प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने ठीक ही कहा है कि सब्सिडी के पैसे
सीधे लाभुकों के बैंक खातों में भेजने से इस मद में 57 हजार करोड़ रुपए की सालाना लूट अब बंद हो गयी है।
स्वाभाविक है कि इस लूट में पहले नीचे से ऊपर तक जो
ताकतवर लोग हिस्सेदार थे, उन्हें मोदी का शासन इमरजेंसी की तरह ही लगेगा।
पर मोदी जी, आपके साढ़े तीन साल के शासन के बावजूद खबर है कि सरकारी निर्माण और विकास योजनाओं में लूट कमोवेश अब भी जारी है।
उसका सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि अपवादों को छोड़ दें तो आपकी मनपसंद सांसद ग्राम विकास योजना बुरी तरह फेल हो गयी है।
दरअसल सांसद ग्राम विकास योजना पहले से ही जारी तरह -तरह की सरकारी योजनाओं के फंड से ही पूरी होनी थी।अलग से फंड नहीं दिया गया था।
पर पहले से जारी योजनाओं के उस फंड में से लगता है कि अधिकांश अब भी लूट लिए जाते हैं अन्यथा सांसद ग्राम विकास योजना में उन में से कुछ फंड तो लगते ! कुछ काम तो दिखाई पड़ता।
याद रहे कि केंद्र और राज्य सरकारों की करीब दो सौ योजनाएं देश में चलती हैं।
पर इस देश का दुर्भाग्य है कि प्रधान मंत्री द्वारा खास तौर पर रूचि लेने के बावजूद उन योजनाओं का कोई लाभ सांसद ग्राम विकास योजना को नहीं मिल सका।
एक तरह से यह अच्छा हुआ।कम से कम मोदी सरकार को ‘जन्नत की हकीकत’ तो मालूम हो गयी होगी।
अब मोदी जी चाहें तो सांसद ग्राम विकास योजनाओं की विफलता के कारणों की जांच के लिए पेशेवर और गैर राजनीतिक विशेषज्ञों की एक जांच टीम बना सकते हैं।
इस बहाने पहले से जारी योजनाओं में दशकों से जारी लूट की वास्तविक तस्वीर उन्हें मिल जाएगी।यदि कारणों का पता चल जाए तो जिस तरह सब्सिडी की लूट बंद की गयी ,उसी तरह उन योजनाओं के पैसों की लूट बंद करने के लिए भी मोदी सरकार कोई उपाय सोच सकती है।यदि वह चाहे तो !
डायरेक्ट बेनिफिट स्कीम चालू करने की सलाह संभवतः 2001 में ही एन.सी.सक्सेना ने दी थी।तब वे केंद्र सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव थे।उन्होंने सब्सिडी में भारी लूट खुद अपनी आंखों से देखी थी।उसे रोकने में सक्सेना भी खुद को लाचार मान रहे थे।क्योंकि उस लूट की छूट देने वाले उनके भी ऊपर के ‘प्रभु’ लोग थे।
जाहिर है कि बीच की किसी भी केंद्र सरकार ने सक्सेना की सलाह नहीं मानी।भला कौन सरकार बिल्ली के गली में घंटी बांधती !प्रभु वर्ग द्वारा सालाना 57 हजार करोड़ रुपए की लूट को रोकना
कोई मामूली बात तो थी नहीं।चलिए मोदी सरकार ने यह काम कर दिया।अच्छा किया।
पर क्या मोदी जी विकास योजनाओं में लूट बंद करने का भी साहस भी दिखा पाएंगे ?
यदि वैसा साहस दिखा देंगे तो वह एक दिन सांसद क्षेत्र विकास फंड भी बंद कर सकते हैं।इस फंड को मैं भ्रष्टाचारी रावण की नाभि का अमृत कुंड मानता हूंं।
राजनीति और उच्चस्तरीय प्रशासन को भ्रष्ट करने में सांसद क्षेत्र विकास योजना का बहुत बड़ा हाथ रहा है।