जो व्यक्ति न जाने किस ताकत के नशे में, किस उपलब्धि के घमंड में अपनी पूरी जवानी किसी को भी, कहीं भी, कैसे भी अपमानित करता रहता है,उसका आखिरी समय समय से पहले ही आ जाता है।
वह भी कभी सरकारी अस्पताल में,कभी अनाथालय में या फिर कभी अनाथालय के बाहर ही सड़क के किनारे !!
क्योंकि, अनाथालय की नौबत आने पर भी तो उसकी आदत नहीं छूटती !!!
--सुरेंद्र किशोर
3 जनवरी 22
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें