न्यूटन का तीसरा नियम अब चुनावी
राजनीति में भी लागू होने लगा है।
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सुरेंद्र किशोर
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यह कितनी बड़ी विडंबना है कि आप जिसे हराने के लिए लामबंद होकर वोट करते हैं,बाद में उसी से मंत्रिपरिषद में हिस्सेदारी की मांग करते हैं।
----अमिताभ अग्निहोत्री
वरिष्ठ टी.वी.पत्रकार,
दैनिक जागरण,12 जून 24
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अब लामबंदी पर न्यूटन के तीसरे नियम का इस्तेमाल हो रहा है।
यानी, हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है।
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कर्नाटका और तेलांगना में गत साल विधान सभाओं के चुनाव हुए।
कर्नाटका में अधिकतर मुसलमान मतदाताओं ने जेडी एस को छोड़ कर कांग्रेस के पक्ष में एकमुश्त मतदान किया।
तेलांगना में मुसलमानों ने सत्ताधारी बी.आर.एस.को छोड़कर कांग्रेस को एकमुश्त मतदान किया।
नतीजतन दोनों राज्यों में कांग्रेस की सरकारें बन गयीं।
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उसकी प्रतिक्रिया हुई।
लोक सभा के ताजा चुनाव में कुछ राज्यों में गैर मुस्लिम मतों की भाजपा के पक्ष में लामबंदी हो गयी।नतीजतन,
कर्नाटका में भाजपा-जेडीएस गठबंधन को लोस की 19 सीटें मिलीं।कांग्रेस को सिर्फ नौ सीटें हासिल हुईं।
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तेलांगना में भाजपा और कांग्रेस को 8-8 सीटें मिलीं।
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संकेत हैं कि भविष्य में भी एक पक्ष की लामबंदी की क्रिया की
प्रतिक्रिया भी हो सकती है।
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हालांकि यह सब नहीं होना चाहिए।
पर, इस उपदेश का उनके लिए कोई मतलब नहीं जो सरकार के अच्छे कामों के आधार पर नहीं बल्कि अपने किसी अन्य ‘‘लक्ष्य’’ को ध्यान में रखते हुए वोट करते हैं।
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12 जून 24
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