विकास के नये मंदिर ‘पूर्णिया इथेनाॅल कारखाने’
को आशंकित बुरी नजरों से बचाने का प्रबंध करे
बिहार सरकार
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यदि कृषि आधारित और भी नए-नए कारखाने खुलेंगे तो
बिहार का पिछड़ापन कम होगा
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सुरेंद्र किशोर
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पूर्णिया में इथेनाॅल कारखाने की स्थापना हुई है।
कृषि प्रधान बिहार में यह एक युगांतरकारी घटना है।
वहां मक्का और धान से इथेनाॅल तैयार होगा।
अब किसानों को उनकी फसल की बेहतर कीमत मिलेगी।
खेती-किसानी वैसे लोगों के लिए भी लाभकारी पेशा बनेगी,जो मजदूरों से खेती करवाते हैं,खुद नहीं करते।
मैं खुद किसान परिवार से आता हूं।
हमारे यहां मजदूरों से खेती कराई जाती है।
अनुभव बताते हंै कि खेती कुल मिलाकर घाटे का सौदा है।
क्योंकि अनाज ही एक ऐसा उत्पाद है जिसकी कीमत ग्राहक तय करता है, उत्पादक नहीं।
ग्राहक लागत खर्च का ध्यान तक नहीं रखते।
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आजादी के तत्काल बाद चैधरी चरण सिंह जैसे जमीन के नेताओं ने तत्कालीन केंद्र सरकार को यह सुझाव दिया कि पहले कृषि का विकास कीजिए।
उसी से उद्योग के विकास में भी मदद मिलेगी।
क्योंकि किसानों की आय जब बढ़ेगी तो किसान परिवारों की करखनिया माल खरीदने की क्षमता भी बढ़ेगी।
उसी से उद्योग बढं़ेगे।
किंतु केंद्र सरकार ने कृषि के बदले लोक उपक्रमों पर अधिक जोर दिया।
आरोप लगा कि अधिकतर स्वतंत्रता सेनानियों को अपने बाल-बच्चों ,रिश्तेदारों और लगुए-भगुए को ‘‘सफेदपोश नौकरियां’’ दिलवाने की जल्दीबाजी थी।
इसीलिए भी लोक उपक्रमोें पर अधिक ध्यान दिया गया।
सरकार की एक दूसरी गलतफहमी थी।
वह यह कि हम अपने कारखानों के माल विदेश भेजेंगे और उन्हीं पैसों से विदेश से अनाज खरीद कर यहां के लोगों को खिलाएंगे।
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खैर, देर आए दुरुस्त आए।
कृषि आधारित उद्योग को सरकार अब बढ़ावा दे रही है।
कृषि विधेयक लागू हो गया होता तो खेती का और भी अधिक विकास होता।यदि मनमोहन सिंह सरकार ने नीतीश सरकार को इथेनाॅल कारखाने लगाने की अनुमति दे दी होती तो अब तक कई ऐसे कारखाने लग चुके होते।
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दो और काम सरकारें करें।
एक तो केंद्र सरकार मनरेगा को किसानों से जोड़ दे।
ऐसी मांग तत्कालीन कृषि मंत्री शरद पवार ने प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह से की थी।
पर आरोप है कि तब की सरकार ने यह काम इसलिए नहीं किया क्योंकि मनरेगा के पैसों को लूटने में प्रभु वर्ग को भारी असुविधा होती।आश्चर्य है कि नरेंद्र मोदी सरकार का भी इधर ध्यान नहीं है।
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अमृतसर जैसे धार्मिक स्थलों के आसपास नशे करना मना है।
उसी तरह विकास के नए मंदिर यानी पूर्णिया इथेनाॅल कारखाने के पास से वैसे तत्वों को दूर रखने का राज्य सरकार पक्का प्रबंध कर दे जिन तत्वों को घूस और रंगदारी से पैसे कमाने का नशा है।
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2 मई 22
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