राज्य बनाएं कृषि कानून
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केंद्र अपने कानून वापस ले
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सी.ए.ए.लागू करना अधिक जरूरी
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केंद्र एक साथ कई फं्रट न खोले
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--सुरेंद्र किशोर-
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कई बार ‘‘दो कदम आगे और एक कदम’’
पीछे की रणनीति अपनानी पड़ती है।
इसलिए, क्यों नहीं कृषक कानून बनाने की जिम्मेदारी राज्यों पर छोड़ दी जानी चाहिए !
अभी संसद ने जो कानून बनाया है,उसे रद करिए।
राज्यों पर यह काम छोड़िए।
केंद्र सरकार ने नमूना कानून के साथ उसे बनाने का रास्ता दिखा ही दिया है।
कुछ राज्य कानून बनाएंगे।
कुछ अन्य नहीं बनाएंगे।
जो नहीं बनाएंगे, उन्हें बिचैलियों व मंडी के दलालों को खुश जो रखना है !
जो बनाएंगे,उनके राज्य में आम किसानों की आय दुगुनी होगी।
जो नहीं बनाएंगे,वे खामियाजा भुगतेंगे।
उसी तरह, जिस तरह पश्चिम बंगाल के सत्ताधारी इस बार चुनाव में भुगत सकते हैं।
ममता सरकार ने न तो पी.एम.किसान योजना लागू की और न ही आयुष्मान योजना।
इसको लेकर अगले विधान सभा चुनाव की पृष्ठभूमि में अनेक मतदातागण तृणमूल कांग्रेस से सवाल पूछ रहे हैं।
जवाब देना उनके लिए मुश्किल हो रहा है।
जनता का मूड देखकर तृणमेल कांग्रेस के बड़े बड़े नेता ममता का साथ छोड़ रहे हैं।
स्वतंत्र भारत के इतिहास में इतनी बड़ी भगदड़ कभी किसी दल से नहीं हुई।
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5 फरवरी 21
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