जस जस सुरसा बदनु बढ़ावा !
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सन 2005 में पश्चिम बंगाल विधान सभा का चुनाव 5 चरणों में हुआ था।
सन 2011 में पश्चिम बंगाल विधान सभा चुनाव 6 चरणों में हुआ था।
सन 2016 में वहां 7 चरणों में चुनाव हुआ था।
सन 2021 में आठ चरणों में चुनाव हो रहा है।
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मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कल कहा कि सुरक्षा संबंधी कारणों से अधिक चरणों में चुनाव हो रहा है।
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सन 2019 के लोक सभा चुनाव के समय चुनाव आयोग के पर्यवेक्षक अजय नायक ने कहा था कि पश्चिम बंगाल की हालत आज वैसी ही है जैसी हालत 15 साल पहले बिहार की थी।
(याद रहे कि तब पटना हाइकोर्ट ने कहा था कि बिहार में जंगल राज है।)
उस पर तृणमूल कांग्रेस ने अजय को आर.एस.एस.का एजेंट बताया था।
अब ममता बनर्जी ने कहा है कि नरेंद्र मोदी के कहने पर आयोग ने आठ चरणों में चुनाव का निर्णय किया है।
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सत्ताधारी वाम मोर्चा पर तो तब बूथ जाम करने व साइंटिफिक रिगिंग करने का आरोप लगता था।
सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस पर तो आरोप है कि उसने पंचायत चुनाव में हजारों लोगों को नामांकन पत्र तक भरने नहीं दिया था।
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यानी,
जस जस सुरसा (हिंसा व चुनावी धांधली का)बदनु बढ़ावा।
तासु दून कपि (चुनाव आयोग)रूप देखावा।
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अंत में
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कोई भी निष्पक्ष प्रेक्षक कहेगा कि वाम शासन काल की अपेक्षा ममता शासन में हिंसा और अराजकता बढ़ी है।
स्वाभाविक ही है।
केंद्र सरकार ने घोषणा कर दी है कि बंगाल चुनाव के बाद सी.ए.ए.लागू होगा।
इस घोषणा के कारण तनाव स्वाभाविक है।
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--सुरेंद्र किशोर-
27 फरवरी 21
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