सन 1980 में भी सुप्रीम कोर्ट के जज
ने प्रधान मंत्री की तारीफ की थी।
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--सुरेंद्र किशोर--
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गत शनिवार को आयोजित गुजरात हाईकोर्ट समारोह में सुप्रीम कोर्ट के जज एम.आर.शाह ने कहा कि
‘‘प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी सबसे प्रिय,लोकप्रिय और दूरदर्शी नेता हैं।’’
उन्होंने कोई गलत बात नहीं कही।पर, परंपरा रही है कि आम तौर पर जज सार्वजनिक रूप से नेता की तारीफ नहीं करते।
इसलिए नई पीढ़ी को इस तारीफ पर अचरज हुआ होगा।
पर, पुरानी पीढ़ी को मालूम है कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है।
सुप्रीम कोर्ट के एक जज सन 1980 में भी तब के पी.एम.की तारीफ कर चुके हैं।
साथ ही,
सबसे बड़ी अदालत के जज रिटायर होकर राज्य सभा में जाते रहे हैं और गवर्नर पद भी स्वीकार करते रहे हैं।
हां, इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जगमोहन लाल सिन्हा उन न्यायाधीशों में प्रमुख हैं जिन्होंने कोई पद स्वीकार नहीं किया।
आॅफर करने वाले सरकारी प्रतिनिधि से उन्होंने कह दिया था कि मुझे किताबें पढ़ने और बागवानी करने में अधिक सुख मिलता है।
याद रहे कि उन्होंने 1975 में इंदिरा गांधी का लोक सभा चुनाव रद कर दिया था।इमरजेंसी लगने का वह कारण बना।
सन 1980 में जब इंदिरा गांधी एक बार फिर प्रधान मंत्री बनीं तो सुप्रीम कोर्ट के जज पी.एन.भगवती ने बाजाप्ते चिट्ठी लिख कर उनकी प्रशंसा की।
मशहूर पत्रकार बलबीर दत्त लिखित व बहुमूल्य जानकारियों से भरी चर्चित पुस्तक
‘‘इमरजेंसी का कहर और सेंसर का जहर ’’
में लिखा गया है कि भगवती जी की चिट्ठी पहले तो गुप्त रही,पर बाद में जग जाहिर हो गई।
चुनावी विजय व प्रधान मंत्री बनने पर जस्टिस भगवती ने उन्हें बधाई देते हुए अन्य बातों के साथ-साथ यह भी लिखा कि
‘‘आप भारत की उन लाखों गरीबों व भूखों की आशा व आकांक्षा का प्रतीक बन गई हैं जिन्हें अब तक न कोई आशा थी और न जीने का सपना।
अब वे आपकी ओर टकटकी लगाए हुए हैं कि आप उन्हें धूल और गंदगी से ऊपर उठाएं।
और उन्हें गरीबी व अज्ञानता से मुक्ति दिलाएं।........।’’
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--सुरेंद्र किशोर--10 अगस्त 21
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