सब दिन होत न एक सामाना !!!
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सुरेंद्र किशोर
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हिन्दी राज्यों के कई बाहुबलियों -माफियाओं -भ्रष्टों के दुर्दिन चल रहे हैं।
कोई मुंठभेड़ में जान गंवा रहा है तो कोई जेल में ।
कोई जेल से निकलने के लिए छटपटा रहा है तो कोई जेल में सड़ रहा है।
कोई चुनाव लड़ने लायक नहीं रहा तो किन्हीं के महलों पर बुलडोजर चल रहे हैं।
दरअसल जब ये लोग सत्ता में थे या सत्ता के करीब थे तो समझते थे कि कानून का कोई भी दफा कभी उन्हें छू नहीं पाएगा।
पर, जब राजनीतिक स्थिति बदली तो उसी के साथ उनकी तकदीर भी बदल गयी।
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आज जो सत्ता में हैं,उनमें से कई लोगों के लिए ये घटनाएं चेतावनी हैं।
भले आप अपेक्षाकृत कम शातिर हों,
किंतु आपका भी लालची व बाहुबली चरित्र समय -समय सामने आता रहता है।
सांसद और विधायक फंड ने तो इस देश के 90 प्रतिशत जनप्रतिनिधियों के लोभी चरित्र को आम लोगों के समक्ष नंगा कर दिया है।
संभल जाइए, आप जिस दल में हैं या जिसके सहचर हैं,वे भी हमेशा सत्ता में नहीं रहेंगे।
बुलडोजर और हथकड़ियां सिर्फ एक तरह की जमात के लिए नहीं बनी होती हैं।
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27 जनवरी 22
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