यह मत कहो कि भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाना है
बल्कि यह कहो कि इसे इस्लामिक देश बनने से रोकना है
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सुरेंद्र किशोर
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किसी को यह नहीं कहना चाहिए कि भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाना है,बल्कि उसकी जगह यह कहना चाहिए कि भारत के इस्लामिक देश बन जाने से रोकना है।
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सेक्युलर दलों और उनके सहयोगी बुद्धिजीवियों को छोड़कर सब जानते हैं कि प्रतिबंधित जेहादी संगठन पाॅपुलर फं्रट आॅफ इंडिया तथा कुछ अन्य ‘‘इस्लामिक भारत’’ बनाने के लिए बड़े पैमाने पर कातिलों के हथियारबंद दस्ते तैयार कर रहे हैं।पुलिस जांच में इसके सबूत मिले हैं।
यहां तक कि कुछ साल पहले केरल के डी.जी.पी.ने पी.एफ.आई.पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश अपनी राज्य सरकार से की थी।किंतु वोट लोलुप सी.पी.एम.सरकार ने डी.जी.पी.की बात नहीं मानी।
अब पी.एफ.आई.और उसकेे राजनीतिक संगठन एस.डी.पी.आई.ने केरल में सी.पी.एम.को छोड़कर कांग्रेस को मदद करना शुरू कर दिया है।
कुछ राजनीतिक दल, जो राज्यों में सत्ता में हैं ,बांग्लादेशियों और रोहिंग्या को बड़े पैमाने पर भारत में प्रवेश दिलाकर उन्हें बसा रहे हैं और इस तरह पी.एफ.आई.का काम आसान कर रहे हैं।उसके बदले उन्हें पी.एफ.आई.से हाल के चुनाव में बड़ा उपहार मिला है--यानी मुस्लिम मतों का कुछ और अधिक एकत्रीकरण हुआ है।(हालांकि इस देश के शांतिप्रिय मुस्लिम पी.एफ.आई.से सहमत नहीं है।पी.एफ.आई. को इस बात का दुख है कि हमारे साथ 10 प्रतिशत मुसलमान भी नहीं हैं।)
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तकलीफ की बात है कि राजग में शामिल कुछ तथाकथित सेक्युलर दल भी इस्लामीकरण की गंभीर कोशिश के खतरे की गम्भीरता को नहीं समझ पा रहे हंै।जेहादी स्लीपर सेल की खबर छापने पर एक सेक्युलर मुख्य मंत्री ने कुछ साल पहले एक पत्रकार की हल्की झिड़की दी थी।
जबकि उनको उस खबर से खुश होना चाहिए था।कार्रवाई करनी चाहिए थी।
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केंद्र सरकार के विभागों के वितरण से यह साफ हुआ है कि सहयोगी दलों से भाजपा यह उम्मीद कर रही है कि वे अपने राज्य के विकास पर अधिक ध्यान दें।
केंद्र के जो मुख्य काम हैं--मुख्यतःभ्रष्टाचारियों और जेहादियों के खिलाफ समझौतारहित कार्रवाई ---उन्हें केंद्र सरकार को करने की पूरी छूट दें।
उसमें धर्मनिरपेक्षता के नाम पर बाधा न पहुंचायें।
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संकेत हैं कि अब नीतीश कुमार को बिहार सरकार चलाने की पूरी छूट मिलेगी।जैसी छूट उन्हें 2005-13 में थी।
पिछले कुछ वर्षों में सहयोगी दलों के कुछ नेतागण जिस तरह नीतीश को अपने बयानों व कर्माें से परेशान कर रहे थे,वे अब वैसा नहीं करेंगे।लगता है कि भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने उसका इंतजाम कर दिया है।
भाजपा ने कह दिया है कि 2025 के बिहार विधान सभा चुनाव में भी नीतीश के नाम पर राजग चुनाव लड़ेगा।
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उधर टी.डी.पी.को आंध्र विधान सभा में अपना ही बहुमत है।पर राजधानी अमरावती बनाने के बड़े काम तथा अन्य कामों के लिए नायडु को केंद्रीय सहायता पर निर्भर रहना पडे़गा।इसलिए उम्मीद है कि टी.डी.पी.भी शांति बनाये रखेगा।
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अटल बिहारी वाजपेयी वाला जमाना अब नहीं है,भले आज भी मिलीजुली सरकार है।
तब सहयोगी दलों को रेलवे और संचार जैसे महत्वपूर्ण विभाग मिला करते थे।देने पड़ते थे।
रात विलास पासवान ने तो पहले रेलवे और बाद में संचार मंत्रालय छिन जाने के कारण 2004 के चुनाव में वाजपेयी सरकार को अपदस्थ करा दिया था।अब वैसा राजनीतिक समीकरण भी नहीं है।
हालांकि वाजपेयी सरकार के अपदस्थ होने में द्रमुक का भी हाथ था जिसे छोड़ कर राजग ने जय ललिता को राजग में शामिल कर लिया था।
यानी, सबको पुराने अनुभवों से अब सीखना है।
एक बात तय मानिए।
संकेत हैं कि मोदी सरकार भ्रष्टाचारियों और जेहादियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने में कोई ढिलाई नहीं करेगी।
ढिलाई करेगी तो यह देश नहीं बचेगा।
याद रहे भाजपा ‘इंडिया फस्र्ट’ वाली पार्टी है।और मोदी दूसरी ही मिट्टी का बना हुआ है।
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11 जून 24
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