शनिवार, 8 जून 2024

 प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने 1969 में जब बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया और प्रिवी पर्स समाप्त किया, तब उनकी पार्टी का लोक सभा में अपना बहुमत नहीं था

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सुरेंद्र किशोर

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 प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने 14 निजी 

बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया।

 पूर्व राजाओं के प्रिवी पर्स समाप्त कर दिए।

 तब उनकी पार्टी का लोकसभा में बहुमत नहीं था।कुछ अन्य दलों के सहारे वह सरकार चला रही थीं।

  दरअसल बड़े काम करने के लिए साहस और निष्ठा चाहिए।बहुमत तो जनहित के कामों से बढ़ता ही है। 

यह और बात है कि इंदिरा गांधी ने 1971 में

मिले पूर्ण बहुमत का सदुपयोग नहीं किया।

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   इन दिनों इस देश के महाभ्रष्ट लोगों और राष्ट्रद्रोहियों की बांछें खिली हुई हंै।

उन्हें लगता है कि अपना बहुमत न होने के कारण नरेंद्र मोदी, पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की तरह समझौते करने को बाध्य होंगे।

  उन्हें यह भी लगता है कि उन्हें उससे राहत मिल जाएगी जिनके खिलाफ विभिन्न अदालतों में गंभीर आरोपों के तहत मुकदमे चल रहे हैं।

पर,मोदी सरकार की ओर से देश को यह संकेत मिल चुका है कि जोे काम पिछले 10 साल में हुए हैं, वह तो ट्रेलर मात्र था।

 पूरी फिल्म तो अब आने वाली है।

‘‘गरीबी हटाओ’’ के नाम पर इंदिरा गांधी की सरकार ने तब ऐसे कुछ अन्य काम भी किये थे।

और उससे मिली लोकप्रियता के आधार पर सन 1971 के लोक सभा चुनाव में उन्होंने पूर्ण बहुमत पा लिया था।यह और बात है कि तब इंदिरा ने देश को झांसा दिया था।देश की गरीबी मिटाने की जगह पुत्र के लिए मारूति कारखाना खेलवाने का फैसला किया।

  पर, नरेंद्र मोदी दूसरी ही मिट्टी के बने नेता लगते हैं।

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  अमरीकी समाजशास्त्री पाॅल आर. ब्रास ने सन् 1966 में ही यह लिख दिया था कि 

‘‘भारत में भीषण भ्रष्टाचार की शुरूआत आजादी के बाद के सत्ताधारी नेताओं ने ही कर दी थी।’’

पाॅल ने लिखा कि भ्रष्टाचार ऊपर से ही नीचे की ओर फैलाया गया।

 ब्रास ने उत्तर प्रदेश में रहकर भ्रष्टाचार की समस्या का गहन अध्ययन किया था।

  इस अध्ययन के बाद लिखी गयी  अपनी किताब ‘ फैक्सनल पाॅलिटिक्स इन एन इंडियन स्टेट: दी कांग्रेस पार्टी इन उत्तर प्रदेश ’ में वाशिंगटन विश्व विद्यालय के समाजशास्त्र के प्रोफेसर  ब्रास ने लिखा कि ‘कांग्रेसी मंत्रियों द्वारा अपने अनुचरों को आर्थिक लाभ द्वारा पुरस्कृत करना गुटबंदी को स्थायी बनाने का सबसे सबल साधन है।’ अपने शोध कार्य के सिलसिले में ब्रास ने उत्तर प्रदेश के दो सौ कांग्रेसी और गैर कांग्रेसी नेताओं और पत्रकारों से लंबी बातचीत की थी।

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यह सब जान-समझ कर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ ऊपर से कार्रवाई शुरू कर दी है।

अगले कार्यकाल में उन कार्रवाइयों को उनकी तार्किक परिणति तक पहुंचाना है।

यदि इस काम में मौजूदा सहयोगी दलों ने कोई बाधा पहुंचाई ,जिसकी उम्मीद नहीं है,तो उन्हें उसी तरह अगले चुनाव में नुकसान होगा जिस तरह का हश्र 1971 के चुनाव के बाद कुछ इंदिरा विरोधी दलों का हुआ था।

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और अंत में

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आज भी भ्रष्टाचार ऊपर से नीचे की ओर जा रहा है।यानी ऊपर से प्ररित हो रहा है।

प्रधान मंत्री आॅफिस और केंद्रीय मंत्रिमंडल से तो इस काम के लिए नीचे प्रेरणा नहीं मिल रही है।

फिर कहां से मिली रही है ?

जांच कीजिए --क्या सांसद फंड की कमीशनखोरी से तो नहीं मिल रही है ?

अत्यंत थोड़े से अपवादों को छोड़कर सांसद फंड में खुलकर भारी कमीशनखोरी हो रही है।यह बात गांव -गांव के लोग जानते हैं।या तो सांसद फंड बंद करो या कमीशनखोरी।

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8 जून 24


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