कपिल सिब्बल बनाम डा.स्वामी
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सुरेंद्र किशोर
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डा.सुब्रह्मण्यन स्वामी ने इस देश के कतिपय महा भ्रष्ट नेताओं को जेल की हवा खिलवाई।
कुछ चरित्रहीन नेताओं का भी भंडाफोड़ किया।
डा.स्वामी जैसे नेता कम हैं या नहीं हैं।
महा भ्रष्टों से भरी राजनीति वाले इस देश में एक स्वामी की आज जरूरत अधिक है।
पर,डा.स्वामी अब राज्य सभा में नहीं हैं।
स्वामी का एक ही कसूर है कि वे ‘मुक्त चिंतक’ व स्वच्छन्द व्यक्ति हैं ।
बड़े उद्देश्य के लिए एक मुक्त चिंतक को बर्दाश्त कर लेना चाहिए।
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दूसरी ओर, कपिल सिब्बल इस देश के कई महा घोटालों के आरोपितों का बचाव किया और कर रहे हैं।
खैर वकील के रूप में उनका यह हक है।
पर, एक सार्वजनिक नेता के रूप में उनका यह कर्तव्य भी है कि वे महा भ्रष्टांे ,महा घोटालेबाजों और देशद्रोहियों से इस देश को मुक्त करने में इस सिस्टम को मदद करें।
नब्बे के दशक में सुप्रीम कोर्ट के एक जज रामास्वामी पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों का सदन में बचाव भी कपिल सिब्बल न ही किया था।
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कपिल सिब्बल को राज्य सभा में भेजते रहने के लिए वैसे कई राजनीतिक दल हमेशा उत्सुक रहे हैं जिनके नेताओं पर मुकदमे चल रहे हैं।
इस बार भी कई उत्सुक थे।
पर, इस बार तो सिब्बल अपनी शर्त पर राज्य सभा जा रहे हैं--यानी निर्दल रूप मंे।
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स्वामी व सिब्बल के उदाहरण इस देश की एक गंभीर बीमारी के लक्षण हंै।
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27 मई 22
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