शुक्रवार, 27 अक्तूबर 2017

शास्त्री जी की मौत से संबंधित कागजात सार्वजनिक किए जाएं


         
नेता जी सुभाष चंद्र बोस से संबंधित फाइलें सार्वजनिक 
हो जाने के बाद अब लाल बहादुर शास्त्री परिवार की उम्मीदें 
भी बढ़ी हैं।
  शास्त्री जी की पुत्र बधू और भाजपा नेता नीरा शास्त्री यह मांग करती रही हैं कि शास्त्री जी की मृत्यु से जुड़े सारे दस्तावेज सार्वजनिक किए जाने चाहिएं।
  नीरा शास्त्री को इस बात का अफसोस है कि अब तक न तो शास्त्री जी की मृत्यु के कारणों का पता चला है और न ही केंद्र सरकार ने इस बारे में कोई दस्तावेज जारी किया है।
दिवंगत प्रधान मंत्री की विधवा ललिता शास्त्री ने नीरा शास्त्री को बताया था कि शास्त्री जी के चश्मे की खोली में मिली एक पर्ची से पता चला कि उन्हें कुछ मिला हुआ दूध दिया गया था।उसके बाद उनके सीने में दर्द शुरू हो गया और सांस लेने में कठिनाई होने लगी। इस तरह 10 जनवरी 1966 को ताशकंद में  ही शास्त्री जी का निधन हो गया।
नीरा शास्त्री के अनुसार उनके निधन के बाद शास्त्री जी की निजी डायरी और कुछ दूसरे सामान भी परिजन को नहीं मिले ।याद रहे कि कुछ दशक पहले यह आरोप भी सामने आया था कि शास्त्री जी के निजी सेवक रामलाल की भी रहस्यमय परिस्थितियों में एक दुर्घटना के बाद मृत्यु हुई थी।रामलाल उनके साथ ताशकंद गया था।
 यह आरोप भी सामने आया था कि शास्त्री जी के साथ ताशकंद गए उनके निजी चिकित्सक डा.चुग की भी रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हुई थी।
 याद रहे कि भारत -पाकिस्तान युद्ध के बाद दोनों देशों के बीच 10 जनवरी 1966 को ताशकंद समझौता हुआ था।उसी समझौता बैठक में शामिल होने के लिए प्रधान मंत्री शास्त्री  ताशकंद गए थे।
  शास्त्री जी मृत्यु को लेकर कई सवाल अब भी अनसुलझे रह गए हैं।इस पृष्ठभूमि में  भी नीरा शास्त्री की मांग में दम लगता है।
  शास्त्री जी के साथ तीन वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री वाई.वी.चव्हाण,सरदार स्वर्ण सिंह और जगजीवन राम ताशकंद गए थे।
सवाल है कि इसके बावजूद ऐसा क्यों हुआ कि मृत्यु के कारणों को लेकर कोई स्पष्ट मेडिकल रपट नहीं तैयार हो सकी ?
 जबकि अकस्मात मृत्यु को लेकर  शुरू में  ही संदेह पैदा हो गया था।
 शास्त्री जी को ऐसे कमरे में क्यों ठहराया गया था जहां न तो काॅल बेल था न ही किसी फोन का एक्सटेंशन  ?
शयन कक्ष के बगल के बैठकखाने में फोन था।ताशकंद में पोस्टमार्टम नहीं कराने की सलाह किसने दी  थी ?
 24 घंटे पहले ताशकंद में शास्त्री जी के ठहरने का स्थान क्यों बदला गया  था ? 
मृत्यु के बाद उनका शरीर नीला क्यों पड़ गया था ?
उस पर चंदन का लेप लगा कर उस नीलेपन को   ढकने की कोशिश क्यों की गयी थी ?
 निजी सेवक के रहते हुए किसी अन्य सेवक ने 10 जनवरी की रात में रात में शास्त्री को दूध क्यों दिया ?
दूध पीने के बाद ही शास्त्री जी की तबियत क्यों बिगड़ने लगी थी ?भारतीय राजनयिक  राय सिंह ने एक जगह लिखा है कि सोवियत संघ के मेरे  मित्रों ने मुझे बताया था कि शास्त्री जी की मृत्यु रहस्यमय परिस्थितियों में हुई थी। 
  ललिता शास्त्री ने सन 1970 में एक साप्ताहिक पत्रिका को बताया था कि ‘मैं नहीं जानती हूं कि  उनकी मृत्यु के संबंध में संसद में क्या पूछा गया और क्या उत्तर दिया गया, लेकिन इस बात की मैं गारंटी देती हूं कि इतिहास सत्य को रेखांकित करेगा।यह मिटाया नहीं जा सकता।’
  शास्त्री जी ने प्रधान मंत्री बनने के बाद बैंक से लोन लेकर एक फिएट कार खरीदी थी।यह उनके जीवन की पहली और आखिरी निजी कार थी।
 उनके जीवन काल में वह लोन चुकता नहीं हो सका था।
उनके निधन के बाद  की केंद्र सरकार ने ललिता  शास्त्री से कहा कि सरकार उस लोन को माफ कर देना चाहती है। ललिता जी उसके लिए तैयार नहीं हुईं।उन्होंने अपनी पेंशन राशि से लोन चुकाया।
आखिर ललिता जी ने सरकार के उस  आॅफर को अस्वीकार क्यों कर दिया   जबकि वह आर्थिक कठिनाइयों में थीं ?क्या वह सरकार से नाराज थीं ?
 ललिता जी ने कुछ समय बाद ताशकंद जाकर उस स्थान को देखा था जहां 1966 में शास्त्री जी को ठहराया गया था।
बाद में ललिता जी ने कहा था कि सब सामान तो थे,पर थर्मस नहीं था।
ऐसा क्यों हुआ ? इस तरह के कुछ अन्य सवाल भी उठते रहे हैं।
यदि सारे संबंधित कागजात और सूचनाएं सामने आ जाएं तो इस मृत्यु पर पड़ा दशकों पुराना रहस्य का पर्दा उठ  जाएगा। 
@ लाइवबिहार.लाइव पर प्रकाशित@ 
  
    

कोई टिप्पणी नहीं: