शनिवार, 9 अक्तूबर 2021

 निजी से सरकारी, फिर सरकारी से निजी !!

कहानी ग्रेट ईस्टर्न होटल से लेकर टाटा

एयरलाइन्स तक !

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--सुरेंद्र किशोर--

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कोलकाता के ग्रेट ईस्टर्न होटल का सत्तर के दशक में सरकारीकरण हुआ था।

   पर वाम मोर्चा सरकार ने सन 2005 में मात्र 52 करोड़ रुपए में उस होटल को निजी हाथों में बेच दिया।

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  भारत सरकार ने सन 1948 में टाटा एयरलाइन्स का अधिग्रहण कर लिया।

2021 में भारत सरकार ने उसे दोबारा टाटा को बेच दिया।

याद रहे कि इस बीच एयर इंडिया पर 60 हजार करोड़ रुपए का कर्ज हो गया था।

साथ ही, इसमें रोजाना भारी नुकसान हो रहा था।

अधिकतर सरकारी उपक्रमों में नुकसान क्यों होता है ?

इसके कारण को लेकर अब यह कोई रहस्य नहीं है। 

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सत्तर के दशक में मैं लोहिया नगर से बिहार स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट निगम की बस से पटना रेलवे जंक्शन आया करता था।

भाड़ा था 50 पैसे।

कंडक्टर 25 पैसे लेकर यात्री ढोता था।

उन्हें टिकट नहीं देता था।

मैं 50 पैसे देकर टिकट मांगता था।

मुझ पर कंडक्टर अक्सर गुर्राता था।

हालांकि टिकट काटकर दे देता था।

मुझे लगता था कि निगम को उस रूट में सिर्फ मासिक

पास वालों से ही आय थी।

या फिर मेरे जैसे कुछ ‘सिरफिरे’ यात्रियों से।

बाकी निगम की आर्थिकी कैसे चलती थी,उसका अनुमान आप लगा लीजिए।

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बाद के वर्षों में परिवहन निगम का एक अधिकारी मेरे यहां आया।

निगम में कोई ईमानदार अधिकारी टाटा कंपनी से बस का चेसिस खरीदना चाहता था।

पर मुझसे जो अफसर मिला,वह एक अन्य निजी कंपनी से।

टाटा कंपनी चेसिस बेचने के लिए किसी को कमीशन नहीं देती थी।

पर वह निजी कंपनी देती थी।

उस अफसर ने उस निजी कंपनी के पक्ष में बहुत सारे तर्क दिए और कहा कि छाप दीजिएगा।

मैंने नहीं छापा।

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अब बोफोर्स युग में आइए।

फ्रेंच कंपनी सोफ्मा तोप बेचने के लिए कमीशन नहीं देती थी।बोफोर्स कंपनी देती थी।

इसलिए भारत सरकार ने बोफोर्स तोप खरीदी।

हालांकि बोफोर्स तोप भी अच्छी है,पर सोफ्मा तोप उससे  बेहतर है।

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ऐसे ही चल रहा है अपना देश।

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  9 अक्तूबर 21


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