संकेत हैं कि नरेंद्र मोदी प्रतिपक्षी नेताओं के खिलाफ जारी मुकदमों में कोई राहत देंगे नहीं।
फिर सत्ता और प्रतिपक्ष में सामान्य सबंध
का सवाल ही नहीं उठता !
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सुरेंद्र किशोर
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नई सरकार के गठन के बाद यह
सवाल उठ रहा है कि नरेंद्र मोदी के अगले कार्यकाल (2024-29)में प्रतिपक्ष से सत्ता पक्ष का संबंध सामान्य हो पाएगा या नहीं ?
मुझे तो इसकी कोई उम्मीद नहीं लगती।
संकेत हैं कि
पहले की ही तरह प्रतिपक्ष संसद को चलने नहीं देगा।
संसद के बाहर कुछ प्रतिपक्षी नेतागण
अपमानजनक बयानबाजियां करते रहेंगे।
साथ ही, मानहानि के मुकदमे भी झेलते रहेंगे।
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कुछ लोग सवाल उठाते हैं कि अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार से प्रतिपक्ष का संबंध सामान्य क्यों और कैसे रहा था ?
मेरा जवाब है कि मोदी, अटल जी जितना ‘‘उदार’’ नहीं हैं।
क्योंकि वैसी उदारता पार्टी की छवि खराब करती है।
अटल जी ने नेहरू-गांधी परिवार को लाभ पहुंचाने के लिए चर्चित बोफोर्स मुकदमे को 2004 में एक तरह से दफना दिया था।
नरेंद्र मोदी सरकार अभी चल रहे किसी भी केस में प्रतिपक्ष की कोई मदद नहीं करेगी।फिर सामान्य संबंध कैसे कायम होगा ?
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सन 2004 में दिल्ली हाईकोर्ट ने बोफोर्स से संबंधित केस को समाप्त कर देने का आदेश दे दिया था।
हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ सी.बी.आई. ने सुप्रीम कोर्ट मंे अपील तक नहीं की।
ऐसा उच्चस्तरीय संकेत
पर हुआ।तब अटल जी प्रधान मंत्री थे।
4 फरवरी 2004 के हाईकोर्ट के उस अदालती निर्णय के खिलाफ अपील की अनुमति अटल सरकार ने सी.बी.आई.को नहीं दी।
उसके बाद 22 मई 2004 को केंद्र में मन मोहन सिंह की सरकार गठित हो गयी।फिर तो अपील का सवाल ही नहीं उठता था।
अब समझ में आया कि प्रतिपक्ष अटल जी की तारीफ इन दिनों कुछ अधिक ही क्यों करता है ?
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8 जून 24
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