कों पर उतारा गया जब हत्यारों का मन भर गया।

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 1 से 4 नवंबर 1984 तक सेना को क्यों नहीं बुलाया गया ?

नेहरू- गांधी परिवार के ‘‘सेवक’’ प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह ने इस पर बाद में कहा था कि 1984 में सेना नहीं बुलाने 

के लिए तब के केंद्रीय गृह मंत्री पीवी नरसिंह राव को दोषी थे।

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अब पढ़िए कि सन 2018 में हत्यारों में से एक सज्जन कुमार को एक अन्य केस में सजा सुनाते हुए जज ने क्या कहा था।

सज्जन कुमार को उम्र कैद की सजा देने वाले दिल्ली हाईकोर्ट ने 17 दिसंबर, 2018 को कहा था कि 

‘‘ 1 से 4 नवंबर तक पूरी दिल्ली में 2733 सिखों की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी।

उनके घरों को नष्ट कर दिया गया था।

देश के बाकी हिस्सों में भी हजारों सिख मारे गए थे।

इस भयावह त्रासदी के अपराधियों के बड़े समूह को राजनीतिक संरक्षण का लाभ मिला और जांच एजेंसियों से भी उन्हें मदद मिली।’’

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तब के प्रधान मंत्री राजीव गांधी की

उक्ति आपको याद ही होगी--

‘‘जब बड़ा गिरता है तो धरती हिलती है।’’

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याद रहे कि नेहरू -गांधी परिवार की खुशामद में लगे रहने के कारण पत्रकार -लेखक खुशवंत सिंह को कई बार खुशामद सिंह भी कहा जाता था।

बात तब की है जब सिख संहार हो रहा था। बेचारे ‘‘खुशामद सिंह’’ भी अपने रिश्तेदारों को, जल्लादों से बचाने के लिए कई बार प्रधान मंत्री राजीव गांधी को फोन किया।पर राजीव गांधी उनके फोन पर भी नहीं आये।

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याद रहे कि आपातकाल में संजय गांधी के कारनामों के भी सरदार खुशवंत सिंह प्रशंसक थे।मेनका गांधी की मासिक पत्रिका ‘‘ सूर्या’’  के तो खुशवंत सिंह  सलाहकार संपादक ही थे।प्रिंटलाइन में उनका नाम भी छपता था।

पर,आप जितनी चाहे किसी नेता की खुशामद कर लीजिए।पर कोई जरूरी नहीं कि वह ऐन वक्त पर गाढ़े समय में आपके काम आएगा ही।

सरदार जी ने सूर्या के सलाहकार संपादक का पद तभी छोड़ा जब मना करने के बावजूद मेनका गांधी ने जग जीवन राम के पुत्र सुरेश कुमार के साथ सुषमा की नंगी तस्वीरें सूर्या में छाप दी थी।

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सन 1984 में कांग्रेस के राष्ट्रीय महा सचिव चंदूलाल चंद्राकर ने कहा था कि ‘‘हमने जांच करा ली है।सिख दंगे में किसी भी कांग्रेसी का हाथ नहीं है।’’

(साप्ताहिक रविवार,कलकत्ता-25 नवंबर 1984)

पर 2014 के लोक सभा चुनाव से ठीक पहले राहुल गांधी ने टी.वी.पत्रकार अर्णव गोस्वामी से बातचीत में यह स्वीकार किया कि हां,कुछ कांग्रेसियों का हाथ था।

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27 फरवरी 25

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पुनश्चः

ब्लू स्टार आॅपरेशन के तत्काल बाद प्रधान मंत्री की जान पर खतरा बढ़ गया था।

उनकी सुरक्षा में लगे योग्य व दूरदर्शी अफसर ने यह निर्णय किया कि प्रधान मंत्री के आसपास से सिख सुरक्षाकर्मियों को हटा दिया जाये।

हटाया भी गया।

जब इंदिरा जी ने यह नोटिस किया कि उनके आवास पर पहले से तैनात सिख संतरी अब नहीं हैं तो उन्होंने संबंधित

अफसर से पूछा।

जब अफसर ने कहा कि सुरक्षा कारणों से उन्हें हटाया तो प्रधान मंत्री ने आदेश दिया कि उन्हें जल्द फिर से यहां तैनात करिए।

उनकी तैनाती हुई।उन्हीं लोगों ने इंदिरा जी हत्या की कर दी।



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