ममता बनर्जी ने हाल में दिलाई
हवाला कांड की अधूरी याद
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--सुरेंद्र किशोर--
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कई बार यह आरोप सामने आता है कि कई पत्रकार कुछ खास नेता पर तो आरोप लगा देते हैं,किंतु उसी तरह के कसूरवार दूसरे नेता को बख्श देते हैं।
यह आरोप एक हद तक सही भी है।
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वैसे कुछ पत्रकार ऐसे भी मौजूद हैं जो किसी पक्ष को नहीं बख्शते।
किंतु इस देश में हमेशा से ही ऐसे नेता नहीं मिलते जो सभी पक्षों के दोषियों के दोष को समान रूप से उजागर करें।
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पश्चिम बंगाल की मुख्य मंत्री ममता बनर्जी ने पिछले दिनों
यह आरोप लगाया कि राज्यपाल जगदीप धनकड़ भ्रष्ट हैं क्योंकि उन्होंने हवाला कारोबारियों से पैसे लिए थे।
धनकड़ ने उस आरोप का खंडन किया।
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इस तरह ममता बनर्जी अपने राज्यपाल को अपमानित करने के क्रम में अपने दल के उपाध्यक्ष यशवंत सिन्हा को भी अनजाने में कठघरे में खड़ा कर दिया।
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ममता जी को नहीं मालूम कि हवाला कारोबारियों से पैसे स्वीकारने वाले नेताओं में सूची में यशवंत सिन्हा भी शामिल थे।उनके नाम 21 लाख 18 हजार दर्ज हंै जबकि जगदीप धनकड़ के नाम के आगे सिर्फ सवा पांच लाख रुपए दर्ज हैं।
याद रहे कि जगदीप धनकड़ की तरह ही यशवंत सिन्हा ने भी इस आरोप को गलत बताया था।
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हवाला घोटाले की शर्मनाक कहानी
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जब देश के अति ताकतवर लाभुकों के समक्ष
सुप्रीम कोर्ट भी हो गया था लाचार
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नब्बे के दशक में चर्चित व घृणित जैन हवाला कांड हुआ था।
जो जैन बंधु भारत विरोधी विदेशी ताकतों से पैसे लेकर
कश्मीर के आतंकियों को पहुंचाते थे,उसी जैन बंधुओं ने
उसी पैसों में से इस देश के 115 बड़े नेताओं और नौकरशाहों को भी भारी रकम तब दी थी।
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लाभुकों में भारत के एक पूर्व राष्ट्रपति ,दो पूर्व प्रधान मंत्री, कई पूर्व मुख्य मंत्री व पूर्व-वत्र्तमान केंद्रीय मंत्री स्तर के अनेक नेता शामिल थे।
वह बहुदलीय घोटाला था।
पैसे पाने वालों में खुफिया अफसर सहित 15 बड़े -बड़े अफसर भी थे ।
आरोप लगा था कि पैसे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आई.एस.आई.ने भिजवाए थे।
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जिस घोटाले में लगभग सभी प्रमुख दलों के बड़े नेता लिप्त हों,उन्हें सजा कैसे होगी ?
नहीं हुई।
जबकि इन लाभुक नेताओं में से कुछ ने इसके एवज में देशद्रोहियों की मदद भी की थी।
ऐसा विवरण ‘इंडिया टूडे’( 15 फरवरी 1996) में तब छपा भी था।
अब बताइए कि कश्मीर के आतंकियों ने इस देश की राजनीति की नैतिकता पर कितना मारक असर डाला।
जिन नेताओं ने पैसे लिए थे,वे तब की राजनीति के हू इज हू थे।
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हवाला कांड के किसी आरोपित का कुछ नहीं बिगड़ा। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जे.एस.वर्मा ने दुखी मन से तब कहा था कि ‘‘सी.बी.आई.ने इस कांड की ठीक से जांच ही नहीं की।’’
उन्होंने यह सनसनीखेज बात कोर्ट में ही कह दी थी कि मुझ पर इस केस को रफा दफा करने का दबाव डाला जा रहा है।
हां, इस कांड में नाम आने पर जिन कुछ नेताओं ने अपने पद से इस्तीफा दिया था ,उनमें यशवंत सिन्हा भी थे।
तब वे बिहार विधान सभा में प्रतिपक्ष के नेता थे।
आडवाणी खेमा उन्हें मुख्य मंत्री बनाना चाहता था।
दबंग मुख्य मंत्री लालू प्रसाद के समक्ष सदन की चर्चा
व हंगामा में यशवंत सिन्हा लालू प्रसाद से दबते नहीं थे।
यानी, उनकी भूमिका प्रभावकारी थी।
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इस हवाला कांड का भंडाफोड़ करने वाले मशहूर पत्रकार विनीत नारायण ने हवाला रिश्वत कांड पर जो पुस्तक लिखी है,उसका नाम है-
‘‘हवाला के देशद्रोही’’
उस पुस्तक से कुछ पंक्तियों यहां उधृत हैं--
‘‘असल में तो यह आतंकवाद का मामला है जिसे हवाला कांड कह कर हल्का करने की साजिश की गई।
मामला बहुत ही गंभीर है।
क्योंकि देश के 115 सबसे ताकतवर लोगों को दुबई और लंदन के जिस गैर कानूनी हवाला स्रोतों से पैसे मिलने का आरोप है,वही स्रोत कश्मीर के आतंकवादियों को भी पैसे देता था।
फिर भी इस मामले में आज तक ठीक से जांच नहीं हुई।आतंकवादियों को पैसे देने वाले स्रोत तक नहीं पहुंचा जा सका।
नतीजतन आतंकवादी देश में फैलते जा रहे हैं।’’
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मेरा मानना है कि हवाला कांड व अपवादों को छोड़कर सांसद फंड में व्यापक कमीशनखोरी ने तब तक राजनीति में बचे-खुचे शर्म को भी खत्म कर दिया।
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--सुरेंद्र किशोर
6 जुलाई 21
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