प्रशांत किशोर की उच्चाकांक्षा का भविष्य !
..........................
सुरेंद्र किशोर
............................
प्रशांत किशोर अपनी अगली योजना की
घोषणा परसों करेंगे।
यदि वे अपनी राजनीतिक पार्टी बनाते हैं तो वह उनका अधिकार है।जरूर बनाएं।
इस देश में कुल 2293 राजनीतिक दल पहले से हैं ही।
एक और दल सही !
राजनीतिक दल बनाना और चुनाव लड़ना आसान है।
अब तो उम्मीदवारों से भारी भरकम चंदा भी पार्टी को मिल जाता है।
किंतु अकेले बल पर सीटें जीत पाना बहुत मुश्किल है।
प्रशांत यदि अपने दल को लोक सभा और विधान सभा के अगले चुनावों में उतारेंगे तो उनकी काबलियत की असलियत की भी जांच हो जाएगी।
प्रशांत के उन प्रशंसकों के इस दावे की तो खास तौर पर जांच हो जाएगी कि ंप्रशांत किशोर, अब तक मुख्य मंत्री और प्रधान मंत्री बनाते रहे हैं।
यह काम यानी दल बनाने को काम, जितनी जल्द हो जाए,उतना ही अच्छा।
अपने बल पर अकेले चुनाव लड़ने के बाद यदि उन्हें कोई उल्लेखनीय उपलब्धि मिल गई तो मैं प्रशांत के बारे में अपनी राय बदल लूंगा।
इस देश-प्रदेश का अगला कोई भी चुनाव मुकाबला मुख्यतः
दो दलों या फिर दो गठबंधनों के बीच ही होगा।
तीसरे दल के लिए बहुत कम ही गुंजाइश बचेगी ।
क्योंकि अगले दो साल में राजनीति व समाज का अच्छा-खासा धु्रवीकरण हो चुका होगा।
.......................................
एक लघुत्तम दल के बड़े नामी-गिरामी नेता डा.सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कुछ दशक पहले मुख्य पटना में अपने दल के आॅफिस के लिए एक बड़ा मकान खरीद लिया था।
तब उनकी घोषणा थी कि वे ‘लालू राज’ को उखाड़ फेकेंगे।
पर,स्वामी के उस संकल्प का क्या हुआ ?
हुआ यह कि किदवई पुरी के उस मकान को स्वामी जी ने अंततः बेच दिया।
.............................
वैसे स्वामी जी की एक बड़ी उपलब्धि रही है।इस मामले में मैं उनका भारी प्रशंसक रहा हूं।
उन्होंने पी.आई.एल.करके बड़े -बड़े भ्रष्ट नेताओं को जेल भिजवाया।
सिर्फ वही काम वे बेहतर ढंग से कर भी सकते हैं।
क्योंकि जिस दल में रहे,वहां के बड़े नेताओं के सिर पर ही .........................।
.पर, पता नहीं,उन्होंने एक जन कल्याणकारी व अच्छा-खासा काम भी क्यों छोड़ दिया !
...................................
प्रशांत किशोर मूलतः आंकड़ा एकत्र करने और उसे विश्लेषित करने के काम में रहे हैं।
कई लोग उन्हें इस काम में माहिर भी मानते हैं।
पहले मैं भी मानता था।
पर,उन्होंने हाल में जब कांग्रेस को यह सलाह दे डाली कि वह बिहार -उत्तर प्रदेश में अब अकेले ही चुनाव लड़े तो मुझे उनकी आंकड़ा विश्लेषण क्षमता पर भी संदेह हो गया।
....................................
3 मई 22
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें