सोमवार, 30 अक्तूबर 2017

  आज मैंने पैथो तकनीशियन को बुला कर अपने और अपनी पत्नी के रक्त  के नमूने उसे दिए।
  सुगर, कोलोस्ट्राॅल ,लीवर, किडनी तथा एक अन्य  तरह की जांच करानी  है।उसने चार हजार रुपए लिए।ऐसा मैंने इस बात के बावजूद किया कि इस जांच से संबंधित  किसी रोग के लक्षण अभी प्रकट नहीं हुए हैं।
कल जांच रपट मिल जाएगी।उससे पता चल जाएगा कि कोई   रोग  चुपके -चुपके हमारे शरीर में ‘गृह प्रवेश’ कर चुका है  है या फिर शरीर के दरवाजे पर दस्तक दे रहा है ! या फिर हम अब भी रोगमुक्त है ? वैसे तो कहा जाता है कि बुढापा भी अपने आप में एक बीमारी है।
यदि जांच रपट प्रतिकूल आएगी तो चोर की दवाई यथा संभव समय रहते कर दी जाएगी।
  कई बार रोग के लक्षण तो तब प्रकट होते हैं,जब देर हो चुकी होती है।
 दशकों से मैं नियमित रूप से ऐसी ही जांच करवाता
रहता हूं।पिछले साल जांच में जब कोलोस्ट्राॅल  बोर्डर लाइन पर दिखाई पड़ा तो उसके लिए मैंने आयुर्वेदिक दवांएं लीं - हृदयामृत और अर्जुनारिष्ट।
कुछ महीनों में तब नार्मल हो गया था।पता नहीं, अब क्या हाल है !
  मेरे कुछ मित्र-रिश्तेदार  इसे पैसे की बर्बादी बताते हैं।मुझे भी कहते हैं कि जब रोग का कोई लक्षण दिखाई पड़े तभी जांच कराइए।
मैं उनसे  कहता हूं कि पैसे का यही तो सदुपयोग है।
  समय -समय पर  कई लोगों ने मुझसे कहा कि फलां को तो कोई बीमारी  थी ही नहीं ,पर पता नहीं अचानक कैसे वह चल बसा ! मैंने जब उनसे पूछा कि क्या उसने  ब्लड प्रेसर की भी कभी जांच करवाई थी ? इस पर उन्होंने नकारात्मक जवाब दिया।@30 अक्तूबर 2017@
  

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