चर्चित जाली स्टाम्प घोटाले के सजायाफ्ता कैदी अब्दुल करीम तेलगी का गुरूवार को बंगलुरू के अस्पताल में निधन हो गया।
गत तीस साल से वह जेल में सजा काट रहा था।हाल में जब बीमार पड़ा तो उसे अस्पताल लाया गया था।
तेलगी पर आयकर विभाग के 190 करोड़ रुपए बकाया हंै।
तेलगी का यह हश्र उसकी अपार धनलोलुपता के कारण हुआ।
आय से अधिक संपत्ति एकत्र करने के आरोप में जे.जयललिता जब जेल में थीं तो उनका स्वास्थ्य इतना बिगड़ गया कि जेल से छूटने के बाद भी उसमें सुधार नहीं हो सका।और, गत साल दिसंबर में उनका असामयिक निधन हो गया।उनकी सारी धन -संपत्ति उनके पीछे रह गयी।क्योंकि कफन में तो जेब होती नहीं।
बिहार के चर्चित चारा घोटाले के एक अभियुक्त और कमिश्नर स्तर के अफसर रांची अदालत के बरामदे में दीवार से पीठ सटाये नीचे ही बैठे थे। रद्दी अखबार पर रखकर भंुजा खा रहे थे।उनकी देह पर कपड़े भी ठीक -ठाक नहीं थे।चारा घोटाले से संबंधित मुकदमे की सुनवाई के सिलसिले में वे वहां गए थे।जब उनसे एक पत्रकार ने हालचाल पूछा तो उन्होंने रूंआसा होकर कहा कि ‘मेरी दुनिया में तो अंधेरा छा गया।’हाल में उनका भी विपन्नता में निधन हो गया।
इस तरह के अन्य अनेक उदाहरण इस देश में भरे पड़े हैं।फिर भी इस गरीब देश में हर क्षेत्र में फैले प्रभु वर्ग की अपार धनलोलुपता कम नहीं हो रही है। घोटालेबाजों की धनलोलुपता का सीधा प्रतिकूल असर इस गरीब देश की अर्थ व्यवस्था पर पड़ रहा है।
नतीजतन 70 साल की आजादी के बाद भी इस देश की गरीबी का हाल यह है कि 20 करोड़ लोगों को हर रात भूखे सोना पड़ता है।
इसके कारण और निदान क्या हैं ?
कुछ तो मेरी समझ में आता है ।बाकी आप बताएं।
गत तीस साल से वह जेल में सजा काट रहा था।हाल में जब बीमार पड़ा तो उसे अस्पताल लाया गया था।
तेलगी पर आयकर विभाग के 190 करोड़ रुपए बकाया हंै।
तेलगी का यह हश्र उसकी अपार धनलोलुपता के कारण हुआ।
आय से अधिक संपत्ति एकत्र करने के आरोप में जे.जयललिता जब जेल में थीं तो उनका स्वास्थ्य इतना बिगड़ गया कि जेल से छूटने के बाद भी उसमें सुधार नहीं हो सका।और, गत साल दिसंबर में उनका असामयिक निधन हो गया।उनकी सारी धन -संपत्ति उनके पीछे रह गयी।क्योंकि कफन में तो जेब होती नहीं।
बिहार के चर्चित चारा घोटाले के एक अभियुक्त और कमिश्नर स्तर के अफसर रांची अदालत के बरामदे में दीवार से पीठ सटाये नीचे ही बैठे थे। रद्दी अखबार पर रखकर भंुजा खा रहे थे।उनकी देह पर कपड़े भी ठीक -ठाक नहीं थे।चारा घोटाले से संबंधित मुकदमे की सुनवाई के सिलसिले में वे वहां गए थे।जब उनसे एक पत्रकार ने हालचाल पूछा तो उन्होंने रूंआसा होकर कहा कि ‘मेरी दुनिया में तो अंधेरा छा गया।’हाल में उनका भी विपन्नता में निधन हो गया।
इस तरह के अन्य अनेक उदाहरण इस देश में भरे पड़े हैं।फिर भी इस गरीब देश में हर क्षेत्र में फैले प्रभु वर्ग की अपार धनलोलुपता कम नहीं हो रही है। घोटालेबाजों की धनलोलुपता का सीधा प्रतिकूल असर इस गरीब देश की अर्थ व्यवस्था पर पड़ रहा है।
नतीजतन 70 साल की आजादी के बाद भी इस देश की गरीबी का हाल यह है कि 20 करोड़ लोगों को हर रात भूखे सोना पड़ता है।
इसके कारण और निदान क्या हैं ?
कुछ तो मेरी समझ में आता है ।बाकी आप बताएं।
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